LIC पॉलिसी लेते वक्त न छुपाएं ये अहम जानकारी, डूब सकता है आपका पूरा पैसा!
महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में तेजी आई है. हेल्थ इंश्योरेंस से लेकर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालाों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी छुपाना सही नहीं है. यहीं निवेशक से गलती होती है.
अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी छुपाना सही नहीं है. यहीं निवेशक से गलती होती है.
महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में तेजी आई है. हेल्थ इंश्योरेंस से लेकर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालाों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. लेकिन, बिना सोचे और पूरी जानकारी के बिना कोई भी इंश्योरेंस लेना सही नहीं है. लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) को सबसे भरोसेमंद इंश्योरेंस कंपनी माना जाता है. इसमें निवेश करने वाले अपने पैसे को सेफ मानते हैं. सरकारी कंपनी होने और आपके निवेश पर सरकारी गारंटी के चलते भरोसा और बढ़ जाता है. लेकिन, LIC की पॉलिसी लेते समय अगर अपने कुछ गलती कर दी तो आपके पूरा पैसे डूब सकता है. निवेश करने से पहले अगर डॉक्यूमेंट्स को लेकर कोई जानकारी छुपी रह गई तो आपको झटका लग सकता है.
क्यों लग सकता है झटका?
दरअसल, पॉलिसी खरीदते वक्त कई बार हम डॉक्यूमेंटेशन में नहीं फंसना चाहते. काम आसानी से हो जाए और कम प्रीमियम में आपको ज्यादा मुनाफे की चाहत रहती है. लेकिन, इस आसानी के चक्कर में आप एजेंट के काम को और आसान करते हैं. दरअसल, कई पॉलिसी में मेडिकल टेस्ट जरूरी होता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में लोग इससे बचना चाहते हैं. बिना मेडिकल एग्जामिन के ही पॉलिसी ले लेते हैं. लेकिन, अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी छुपाना सही नहीं है. यहीं निवेशक से गलती होती है.
सच-सच बताएं बात
बीमा एजेंट के बहकावे में अगर कोई सूचना छुपाई जाती है तो उसका खामियाजा आपको या नॉमिनी को भुगतना पड़ता है. सरकार अक्सर गाइडलाइन जारी करती है कि बीमा एजेंट, ग्राहक को हर बात सच-सच बताएं. इसके बावजूद भी प्लान लेने के लिए ग्राहकों को फोर्स नहीं किया जा सकता.
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...तो डूब जाएगा आपका पैसा
भविष्य में क्लेम के वक्त कंपनी पूरी छानबीन करती है. खासकर मृत्यु के मामले में कंपनी इस बात की भी जानकारी लेती है कि कहीं आपने अपनी किसी बीमारी की हिस्ट्री को तो नहीं छुपाया था. अगर कोई बात छुपाई जाती है या फिर उसका प्रमाण नहीं दिया जाता तो कंपनी नॉमिनी को क्लेम की रकम देने से इनकार कर सकती है. ऐसी स्थिति में आपका निवेश किया पैसा डूब जाएगा.
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एजेंट के बहकावे में न आएं
पॉलिसी देने से पहले अगर कोई एजेंट यह कहता है कि इस पॉलिसी का रिटर्न 15-18 % के बीच हो सकता है तो जरूरी नहीं ऐसा हो. क्योंकि, किसी भी पॉलिसी में इतना रिटर्न मिलना मुश्किल है. खासकर ऐसी पॉलिसी जो एक वर्ग के लिए चलाई जा रही है उसमें निवेश पर इतना बड़ा रिटर्न संभव नहीं होता. ऐसे में साफ है कि आपको गलत जानकारी दी जा रही है. इसलिए पॉलिसी लेने से पहले एक बार इसकी जानकारी जरूर लें.
11:47 AM IST