सिर्फ बैंक में पैसे बचाने से नहीं बनेगी बात, सही निवेश से आत्मनिर्भर बनेंगे आप
अच्छा निवेशक बनने के लिए आपको लालच और जोखिम के ज्यादा डर से बचना चाहिए.
ज्यादातर लोग पैसा बचाते हैं. भविष्य में हमारे जो भी आर्थिक टारगेट्स हैं उन्हें पूरा करने के लिए हम बचत करते हैं. निवेश की जब भी बात आती है तो ज्यादातर लोग बैंक के सेविंग अकाउंट (Bank Account) या फिर फिक्स्ड डिपोजिट का हवाला देते हैं.
सवाल उठता है कि क्या सही मायने में यह निवेश है. क्या बैंक में निवेश (Investment) से आप आने वाले समय में आत्मनिर्भर बन सकते हैं. क्या बैंक में पड़े पैसे से मुनाफा कमाया जा सकता है.
फुल सर्किल फाइनेंशियल प्लानर एंड एडवायजर्स के कल्पेश आशर कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं.
आत्मनिर्भर निवेशक
अगर आप वाकई एक आत्मनिर्भर निवेशक (self dependent Investor) बनना चाहते हैं तो आपको खुद से कई सवाल पूछने होंगे. मसलन, आप लंबी अवधि के निवेशक हैं या शॉर्ट टर्म ट्रेडर, आप टारगेट शॉर्ट टर्म के हैं या फिर लॉन्ग टर्म के लिए. एक अच्छे निवेशक को निवेश के अलग-अलग ऑप्शन की जानकारी हो चाहिए.
अच्छा निवेशक बनें
अच्छा निवेशक बनने के लिए आपको लालच और जोखिम के ज्यादा डर से बचना चाहिए. अच्छा निवेशक अपनी सीमाएं और क्षमताओं को अच्छी तरह से समझता है. निवेश को लेकर जागरूक बनें, टेक्नोलॉजी से दोस्ती करें.
आत्मनिर्भरता क्या है
वित्तीय टारगेट के मुताबिक पोर्टफ़ोलियो तैयार करना. दूसरों को देखकर निवेश करने की आदत से दूर रहना. वित्तीय फैसलों को बदलते मौसम के साथ न बदलना और बाजार के उतार-चढ़ाव को सहने के लिए तैयार रहना ही निवेश में आत्मनिर्भरता हासिल करना है.
ध्यान रखें कि लक्ष्यों के मुताबिक किया गया निवेश ही फायदेमंद होता है. निवेश का मकसद सिर्फ रिटर्न जुटाना नहीं बल्कि टारगेट को पूरा करना होना चाहिए. असेट अलोकेशन करना सीखें और सही सलाह को अपनाएं. निवेश का मकसद सिर्फ पैसा बचाना नहीं बल्कि पैसे से पैसा बनाना होना चाहिए.
असेट अलोकेशन
असेट अलोकेशन निवेश की राह तय करता है. हमेशा टारगेट और टाइम के हिसाब से असेट क्लास चुनें. लंबी अवधि में इक्विटी और शॉर्ट टर्म के लिए डेट फंड में निवेश करना चाहिए.
कम उम्र में निवेश शुरू कर रहे हैं तो इक्विटी में ज्यादा निवेश करें, डेट फंड का रेश्यो कम होना चाहिए. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है फंड को डेट में शिफ्ट करते रहें.
डायवर्सिफिकेशन जरूरी
निवेश में डायवर्सिफिकेशन की भूमिका बहुत ही अहम होती है. अलग-अलग असेट क्लास में निवेश करना ही डायवर्सिफिकेशन कहलाता है. अगर एक असेट का रिजल्ट निगेटिव मिल रहा है तो दूसरी असेट हमें सहारा देगी. डायवर्सिफिकेशन अच्छा रिटर्न दिलाने में मददगार होता है.
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डायवर्सिफिकेशन कैसा होना चाहिए
अपने निवेश को अलग-अलग असेट क्लास में बांट कर रखें. इक्विटी और डेट में से अलग-अलग असेट चुनें. इक्विटी लंबी अवधि में पैसा बनाने में मदद करता है. डेट फंड आपके पोर्टफोलियो में कम उथल-पुथल करता है. पोर्टफोलियो को समय-समय पर रिव्यू करते रहें.
निवेश में गलती होना स्वाभाविक है. लेकिन गलती होने के बाद निवेश बंद नहीं करें. निवेश में जरूरी बदलाव कर जारी रखें.
08:30 AM IST