आधा इंडिया नहीं जानता Asset Allocation का 'जादुई' फॉर्मूला! जानिए कैसे जोखिम कम करके दिलाता है हाई रिटर्न
एसेट एलोकेशन क्या है (What is Asset Allocation)? समझिए कैसे इस स्ट्रैटेजी के जारिए आप अपनी उम्र, गोल्स और रिस्क के हिसाब से इक्विटी, गोल्ड और डेट में निवेश कर सकते हैं और मार्केट के जोखिम को कम करके ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं.
)
08:00 AM IST
हर निवेशक चाहता है कि उसका पैसा तेजी से बढ़े और उसे शानदार रिटर्न मिले. लेकिन जैसे ही शेयर बाजार का नाम आता है, मन में उतार-चढ़ाव का डर भी बैठ जाता है. बहुत से लोग इसी डर की वजह से मार्केट के निवेश से दूर रहते हैं और पारंपरिक विकल्पों जैसे FD वगैरह में ही अटके रह जाते हैं. लेकिन आज के समय में अगर आपको मोटा पैसा बनाना है तो ऐसी किसी जगह पर पैसा निवेश करना होगा, जहां रिटर्न महंगाई को भी मात दे सके. ये क्षमता स्टॉक मार्केट में है.
लेकिन आप चाहें तो मार्केट में भी "कम जोखिम और ज्यादा रिटर्न" (Low Risk High Return) का संतुलन बना सकते हैं. इसके लिए आपको निवेश की दुनिया के सबसे शक्तिशाली सिद्धांत को समझना होगा और वो है एसेट एलोकेशन (Asset Allocation). एसेट एलोकेशन कोई रॉकेट साइंस नहीं, बल्कि एक स्मार्ट निवेश की रणनीति है, जिसे अपनाकर आप अपने वित्तीय लक्ष्यों (Financial Goals) तक आसानी से पहुंच सकते हैं. यहां जानिए इसके बारे में.
आखिर क्या है ये एसेट एलोकेशन का फंडा?
एसेट एलोकेशन का मूल सिद्धांत है - "Don't put all your eggs in one basket" यानी अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें. इसका सीधा सा मतलब है अपने निवेश की रकम को एक जगह रखने के बजाय अलग-अलग तरह की संपत्ति (Assets) में बांटना चाहिए. इसे एक उदाहरण से समझिए- जिस तरह एक संतुलित भोजन की थाली में रोटी, दाल, सब्जी, सलाद और दही सब कुछ होता है, उसी तरह एक संतुलित निवेश पोर्टफोलियो में भी अलग-अलग एसेट क्लास होने चाहिए.
पोर्टफोलियो में होने चाहिए ये एसेट क्लास
- इक्विटी (Equity): यानी शेयर बाजार में निवेश. इसमें जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन लंबे समय में सबसे ज्यादा रिटर्न भी यहीं से मिलता है.
- डेट (Debt): जैसे बॉन्ड, डिबेंचर, सरकारी सिक्योरिटीज और डेट म्यूचुअल फंड.इसमें जोखिम कम होता है और रिटर्न लगभग स्थिर रहता है.यह आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है.
- गोल्ड (Gold): सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है.जब शेयर बाजार गिरता है, तो अक्सर सोने की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे आपके पोर्टफोलियो का नुकसान कम होता है.
- रियल एस्टेट (Real Estate): प्रॉपर्टी में निवेश.
- कैश या लिक्विड फंड (Cash/Liquid Funds): इमरजेंसी के लिए रखा गया पैसा.
कैसे करें अपना एसेट एलोकेशन? ये 3 बातें हैं सबसे अहम
TRENDING NOW
)
कल मार्केट खुले तो शेयर खरीदने पर नहीं, इन 4 स्टॉक्स से पैसा निकालने पर रखना चाहिए फोकस, ट्रिगर हुआ है स्टॉपलॉस
)
1 महीने पहले ही शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी कंपनी, अब विदेशी ब्रोकरेज की रडार पर चढ़ी- मिला नया टारगेट
)
चुपके-चुपके इस शेयर ने भरी निवेशकों की झोली, सालभर में 120% बढ़ी ऑर्डर बुक, अब पावर ग्रिड के ठेकों पर नजर
)
FD-RD को जाएंगे भूल! LIC की इस 'कन्यादान' स्कीम है 'जादू की गुल्लक',रोज ₹121 डालें, बेटी की शादी पर LIC देगी ₹27 लाख
)
Income Tax: क्या आपको भी मिला है 158BC के तहत Notice? तो आपके लिए खुशखबरी है! जानिए किसे भेजा जाता है ये नोटिस
एसेट एलोकेशन का कोई एक निश्चित फॉर्मूला नहीं है जो सब पर लागू हो. ये पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करता है. अपनी सही निवेश रणनीति (Investment Strategy) बनाने के लिए इन तीन बातों पर ध्यान दें-
आपकी उम्र (Your Age)
उम्र सबसे बड़ा फैक्टर है.एक सामान्य नियम है "100 - आपकी उम्र".इस फॉर्मूले के अनुसार, आपको अपनी उम्र को 100 में से घटाकर जो संख्या मिले, उतने प्रतिशत पैसा इक्विटी में लगाना चाहिए. मान लीजिए कि अगर आप 30 साल के हैं, तो आपको (100-30) = 70% पैसा इक्विटी में और बाकी 30% डेट और गोल्ड में लगाना चाहिए.
जोखिम सहने की क्षमता (Risk Appetite)
क्या आप बाजार के उतार-चढ़ाव से घबरा जाते हैं या आपको लगता है कि "रिस्क है तो इश्क है"?
