Budget 2023 Expectations: इंश्योरेंस पर 80C की लिमिट बढ़ाएगी सरकार? Insurance सेक्टर को वित्तमंत्री से हैं ये उम्मीदें
Budget 2023 Expectations: इंश्योरेंस सेक्टर देश के कुछ बड़े बाजारों में से एक है, इंश्योरेंस कंपनियों के साथ-साथ इससे आम आदमी का भी फायदा जुड़ा है, ऐसे में इस सेक्टर की उम्मीदें दोगुनी हो जाती हैं.
Budget 2023: इंश्योरेंस सेक्टर को बजट से कई उम्मीदें. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Budget 2023: इंश्योरेंस सेक्टर को बजट से कई उम्मीदें. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Budget 2023 Expectations: कुछ दिनों में आम बजट (Union Budget for 2023–24) पेश होने वाला है. उसके पहले हर सेक्टर से उम्मीदें और आशाएं निकलकर बाहर आ रही हैं कि इस बजट से उन्हें क्या (Budget Expectations) चाहिए. इंश्योरेंस सेक्टर देश के कुछ बड़े बाजारों में से एक है, इंश्योरेंस कंपनियों के साथ-साथ इससे आम आदमी का भी फायदा जुड़ा है, ऐसे में इस सेक्टर की उम्मीदें दोगुनी हो जाती हैं. इस बार इंश्योरेंस सेक्टर को क्या चाहिए, इसे लेकर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है, आइए जानते हैं.
इंश्योरेंस सेक्टर को बजट से क्या चाहिए?
Bajaj Allianz General Insurance के MD और CEO तपन सिंघल ने सेक्टर की उम्मीदों पर कहा कि "सभी राज्यों में Universal Healthcare for all लागू होना चाहिए. इससे देश की GDP में 1.2% इज़ाफ़ा होगा. गंभीर नुकसान को कवर करने वाले Parametric insurance को बढ़ावा देना चाहिए." उन्होंने कहा कि डाटा का सही इस्तेमाल होना चाहिए. रोड एक्सीडेंट के वक्त डाटा के इस्तेमाल से क्लेम आसान होगा.5G के इस्तेमाल से इंश्योरेंस की पहुंच बढ़नी चाहिए.
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इंश्योरेंस लेने वालों को कैसे पहुंचे फायदा?
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इंश्योरेंस लेने वाले एक आम आदमी के लिए बजट में क्या बदलाव किए जा सकते हैं, इसपर सिंघल ने कहा कि सबसे पहले तो पेंशन के दायरे में टैक्स छूट बढ़नी चाहिए. वहीं, ULIP प्लान्स का दायरा 80c के तहत बढ़ता है तो इंश्योरेंस का दायरा बढ़ेगा. 1% इंश्योरेंस का दायरा बढ़ता है तो 12% टैक्सपेयर बढ़ते हैं. इसके अलावा, CSR यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत यह अनिवार्य हो कि हर इंप्लॉयर, इंप्लॉई का इंश्योरेंस करे और इम्पलॉयर को टैक्स बेनेफिट मिले. उन्होंने ऑटो इंश्योरेंस पर कहा कि देश में 40-50% ऐसे व्हीकल्स हैं, जो इंश्योर्ड नहीं हैं. लोगों को इंश्योरेंस रिमाइंडर के लिए नोटिफिकेशन मिलना चाहिए.
यूनिवर्सल हेल्थकेयर सभी राज्यों में लागू होना चाहिए : तपन सिंघल, MD & CEO, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस
— Zee Business (@ZeeBusiness) January 20, 2023
देखिए तपन सिंघल के साथ #ZeeBusiness की खास बातचीत@Ektaexplores | @tapansinghel | @BajajAllianz pic.twitter.com/YsMtgkC153
Insurance के लिए अलग से टैक्स एक्जेम्पशन स्लैब (Tax Exemption Slab on Insurance)
Shriram Life Insurance के MD और CEO Casparus J H Kromhout ने कहा कि "देश में इंश्योरेंस सेक्टर की पैठ अभी भी कम है और बड़ा हिस्सा बिना इंश्योरेंस के है. इस बजट में इंश्योरेंस को ज्यादा आसान और अफोर्डेबल बनाकर इसे ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. इंश्योरेंस को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट और सुरक्षा कवच की तरह देखते हुए सरकार इसके लिए अलग से टैक्स एक्जेम्पशन स्लैब ला सकती है, जोकि अभी 80C के अंदर ही कवर किया जाता है, इससे ज्यादा लोग इंश्योरेंस लेने को प्रेरित होंगे. साथ ही लाइफ प्रोटेक्शन प्रीमियम पर लगने वाले 18% GST को कम करना चाहिए. सरकार को बढ़ती उम्र के लोगों के बारे में सोचना चाहिए और एनुइटी प्रॉडक्ट्स पर टैक्स कन्सेशन देना बहुत कारगर होगा."
टैक्स स्लैब बढ़ाए, महिलाओं और लोअर इनकम ग्रुप को पहुंचे फायदा
इंश्योरेंस एक्सपर्ट सुशील जैन ने कहा कि "कोविड के बाद इंश्योरंस की अहमियत देखी जा रही है, टाइम है कि लोगों को लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. डिडक्शन लिमिट बढ़ाने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह टैक्सपेयर्स पर ही लागू होगा, जोकि बस 5% ही हैं. सरकार को महंगाई और मंदी को देखते हुए बेसिक टैक्स स्लैब को बढ़ाना चाहिए साथ ही सरकार के रेगुलर हेल्थ चेकअप पर टैक्स रिलीफ लाना चाहिए. सीनियर सिटीजंस के लिए सरकार उनके इंटरेस्ट इनकम पर डिडक्शन दे सकती है." महिलाओं और आर्थिक रूप से निम्नवर्ग के लिए इंश्योरंस की पहुंच पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "इंश्योरेंस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार को एडिशनल टैक्स बेनेफिट देना चाहिए. छोटे और मध्यव वर्ग के बिजनेस को इसके लिए उत्साहित किया जाना चाहिए कि वो अपने कुशल और अकुशल श्रमिकों को टैक्स बेनेफिट्स के जरिए इंश्योरेंस दें."
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80C की लिमिट बढ़ाने की उम्मीदें (80C Rebate Limit)
फाइनेंशियल एडवाइजर दीप्ति भार्गव ने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर में सबसे बड़ी उम्मीद तो यही है कि सरकार सेक्शन 80C में रिबेट की लिमिट बढ़ाए. 1.5 लाख की लिमिट को 3 लाख करने से लोगों को काफी राहत मिलेगी और दूसरा हाउसिंग लोन पर भी अगर रिबेट बढ़ जाती है तो उसमें भी फायदा मिलेगा. पहले जो मैच्योरिटी अमाउंट होता था, वो 10 (10D) में टैक्स फ्री होती थी, लेकिन अब कुछ पॉलिसीज़ में 10 (10d) के तहत यह अमाउंट टैक्सेबल होता है, तो सरकार अगर इसपर भी रिबेट दे दे तो वो भी बहुत अच्छा रहेगा.
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