बड़ी एयूएम वाली MUTUAL FUND स्कीम में निवेश करना फायदेमंद, 1 अप्रैल से नया नियम
mutual fund: जानकारों का कहना है कि जिन स्कीम का एयूएम 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा, उनमें टीईआर कम होगा. अगर 25 आधार अंक भी कमीशन में कमी होती है तो लंबी अवधि में निवेशकों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है.
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 1 अप्रैल से इस संबंध में नया नियम लागू किया है. (रॉयटर्स)
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 1 अप्रैल से इस संबंध में नया नियम लागू किया है. (रॉयटर्स)
जब इक्विटी केंद्रित म्यूचुअल फंड में निवेश की बात आती है तो सवाल उठता है कि आखिर किस तरह की स्कीम में निवेश करना सही है. बड़ी स्कीम और छोटी स्कीम में क्या सही है ये समझना जरूरी है. बीते 1 अप्रैल 2019 से इक्विटी केंद्रित म्यूचुअल फंडों में निवेश करना सस्ता हो गया है. इसकी वजह है कुल खर्च अनुपात (टीईआर) में ताजा बदलाव. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 1 अप्रैल से इस संबंध में नया नियम लागू किया है. इसके तहत अब जितनी छोटी फंड कैटेगरी होगी, उसका कुल खर्च अनुपात (टीईआर) उतना ज्यादा होगा. कमीशन कम होने से वितरक निवेशकों को बड़ी स्कीमों से छोटी स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं जो निवेशकों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
इसके मुताबिक जैसे-जैसे कैटेगरी का एयूएम बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे उसका टीईआर कम होता जाएगा. इस तरह से अगर निवेशकों को ज्यादा लाभ चाहिए तो उन्हें बड़ी इक्विटी स्कीमों पर फोकस करना होगा. क्योंकि छोटे एयूएम वाली स्कीमों के लिए निवेशकों को ज्यादा कमीशन का भुगतान करना होगा, जो फंड वितरकों की जेब में जाएगा.
टीईआर कम करने से निवेशकों को फायदा
म्यूचुअल फंड कंपनियां पैसे का प्रबंधन करने के लिए निवेशकों से फीस वसूलती हैं, जिसे टोटल एक्सपेंस रेशियो (टीईआर) कहा जाता है और इसे कम करने से निवेशकों को यह फायदा होगा कि इस तरह की म्यूचुअल फंडों की बड़ी इक्विटी स्कीमों में निवेश करना उनके लिए सस्ता हो जाएगा. सस्ता इसलिए क्योंकि निवेशक जो निवेश करेगा, उस पर फंड के वितरकों को मिलनेवाला कमीशन कम हो जाएगा और यह कमीशन की राशि निवेशकों के खातों में जाएगी. जबकि निवेशकों को छोटी स्कीमों में निवेश के लिए ज्यादा खर्च करना होगा. वर्तमान प्रावधान के मुताबिक, टीईआर 2.25 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है.
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इन स्कीम का एयूएम 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा
आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह की 11 इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जिनका एयूएम 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. इसमें एचडीएफसी बैलेंस एडवांटेज फंड का एयूएम 38,531 करोड़, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के बैलेंस एडवांटेज फंड का एयूएम 28,809 करोड़, एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड का 28,413 करोड़, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इक्विटी एवं डेट का 25,914 करोड़, एचडीएफसी हाइब्रिड इक्विटी का 21,814 करोड़, आदित्य बिड़ला सन लाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी का 21,082 करोड़ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ब्लूचिप फंड का एयूएम 20,293 करोड़ रुपये है.
इनका टीईआर होगा कम
जानकारों का कहना है कि जिन स्कीम का एयूएम 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा, उनमें टीईआर कम होगा. अगर 25 आधार अंक भी कमीशन में कमी होती है तो लंबी अवधि में निवेशकों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है. सेबी के इस नियम के बाद म्यूचुअल फंड सलाहकार ज्यादा कमीशन के लिए छोटे आकार वाली कटेगरी को बेचने पर फोकस करेंगे और बड़ी कटेगरी के पैसों को निकालकर छोटी कटेगरी में ले जाएंगे. लेकिन निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि लार्ज कैप स्कीम ज्यादा फायदेमंद होती हैं और इन पर पैसे की निकासी (रिडंम्प्शन) का कोई असर नहीं होगा. उल्टे इसमें खरीदारी ही बढ़ेगी.
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निवेशकों को इतना करना होगा खर्च
नए स्लैब से 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की परिसंपत्ति वाले इक्विटी फंड का टीईआर घटेगा. 2000 करोड़ से कम परिसंपत्ति वाले फंडों का टीईआर पहले की तरह बना रहेगा. इस कदम से 5,000 करोड़ रुपये के संपत्ति वाले फंड के टीईआर में 0.09 फीसदी की कमी आएगी. लेकिन, 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के एयूएम वाले फंड के टीईआर में 0.28 फीसदी की कटौती देखने को मिलेगी. इसका मतलब यह हुआ कि 2 फीसदी एक्सपेंस रेशियो दे रहे निवेशकों को अब 1.72-1.75 फीसदी खर्च करने होंगे.
05:09 PM IST