UPS vs NPS: गारंटीड पेंशन चुनें या मार्केट रिटर्न पर बने रहें? रिटायरमेंट का फैसला लेने से पहले समझें पूरा गणित
UPS vs NPS: कौन सी पेंशन स्कीम है आपके लिए बेस्ट? जानें गारंटीड पेंशन (UPS) और मार्केट-लिंक्ड रिटर्न (NPS) के फायदे-नुकसान. टैक्स, कॉन्ट्रिब्यूशन और मैच्योरिटी का पूरा विश्लेषण, ताकि आप अपने रिटायरमेंट के लिए सही फैसला ले सकें.
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09:54 AM IST
Unified Pension System: यूपीएस (UPS) यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम में अप्लाई करने की आखिरी तारीख को 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया है. ऐसे में केंद्रीय कर्मचारियों के पास यूपीएस में अप्लाई करने के लिए अब तीन महीने का समय है. यूपीएस को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल से लागू किया गया है. अभी तक सभी कर्मचारियों का कॉन्ट्रीब्यूशन नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में हो रहा है. NPS एक मार्केट पर आधारित स्कीम है, वहीं UPS गारंटीड पेंशन देने वाली स्कीम है. दोनों में से किसी एक स्कीम के चुनाव का फैसला उनके रिटायरमेंट के बाद की लाइफ पर सीधेतौर पर असर डालेगा. ऐसे में कर्मचारियों के दिमाग में ये कन्फ्यूजन बना हुआ है कि उन्हें कौन सी स्कीम को चुनना चाहिए? क्या एनपीएस में ही बने रहना चाहिए या यूपीएस में स्विच कर लेना चाहिए? यहां जानिए दोनों स्कीम्स के नफा-नुकसान, ताकि आप भविष्य के लिए सही डिसीजन ले सकें.
यूपीएस में स्विच करने के फायदे
UPS का फायदा ये हैं कि इसके तहत 25 साल की सर्विस पूरी करने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का कम से कम 50 फीसदी फिक्स पेंशन और एकमुश्त रकम मिलेगी. एनपीएस में फिक्स्ड पेंशन वाला सिस्टम नहीं है. UPS में भी NPS की तरह कर्मचारियों को सैलरी का 10% कॉन्ट्रीब्यूशन देना होगा, लेकिन सरकार का इस स्कीम में कॉन्ट्रीब्यूशन 18.5 फीसदी होगा, जबकि एनपीएस में सरकार का कॉन्ट्रीब्यूशन 14 फीसदी है. UPS से मिलने वाली पेंशन में महंगाई दर के हिसाब से इजाफा भी किया जाएगा, जबकि NPS में ये फायदा नहीं है.
UPS में टैक्स
UPS के तहत मिलने वाली मासिक पेंशन आपकी आय मानी जाएगी और इस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. रिटायरमेंट पर मिलने वाली एकमुश्त रकम पर टैक्स कैसे लगेगा, इस पर अभी तक स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है.
NPS में बने रहने के फायदे क्या हैं?
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UPS की गारंटी आकर्षक लग सकती है, लेकिन NPS को पूरी तरह खारिज करने से पहले इसके फायदों को भी जान लें. NPS एक इन्वेस्टमेंट-कम-पेंशन प्लान है, जिसके अपने खास फायदे हैं:
बड़ा फंड बनाने का मौका
चूंकि NPS का पैसा इक्विटी (शेयर बाजार), सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट डेट में लगाया जाता है, इसलिए इसमें लंबे समय में एक बहुत बड़ा रिटायरमेंट फंड बनाने की क्षमता है. अगर बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है, तो आपका रिटर्न UPS की गारंटीड पेंशन से कहीं ज्यादा हो सकता है.
जबरदस्त टैक्स बेनिफिट
NPS टैक्स बचाने का एक बेहतरीन जरिया है. कैसे? समझिए-
- सेक्शन 80C: आप 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट पा सकते हैं.
