रेलवे ट्रैक नहीं, सीधी हवा में उड़ान! पलक झपकते ही मंजिल! भारत में जल्द दिखेगी ये सुपरफास्ट ट्रेन!
Hyperloop trains: भारत की हाइपरलूप ट्रेन परियोजना, जिस पर आईआईटी मद्रास काम कर रहा है, परिवहन का एक महत्वाकांक्षी और भविष्यवादी तरीका है.
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Hyperloop trains: कल्पना कीजिए कि आप दिल्ली से मुंबई कुछ ही घंटों में पहुंच जाएं, हवाई जहाज से भी तेज! हाइपरलूप ट्रेन के जरिए जल्द ही ये सपना सच हो सकता है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में विकास के तहत महत्वाकांक्षी हाइपरलूप परियोजना में एशिया की सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब होगी. उन्होंने कहा कि इसकी लंबाई 410 मीटर होगी और यह जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी हाइपरलूप बन जाएगी.
Hyperloop trains: आईआईटी मद्रास में किया हाइपरलूप परियोजना का निरक्षण
तमिलनाडु के के संक्षिप्त दौरे पर आए रेलवे, सूचना एवं प्रसारण तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने 15 मार्च को आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप परियोजना का निरीक्षण किया. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाइपरलूप परियोजना के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स घटक प्रौद्योगिकी चेन्नई स्थित ‘इंटीग्रल कोच फैक्ट्री’ में विकसित की जाएगी.रविवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में वैष्णव ने आईआईटी मद्रास परिसर में अपने दौरे का एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “एशिया में सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब (410 मीटर)... जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी होगी.”
Hyperloop trains: 1000 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड
एलन मस्क ने साल 2013 में एक वॉइट पेपर -‘हाइपरलूप अल्फा’ के जरिए दुनिया के सामने हाइपरलूप का विचार प्रस्तुत किया था. हाइपरलूप को ट्रांसपोर्ट का पांचवां जरिया माना जाता है. यह एक तेज रफ्तार ट्रेन है जो एक लगभग खाली (वैक्यूम) ट्यूब के अंदर चलती है. ट्यूब के अंदर हवा का दबाव बहुत कम होने के कारण, इसके कैप्सूल (जिसमें यात्री बैठते हैं) 1,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा की स्पीड पकड़ सकते हैं.
Hyperloop trains: 8.34 करोड़ रुपए देने की मंजूरी
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ट्यूब के अंदर दरअसल हवा न होने के कारण, फ्रिक्शन बहुत कम हो जाता है. इससे कैप्सूल बहुत कम ऊर्जा का उपयोग करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ पाता है, मानो वह हवा में तैर रहा हो. इसकी रफ़्तार 1000 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा हो सकती है. रेल मंत्रालय ने मई 2022 में, भारत में ही हाइपरलूप सिस्टम और इसके हिस्सों को बनाने के लिए IIT मद्रास को 8.34 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी.
(न्यूज एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
09:12 PM IST