आपके पोर्टफोलियो में Asset Allocation का क्या है रोल, कैसे निवेशकों को मिलता है इसका फायदा?
एसेट एलोकेशन न केवल निवेश के जोखिम को कम करता है, बल्कि हाई रिटर्न की संभावनाएं भी मजबूत करता है. यही वजह है कि फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन की सलाह देते हैं.
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एसेट एलोकेशन एक सफल निवेश रणनीति का हिस्सा है. इसके जरिए निवेशक रिस्क और रिटर्न के बीच निवेश को बैलेंस करते हैं. एसेट एलोकेशन न केवल निवेश के जोखिम को कम करता है, बल्कि हाई रिटर्न की संभावनाएं भी मजबूत करता है. यही वजह है कि फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन की सलाह देते हैं. हालांकि इसका कोई एक सटीक फॉर्मूला नहीं होता. निवेशक की उम्र, फाइनेंशियल गोल्स और जोखिम लेने की क्षमता वगैरह को ध्यान में रखकर अपने पैसे को इक्विटी, गोल्ड, बॉन्ड या ऐसे दूसरे एसेट क्लास बांटा जाता है.
कैसे करें Asset Allocation?
उम्र (Age): युवा निवेशकों को इक्विटी में अधिक निवेश करना चाहिए, जबकि वरिष्ठ निवेशकों के लिए डेट और गोल्ड अधिक सुरक्षित होते हैं.
जोखिम सहने की क्षमता: जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार एसेट एलोकेशन करें.
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लक्ष्य और अवधि: अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुसार निवेश करें.
उदाहरण से समझिए
आमतौर पर 40 साल की उम्र तक लोग तेजी से ग्रोथ करते हैं और रिस्क लेने की क्षमता भी रखते हैं. ऐसे में अगर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो 70 फीसदी इक्विटी में, 20 फीसदी डेट फंड में और 10 फीसदी गोल्ड में लगा सकते हैं. इस उम्र पर आप लोन, बच्चों की पढ़ाई वगैरह तमाम जिम्मेदारियों का बोझ लेकर चलते हैं. ऐसे में आपको इमरजेंसी फंड जरूर तैयार करके रखना चाहिए.
40 के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़े तो आपको असेट एलोकेशन में चेंज करने की स्ट्रैटेजी को अपनाना चाहिए क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ जोखिम लेने की क्षमता कम होती है. इनकम के साधन घटने लगते हैं और स्थिरता चाहिए होती है. इसलिए उम्र बढ़ने के साथ इक्विटी में निवेश को कम करके दूसरे लो रिस्क वाले एसेट्स में रेशियो बढ़ा सकते हैं. जैसे 70% पैसा अगर इक्विटी में है तो उसे शिफ्ट करके पहले 50% पर लाएं और धीरे-धीरे करके 20-30% तक इक्विटी में रख सकते हैं. 60-70% तक डेट फंड में रखिए क्योंकि इसमें रिस्क कम है. इसके अलावा आप जरूरत के हिसाब से इंश्योरेंस, गोल्ड, रियल स्टेट, एफडी वगैरह में भी निवेश को बांट सकते हैं. अगर इस मामले में आपको समझ कम है तो आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं.
एसेट एलोकेशन के फायदे
एसेट एलोकेशन के तमाम फायदे हैं. पहला फायदा तो ये है कि ये तमाम उतार-चढ़ाव के बीच आपके निवेश को संतुलित रखता है. अगर शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो डेट इंस्ट्रूमेंट्स और गोल्ड में निवेश नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. तमाम एसेट क्लासेस में निवेश से पोर्टफोलियो को स्थिरता मिलती है. बाजार के उतार-चढ़ाव के समय सही एसेट एलोकेशन से निवेशक को नुकसान से बचाव में मदद मिलती है. इसके अलावा एसेट एलोकेशन से निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्य जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की शिक्षा, या घर खरीदने के लिए सही रणनीति बना सकते हैं.
Disclaimer: (शेयर बाजार में निवेश के जोखिमभरा है, इसलिए अगर आपको मार्केट की समझ नहीं है तो फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही कहीं निवेश का फैसला लें.)
03:30 PM IST