डरें नहीं, डटें! गिरते मार्केट में SIP बंद करने वाले बाद में पछताते हैं, समझें Rupee Cost Averaging का पूरा खेल
शेयर बाजार गिरने पर क्या SIP बंद कर देनी चाहिए? जानें क्यों यह एक बड़ी गलती हो सकती है और कैसे 'रुपये की लागत औसत' (Rupee Cost Averaging) का सिद्धांत गिरते बाजार में आपके लिए फायदेमंद साबित होता है. पढ़ें पूरी जानकारी और समझदारी से करें निवेश.
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07:03 PM IST
शेयर बाजार में जब भूचाल आता है और चारों तरफ लाल निशान दिखने लगते हैं, तो अच्छे-अच्छे निवेशकों का दिल घबराने लगता है. ऐसे में सबसे पहला विचार जो कई लोगों के मन में आता है, वह है अपनी मेहनत की कमाई को बचाने के लिए अपनी SIP (Systematic Investment Plan) को तुरंत रोक देना या बंद कर देना. अगर आपके मन में भी ऐसा ख्याल आ रहा है, तो रुकिए! यह फैसला आपको लंबी अवधि में फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है और बाद में पछतावे का कारण बन सकता है.
क्यों है SIP बंद करना एक बड़ी गलती?
शेयर बाजार का स्वभाव ही उतार-चढ़ाव वाला है. यह कभी ऊपर जाता है, तो कभी नीचे. लेकिन इतिहास गवाह है कि लंबी अवधि में बाजार ने हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है. SIP का मूल सिद्धांत ही यही है कि आप अनुशासित तरीके से नियमित निवेश करते रहें, चाहे बाजार ऊपर हो या नीचे. जब आप गिरते बाजार में SIP बंद कर देते हैं, तो आप एक बहुत बड़े फायदे से चूक जाते हैं, जिसे कहते हैं - रुपये की लागत औसत (Rupee Cost Averaging).
क्या है ये 'रुपये की लागत औसत' का खेल?
'रुपये की लागत औसत' एक ऐसी रणनीति है जो SIP को खास बनाती है, खासकर जब बाजार में गिरावट हो. आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
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मान लीजिए, आप हर महीने ₹5,000 की SIP एक इक्विटी म्यूचुअल फंड में करते हैं.
पहला महीना (बाजार अच्छा है): फंड की NAV (Net Asset Value - यानी एक यूनिट की कीमत) ₹50 है.
आपके ₹5,000 में आपको यूनिट्स मिलीं = 5000 / 50 = 100 यूनिट्स.
दूसरा महीना (बाजार थोड़ा गिरा): NAV गिरकर ₹40 हो गई.
आपके ₹5,000 में आपको यूनिट्स मिलीं = 5000 / 40 = 125 यूनिट्स.
तीसरा महीना (बाजार और गिरा): NAV गिरकर ₹25 हो गई.
आपके ₹5,000 में आपको यूनिट्स मिलीं = 5000 / 25 = 200 यूनिट्स.
अब देखिए, जब बाजार गिर रहा था, तो आप उसी ₹5,000 की SIP से पहले के मुकाबले ज्यादा यूनिट्स खरीद पा रहे थे. अगर आपने दूसरे या तीसरे महीने में डरकर SIP बंद कर दी होती, तो आप इन सस्ती यूनिट्स को खरीदने का मौका गंवा देते.
कुल निवेश और यूनिट्स (3 महीनों में)
- कुल निवेश = ₹5000 + ₹5000 + ₹5000 = ₹15,000
- कुल यूनिट्स = 100 + 125 + 200 = 425 यूनिट्स
- आपकी प्रति यूनिट औसत खरीद लागत = ₹15,000 / 425 यूनिट्स = लगभग ₹35.29 प्रति यूनिट.
- जबकि आपने यूनिट्स ₹50, ₹40, और ₹25 के भाव पर खरीदी थीं.
अब जादू देखिए जब बाजार वापस चढ़ता है
मान लीजिए, कुछ समय बाद बाजार सुधरता है और NAV वापस ₹50 पर पहुंच जाती है.
आपके 425 यूनिट्स की कुल कीमत = 425 * ₹50 = ₹21,250.
आपका कुल लाभ = ₹21,250 - ₹15,000 = ₹6,250.
अगर आपने सिर्फ पहले महीने निवेश करके SIP रोक दी होती, तो आपके पास सिर्फ 100 यूनिट्स होतीं और जब NAV ₹50 होती, तो आपका निवेश ₹5000 ही रहता (बिना लाभ-हानि के, लागत पर). लेकिन लगातार SIP जारी रखने से आपने गिरावट का फायदा उठाया और जब बाजार सुधरा तो आपको बेहतर रिटर्न मिला.
लंबी अवधि का नजरिया है जरूरी
SIP कोई जादू की छड़ी नहीं है जो रातों-रात अमीर बना दे. यह लंबी अवधि के लिए धैर्य और अनुशासन का खेल है. बाजार के अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराकर फैसले लेना आपके वित्तीय लक्ष्यों को नुकसान पहुंचा सकता है.
तो क्या करें जब बाजार गिरे?
- शांत रहें: घबराहट में कोई भी फैसला न लें.
- SIP जारी रखें: अपने अनुशासित निवेश को न तोड़ें. यही वह समय है जब आप कम कीमत पर अधिक यूनिट्स जमा कर सकते हैं.
- संभव हो तो टॉप-अप करें: अगर आपके पास अतिरिक्त फंड हैं, तो गिरते बाजार में एकमुश्त या अपनी SIP की राशि थोड़ी बढ़ाने (टॉप-अप) पर विचार कर सकते हैं. यह आपकी औसत खरीद लागत को और कम कर सकता है.
- अपने वित्तीय सलाहकार से बात करें: अगर आप बहुत चिंतित हैं, तो अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें.
याद रखें, सफल निवेशक वही बनते हैं जो बाजार के शोर से प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहते हैं और अनुशासित निवेश करते हैं. गिरता बाजार डरावना लग सकता है, लेकिन SIP निवेशकों के लिए यह एक छिपा हुआ अवसर भी है. इसलिए, डरें नहीं, डटें!
(Disclaimer: म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए.)
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