- एग्रेसिव (Aggressive): अगर आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं, तो इक्विटी में 70-80% तक निवेश करें.
- मॉडरेट (Moderate): अगर आप संतुलित जोखिम चाहते हैं, तो 50-60% इक्विटी और बाकी डेट में लगाएं.
- कंजर्वेटिव (Conservative): अगर आप बिल्कुल जोखिम नहीं लेना चाहते, तो 70-80% पैसा डेट फंड और अन्य सुरक्षित विकल्पों में लगाएं.
वित्तीय लक्ष्य और अवधि (Financial Goals and Horizon)
आपका लक्ष्य क्या है और उसे पाने के लिए कितना समय है?
- लॉन्ग-टर्म लक्ष्य (10+ साल): जैसे रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) या बच्चों की उच्च शिक्षा.इसके लिए इक्विटी सबसे अच्छा विकल्प है.
- मीडियम-टर्म लक्ष्य (3-5 साल): जैसे कार खरीदना या घर के लिए डाउन पेमेंट.इसके लिए हाइब्रिड फंड (इक्विटी+डेट का मिश्रण) बेहतर हो सकता है.
- शॉर्ट-टर्म लक्ष्य (1-2 साल): इसके लिए लिक्विड फंड या शॉर्ट-टर्म डेट फंड सबसे सुरक्षित हैं.
टेबल देखकर समझें
उम्र (Age Group) | रिस्क प्रोफाइल (Risk Profile) | इक्विटी (Equity %) | डेट (Debt %) | गोल्ड/अन्य (Gold/Other %) |
25-35 साल | एग्रेसिव (Aggressive) | 70-80% | 15-20% | 5-10% |
40-50 साल | मॉडरेट (Moderate) | 50-60% | 30-40% | 10% |
55+ साल | कंजर्वेटिव (Conservative) | 20-30% | 60-70% | 10% |
उम्र के साथ बदलें स्ट्रैटेजी
40 की उम्र तक: इस उम्र में आप करियर में ग्रोथ कर रहे होते हैं और जोखिम लेने की क्षमता अधिक होती है.आप 70% इक्विटी, 20% डेट और 10% गोल्ड का एलोकेशन रख सकते हैं. इस दौरान लोन और बच्चों की जिम्मेदारी भी होती है, इसलिए एक इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं.
40 के बाद: जैसे-जैसे आपकी उम्र 50 की ओर बढ़ती है, जोखिम लेने की क्षमता कम होने लगती है. अब आपको पूंजी की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए.अपने इक्विटी निवेश को धीरे-धीरे कम करके 50% पर लाएं और डेट में निवेश बढ़ाएं.
रिटायरमेंट के करीब (55+): इस पड़ाव पर आपकी प्राथमिकता रेगुलर इनकम और स्थिरता होनी चाहिए.इक्विटी में अपना निवेश घटाकर 20-30% कर दें और 60-70% हिस्सा डेट फंड, सरकारी योजनाओं और एन्युटी प्लान में लगाएं ताकि आपको नियमित आय मिलती रहे.
एसेट एलोकेशन के फायदे
- ये बाजार के हर उतार-चढ़ाव में आपके निवेश को बचाता है.अगर शेयर बाजार गिरता है, तो सोना और डेट फंड आपके पोर्टफोलियो को सहारा देते हैं.
- ये आपको हर एसेट क्लास की तेजी का फायदा उठाने का मौका देता है.
- ये आपको भावनाओं में बहकर गलत फैसले लेने से रोकता है.
- आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए एक स्पष्ट रोडमैप देता है.
FAQs
1. एसेट एलोकेशन का सबसे अच्छा फॉर्मूला क्या है?
इसका कोई "सर्वश्रेष्ठ" फॉर्मूला नहीं है.सबसे अच्छा फॉर्मूला वो है जो आपकी उम्र, आय, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के अनुकूल हो.
2. मुझे अपने पोर्टफोलियो को कब-कब रीबैलेंस करना चाहिए?
आमतौर पर साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा और रीबैलेंसिंग करने की सलाह दी जाती है या फिर जब बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव के कारण आपका एलोकेशन 5-10% से ज्यादा बदल जाए.
3. क्या एसेट एलोकेशन सिर्फ बड़े निवेशकों के लिए है?
बिल्कुल नहीं! एक व्यक्ति जो हर महीने ₹5000 की SIP भी कर रहा है, वह भी अपनी SIP को अलग-अलग फंड्स (जैसे 70% इक्विटी फंड में, 30% डेट फंड में) में बांटकर एसेट एलोकेशन का लाभ उठा सकता है.
4. अगर मुझे इन चीजों की समझ नहीं है तो क्या करूं?
अगर आपको निवेश की गहरी समझ नहीं है, तो किसी सर्टिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर (Certified Financial Advisor) की मदद लेना सबसे बेहतर विकल्प है.
5. क्या रियल एस्टेट को एसेट एलोकेशन में शामिल करना चाहिए?
हां, रियल एस्टेट एक महत्वपूर्ण एसेट क्लास है. लेकिन ये बहुत इललिक्विड होता है (इसे तुरंत बेचा नहीं जा सकता). इसलिए, अपने कुल पोर्टफोलियो का एक निश्चित हिस्सा ही इसमें लगाएं और ध्यान रखें कि यह आपके शॉर्ट-टर्म लक्ष्यों के लिए उपयुक्त नहीं है.
डिस्क्लेमर- शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा है, इसलिए अगर आपको मार्केट की समझ नहीं है तो फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही कहीं निवेश का फैसला लें.
08:00 AM IST