ITR Filing: शेयर बाजार में 10 लाख से ज्यादा निवेश पर रिटर्न फाइल करना जरूरी; एक्सपर्ट से समझिये क्या है नियम
ITR Filing: वित्त वर्ष 2022 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2022 थी. अगर आप यह डेडलाइन चूक गए हैं, तो आप 31 दिसंबर 2022 तक निर्धारित पेनल्टी के साथ रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.
(Representational Image)
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ITR Filing 2022: वित्त वर्ष 2022 के लिए रिटर्न फाइल करने से क्या आप चूक गए हैं? घबराएं नहीं, आपके पास पेनल्टी के साथ 31 दिसंबर 2022 तक आईटीआर भरने का मौका है. अगर आप एक इन्वेस्टर हैं और शेयर बाजार में स्टॉक्स व सिक्युरिटीज का सौदा करते हैं, तो आपके लिए रिटर्न भरना जरूरी है. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड या डिबेंचर में आपका निवेश एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी. एक्सपर्ट का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी ओर से दर्ज किए गए इन हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन्स के बारे में सब कुछ जानता है, भले ही आप इसे खुद डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी दे या नहीं. एक साल के दौरान किसी व्यक्ति की ओर से किए गए स्पेशिफिक फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का ट्रैक रखने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अलग-अलग डेटा एनॉलसिस तकनीकों का इस्तेमाल करता है.
CA मनीष गुप्ता का कहना है, अगर म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड या डिबेंचर में आपका निवेश एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी सूचना डिपार्टमेंट को देनी होगी. अगर कोई टैक्सपेयर ऐसे निवेशों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से छिपाने की कोशिश करता है, तो भी वह ऐसा नहीं कर पाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे निवेशों की डीटेल टैक्सपेयर के एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS में इनकम टैक्स पोर्टल पर खुद ही दिखाई देगा, और डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी मिल जाएगी.
सेक्शन 143 और 148 में आ सकता है नोटिस
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मनीष गुप्ता कहते हैं, अगर कोई व्यक्ति अपना आईटीआर दाखिल नहीं करता है या निवेश के लेकर सही-सही जानकारी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध नहीं कराता है, तो टैक्स डिपार्टमेंट दंडात्मक कार्रवाई शुरू कर सकता है. इन्वेस्टर/टैक्सपेयर को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 143 और 148 के अंतर्गत नोटिस मिल सकता है. नोटिस जारी करके, विभाग टैक्सपेयर से इस तरह के निवेश के बारे में अलग-अलग डीटेल मांग सकता है, जैसेकि इस तरह के निवेश करने के लिए इस्मेमाल के लिए पैसे का सोर्स क्या है.
इनकम टैक्स नोटिस से कैसे बचें?
निर्धारिती (टैक्सपेयर/इन्वेस्टर) अक्सर अपनी इनकम का सोर्स दिखाने से बचते हैं या अपनी टैक्स लॉयबिलिटी को कम करने के लिए आईटीआर में कम आय दिखाते हैं. लेकिन, वे यह नहीं जानते कि आईटी डिपार्टमेंट को उनके फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की पूरी जानकारी है. इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय अपनी इनकम और निवेश के सभी सोर्स को ठीक से बताना बेहतर है. ऐसे में शेयर या सिक्युरिटीज में निवेश पर नोटिस न मिले, इसके लिए कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए.
- आपको नियत तारीख से पहले अपना ITR फाइल करना चाहिए.
- आपको सभी TDS एंट्री को क्रॉस-चेक करना चाहिए और सत्यापित करना चाहिए कि आपके फॉर्म 26AS में रिपोर्ट किए गए हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन सही हैं या नहीं.
- आपको अपना ITR फाइल करने से पहले AIS को वेरिफाई करना चाहिए.
- अगर आपका एक वित्त वर्ष के दौरान निवेश राशि 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आपको शेयरों और सिक्योरिटीज में अपने निवेश की डीटेल पूरी तरह देनी चाहिए.
- आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टैक्स लॉयबिलिटीता, अगर कोई हो, तो उसकी कैलकुलेशन सही की गई है और ऐसे लेनदेन पर टैक्स पेमेंट किया गया है.
- आपको अपने सभी हाई वैल्यू वाले फाइनेंशियल ट्रांजैकशन, निवेश और खर्चों का रिकॉर्ड रखना चाहिए.
कम्प्लायंस के लिए टैक्स डिपार्टमेंट का ई-अभियान
सीए मनीष गुप्ता कहते हैं, टैक्स कानूनों के वॉलेंटरी कम्प्लायंस को बढ़ावा देने के मकसद से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए एक ई-अभियान शुरू किया है. यह अभियान उन टैक्सपेयर्स पर फोकस है, जो रिटर्न फाइल नहीं करते हैं या उनकी इनकम डीटेल में खामी/मिसमैच है. इस ई-अभियान के अंतर्गत टैक्स डिपार्टमेंट अलग-अलग सोर्सेस जैसे SFT, TDS, TCS आदि से मिली जानकारी के आधार पर वेरिफिकेशन के बाद ईमेल या एसएमएस भेजा है.
ऐसी सूचना मिलने पर टैक्सपेयर को फीडबैक देना चाहिए, भले ही उसने अपना रिटर्न सही तरीके से फाइल किया हो. इससे टैक्सपेयर भविष्य में नोटिस से बच सकता है. हालांकि, अगर डिपार्टमेंट ई-अभियान कम्युनिकेशन पर टैक्सपेयर के जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो वह टैक्स रिटर्न को संसाधित करेगा और उसे सेक्शन 143(1) के अंतर्गत एक नोटिस जारी करेगा. ऐसा नोटिस मिलने पर, उसे हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन पर एडिशनल टैक्स लॉयबिलिटी बनती है, तो उसे चुकानी होगी.
05:48 PM IST