Equity या Debt: कहां लगाएं पैसा? समझें रिस्क और रिटर्न का गणित, फिर तय करें आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेस्ट
Equity और Debt में निवेश को लेकर कन्फ्यूज़ हैं? यहां जानें दोनों के नफा-नुकसान, रिटर्न की कैलकुलेशन इसके बाद ये तय करें कि आपके लिए किस ऑप्शन को चुनना फायदे की डील है.
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02:02 PM IST
पैसा कमाना जितना जरूरी है, उसे सही जगह पर निवेश (Invest) करना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है. जब भी निवेश की बात आती है, तो इक्विटी (Equity) और डेट (Debt) के ऑप्शन दिमाग में जरूर आते हैं. मार्केट में निवेश करने के ये दो अलग-अलग विकल्प हैं. कुछ लोग शेयर बाजार में Equity के ऊंचे रिटर्न को पसंद करते हैं, तो कुछ लोग Debt Fund की सुरक्षा को पसंद करते हैं. आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेहतर है, इसका जवाब आपकी उम्र, फाइनेंशियल गोल्स और आपके जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है. यहां जानिए इन दोनों ऑप्शंस के रिस्क और रिटर्न का गणित, फिर खुद तय कीजिए आपके लिए कौन सा विकल्प ज्यादा अच्छा है.
इक्विटी क्या है? (What is Equity?)
इक्विटी में निवेश करने का सीधा मतलब है किसी कंपनी के शेयर खरीदना, यानी उस कंपनी में हिस्सेदारी लेना. जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के मुनाफे और घाटे में एक छोटे हिस्सेदार बन जाते हैं.
क्या हैं फायदे ( Know the Pros)
हाई रिटर्न (High Return)
अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो आपके निवेश की वैल्यू बहुत तेजी से बढ़ सकती है. लम्बे समय में इक्विटी ने दूसरे सभी एसेट क्लास से बेहतर रिटर्न दिया है. यह महंगाई को मात देने का सबसे अच्छा तरीका है.
वेल्थ क्रिएशन (Wealth Creation)
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लम्बे समय तक निवेशित रहने पर यह आपके लिए बड़ी दौलत बना सकता है.
क्या हैं नुकसान (Know the Cons)
हाई रिस्क (High Risk)
इसमें बाजार का जोखिम जुड़ा होता है. अगर कंपनी या बाजार खराब प्रदर्शन करता है, तो आपके निवेश की वैल्यू तेजी से घट सकती है, यहाँ तक कि मूलधन का भी नुकसान हो सकता है.
डेट क्या है? (What is Debt?)
डेट में निवेश करने का मतलब है किसी कंपनी या सरकार को एक निश्चित ब्याज दर पर पैसा उधार देना. जब आप डेट इंस्ट्रूमेंट जैसे कि बॉन्ड, डिबेंचर या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा लगाते हैं, तो आप एक तरह से कर्जदाता बन जाते हैं.
क्या हैं फायदे (Know the Pros)
कम जोखिम (Low Risk)
ये एक सुरक्षित निवेश विकल्प है क्योंकि इसमें आपको एक निश्चित और पहले से तय रिटर्न मिलता है. बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर सीधा असर नहीं होता.
पूंजी की सुरक्षा (Capital Protection)
अगर आप बहुत जोखिम लेने की कंडीशन में नहीं हैं, तो इस ऑप्शन को चुन सकते हैं क्योंकि इसमें आपका मूलधन काफी हद तक सुरक्षित रहता है.
क्या हैं नुकसान (Know the Cons)
कम रिटर्न (Low Return)
इसका रिटर्न इक्विटी की तुलना में काफी कम होता है और कई बार ये महंगाई दर को भी मात नहीं दे पाता, जिससे आपके पैसे की वास्तविक कीमत समय के साथ घट जाती है.
उदाहरण से समझें रिटर्न का गणित
मान लीजिए, आप 1,00,000 रुपए को 10 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं.
इक्विटी में निवेश
इक्विटी म्यूचुअल फंड में औसतन 12% का वार्षिक रिटर्न
कैलकुलेशन: 10 साल बाद आपकी रकम ₹3,10,585 हो जाएगी.
डेट में निवेश
अगर आप यही पैसा किसी डेट इंस्ट्रूमेंट में लगाते हैं, तो औसतन वार्षिक रिटर्न 7% के आसपास
कैलकुलेशन: 10 साल बाद आपकी रकम ₹1,96,715 हो जाएगी.
आप साफ देख सकते हैं कि लम्बे समय में इक्विटी ने डेट की तुलना में ₹1,13,870 रुपए ज्यादा कमाकर दिए. यही Wealth Creation की ताकत है. लेकिन याद रखें कि ये ऊंचा रिटर्न ऊंचे जोखिम के साथ आता है.
इक्विटी vs. डेट: आपके लिए क्या है सही?
1. अगर आप युवा निवेशक हैं (20-35 साल)
आपका लक्ष्य वेल्थ क्रिएशन, घर खरीदना, जल्दी रिटायर होना है और आपकी रिस्क क्षमता भी अच्छी खासी है तो आपको अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा (70-80%) इक्विटी में लगाना चाहिए. आपके पास काफी समय है, इसलिए आप बाजार के उतार-चढ़ाव को झेल सकते हैं और लम्बे समय में शानदार रिटर्न कमा सकते हैं. बाकी 20-30% पैसा डेट में लगाकर पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकते हैं.
2. अगर आप मध्य आयु वर्ग में हैं (35-50 साल) और आपके फाइनेंशियल गोल्स बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट प्लानिंग है और जोखिम लेने की क्षमता मध्यम है तो आपको संतुलित अप्रोच अपनानी चाहिए. अपने पोर्टफोलियो को 50-60% इक्विटी और 40-50% डेट में बांट सकते हैं. ये आपको ग्रोथ के साथ-साथ सुरक्षा भी देगा.
3. अगर आप रिटायरमेंट के करीब हैं, उम्र 50 साल या इससे ज्यादा है तो आपका लक्ष्य पूंजी की सुरक्षा, नियमित आय होगा. ऐसे में आपके पास रिस्क लेने की क्षमता काफी कम होगी. अब आपका फोकस वेल्थ क्रिएशन से ज़्यादा वेल्थ प्रोटेक्शन पर होना चाहिए. ऐसे में अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा (70-80%) डेट में लगाएं ताकि आपको एक निश्चित आय मिलती रहे और आपका मूलधन सुरक्षित रहे. बाकी 20-30% इक्विटी में लगाकर आप महंगाई को मात दे सकते हैं.
02:02 PM IST