- सेक्शन 80CCD(1B): इसके तहत आपको 50,000 रुपए की अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है, जो 80C की लिमिट के ऊपर है. यानी कुल 2 लाख रुपए का फायदा.
- सेक्शन 80CCD(2): अगर आपका एम्प्लॉयर (सरकार) आपके NPS अकाउंट में योगदान देता है, तो उस पर भी आपको टैक्स छूट मिलती है.
मैच्योरिटी और टैक्स का गणित: कहां लगेगा कितना टैक्स?
रिटायरमेंट पर हाथ में आने वाले पैसे पर टैक्स कैसे लगेगा, ये समझना बहुत जरूरी है. रिटायरमेंट पर आप कुल जमा फंड का 60% हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं, और ये रकम पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है. बाकी 40% हिस्से से आपको एन्युटी (Annuity) प्लान खरीदना होता है, जिससे आपको जीवन भर पेंशन मिलती है. इस पेंशन पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है.
UPS और NPS में सबसे बड़े अंतर क्या हैं?
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कौन सा विकल्प बेहतर है, यह समझने के लिए पहले दोनों के बीच के बुनियादी अंतर को जानना जरूरी है.
फीचर (Feature) | यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) | नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) |
पेंशन का प्रकार | फिक्स्ड और गारंटीड पेंशन का प्रावधान | पेंशन की रकम बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर निर्भर करती है, कोई गारंटी नहीं. |
कर्मचारी का योगदान | बेसिक सैलरी का 10% | बेसिक सैलरी का 10% |
सरकार का योगदान | 18.5% (ज्यादा योगदान) | 14% |
महंगाई से सुरक्षा | पेंशन में महंगाई दर (DA) के हिसाब से बढ़ोतरी होगी. | पेंशन में महंगाई के हिसाब से बढ़ोतरी का कोई प्रावधान नहीं है. |
न्यूनतम सर्विस | 25 साल की सर्विस पूरी करने पर आखिरी सैलरी का कम से कम 50% फिक्स पेंशन और एकमुश्त रकम. | ऐसी कोई शर्त नहीं है, आपका फंड आपके योगदान और रिटर्न पर निर्भर करता है. |
आपके लिए क्या है बेस्ट: UPS या NPS?
इसका कोई सीधा जवाब नहीं है. ये पूरी तरह से आपकी उम्र, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
आपको UPS कब चुनना चाहिए?
- अगर आप सुरक्षा चाहते हैं: यदि आप रिटायरमेंट के बाद कोई जोखिम नहीं लेना चाहते और एक फिक्स्ड, गारंटीड इनकम चाहते हैं, तो UPS आपके लिए बेस्ट है.
- महंगाई की चिंता: अगर आप चाहते हैं कि बढ़ती महंगाई के साथ आपकी पेंशन भी बढ़े, तो UPS का महंगाई भत्ता (DA) वाला फीचर आपके लिए बहुत फायदेमंद है.
- बाजार के उतार-चढ़ाव से डर: अगर आपको शेयर बाजार की समझ नहीं है या आप उसके जोखिम से बचना चाहते हैं, तो UPS एक सुरक्षित विकल्प है.
आपको NPS में कब रहना चाहिए?
- ज्यादा रिटर्न की उम्मीद: अगर आप थोड़ा जोखिम लेकर अपने रिटायरमेंट फंड को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं, तो NPS बेहतर साबित हो सकता है.
- टैक्स बचाना प्राथमिकता है: अगर आप हर साल 2 लाख रुपए तक का टैक्स बेनिफिट लेना चाहते हैं, तो NPS एक शानदार विकल्प है.
- जल्दी रिटायरमेंट या फ्लेक्सिबिलिटी: NPS आपको अपनी निवेश रणनीति चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी देता है और इसमें आप अपनी मर्जी से अतिरिक्त योगदान भी कर सकते हैं.
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