Budget 2023: म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट स्कीम पर NPS की तरह मिले टैक्स बेनिफिट, ये है इंडस्ट्री की फुल विश लिस्ट
Budget 2023: म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का आकार लगातार बढ़ रहा है. यह दिसंबर 2017 में 21.26 लाख करोड़ रुपये था, जो दिसंबर 2022 में 14% की सीएजीआर से बढ़कर 40.76 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है..
बजट में NPS की ही तरह म्यूचुअल फंड पर भी मिले टैक्स लाभ. (File Photo)
बजट में NPS की ही तरह म्यूचुअल फंड पर भी मिले टैक्स लाभ. (File Photo)
Budget 2023: एक फरवरी को वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण आम बजट 2023 पेश करेंगी. बजट 2023 से बाजार से काफी उम्मीदें हैं, क्योंकि यह 2024 के आम चुनाव से पहले आखिरी फुल बजट है. वित्त मंत्री सीतारमण ने संकेत दिया है कि सरकार आगामी बजट (Budget) में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार कुछ प्रावधान कर सकती है. इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में सरकार भारत के कार्यबल की जरूरतों व उम्मीदों को पूरा करने के लिए रोजगार बढ़ाने, बुनियादी ढांचे के निर्माण, स्मार्ट सिटी सहित अन्य पर प्रमुख बातों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
7 साल में 7 ट्रिलियन डॉलर की होगी इंडियन इकोनॉमी
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CEO अजीत मेनन ने कहा, पिछले कुछ साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं. हालांकि भारत ने दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (Indian Economy) की तुलना में महामारी और विपरीत वैश्विक परिस्थितियों की चुनौती का बेहतर तरीके से सामना किया है और इससे अच्छी तरह से उभरा है. अर्थशास्त्री यह अनुमान लगा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7 साल में 7 ट्रिलियन डॉलर यानी 7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
आपके EPF में जमा होने वाले पैसों को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी... EPFO खत्म कर देगा ये लिमिट! मिलेगा ज्यादा फायदा
मेनन ने कहा, म्यूचुअल फंड उद्योग (Mutual Fund Industry) बचत को कैपिटल मार्केट की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नोटबंदी के बाद लोगों में बचत और निवेश को लेकर जागरुकता बढ़ी और उस दौर में भारतीय परिवारों ने म्यूचुअल फंड जैसे बाजार से जुड़े उत्पादों को बड़े पैमाने पर अपनाया है.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का बढ़ रहा है आकार
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का आकार लगातार बढ़ रहा है. यह दिसंबर 2017 में 21.26 लाख करोड़ रुपये था, जो दिसंबर 2022 में 14 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर 40.76 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. दिसंबर 2022 तक, रिकॉर्ड 6.12 करोड़ एसआईपी फोलियो के साथ सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश 13,573 करोड़ रुपये रहा. यह साफ है कि भारतीय लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड को तरजीह दे रहे हैं. म्यूचुअल फंड की पहुंच छोटे शहरों में और अधिक बढ़ाने और निवेशकों को रिटायरमेंट जैसे लंबी अवधि के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करने के लिए एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) द्वारा यहां बजट 2023 के लिए कुछ सिफारिशें हैं.
ये भी पढ़ें- 2 महीने की ट्रेनिंग के बाद किसान बन गया लखपति, एक साल में कमा लिया 10 लाख रुपये, जानिए कैसे
म्यूचुअल फंड लिंक्ड रिटायरमेंट स्कीम
म्यूचुअल फंड को अमेरिका में 401(k) योजना के समान ही म्यूचुअल फंड लिंक्ड रिटायरमेंट योजना (MFLRP) शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो टैक्स बेनिफिट के लिए योग्य होगी. लंबी अवधि की बचत को चैनलाइज करने में टैक्स इंसेंटिव महत्वपूर्ण हैं. उदाहरण के लिए, जब रिटायरमेंट बचत के लिए टैक्स इंसेंटिंव की घोषणा की गई तो यूएस म्यूचुअल फंड उद्योग में तेज विकास देखने को मिला है. जब विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं, भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग ने घरेलू बाजार को समर्थन दिया है. पेंशन फंड इंफ्रास्ट्रक्चर यानी आधारभूत संरचना और लंबी अवधि की अन्य परियोजनाओं में धन के स्रोत के रूप में उभर सकते हैं. पेंशन फंड इक्विटी बाजार को गहराई प्रदान कर सकते हैं.
टैक्स आर्बिट्राज हटाया जाए
म्यूचुअल फंड 'इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विड्रॉल (IDCW)' जैसी कई सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिन्हें पहले डिविडेंड प्लान, ग्रोथ ऑप्शन, डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के रूप में जाना जाता था. म्यूचुअल फंड निवेशक कभी-कभी ग्रोथ ऑप्शन से डिविडेंड ऑप्शन (या इसके विपरीत) और/या रेगुलर प्लान से डायरेक्ट प्लान (या इसके विपरीत) के बीच स्विच करते हैं.
वर्तमान में, इस तरह के स्विच को आयकर अधिनियम 1961 के धारा 47 के तहत "ट्रांसफर" के रूप में माना जाता है. साथ ही ये कैपिटल गेंस टैक्स के लिए उत्तरदायी हैं. इसमें निवेश की गई राशि म्यूचुअल फंड योजना में बनी रहती है और कोई वास्तविक लाभ नहीं होता है. इसकी वजह यह है कि सिक्योरिटीज/पोर्टफोलिया अपरिवर्तित रहता है.
दूसरी ओर यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) में एक फंड से दूसरे फंड में स्विच करने पर खास सुविधा है कि यह कैपिटल गेंस टैक्स के अधीन नहीं हैं. इसलिए यह मांग है कि एक जैसे उत्पादों पर एक जैसा टैक्स बेनिफिट मिलना चाहिए और इसलिए इस टैक्स आर्बिट्राज टैक्स (Arbitrage Tax) को समाप्त करने की आवश्यकता है.
ये भी पढ़ें- Budget 2023: कैपिटल गेन टैक्स को लेकर बजट में मिलेगी राहत? इंडस्ट्री ने की इन सुधारों की मांग
अंतर्राष्ट्रीय निवेश की सीमा पर लचीलेपन की मांग
AMFI द्वारा इन सिफारिशों के अलावा, एक अन्य क्षेत्र पर ध्यान देने की आवश्यकता है. वह यह है कि सरकार को अंतर्राष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स श्रेणी में स्पष्टता और कुछ छूट प्रदान करनी चाहिए, जिनकी मांग हाल में बढ़ी है. म्यूचुअल फंडों द्वारा विदेशी फंडों में कुल निवेश पर 700 करोड़ डॉलर की सीमा है. फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में निवेश करने के लिए 100 करोड़ डॉलर की एक अलग सीमा है. सरकार को उद्योग की इक्विटी परिसंपत्तियों के 10 फीसदी पर विदेशी फंडों में म्युचुअल फंडों द्वारा कुल निवेश को सीमित करने के लिए एक खुली सीमा रखने पर विचार करना चाहिए. क्योंकि ऐसे फंडों की मांग बढ़ रही है. अंतर्राष्ट्रीय विविधीकरण यानी डाइवर्सिफिकेशन के लिए घरेलू निवेशकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स एक आदर्श विकल्प हैं, जो निवेशकों के पोर्टफोलियो आवंटन का 10 फीसदी तक हो सकता है.
फंड्स के इक्विटी फंड को टैक्स सिस्टम के लिए घरेलू इक्विटी फंड के समान माना जाना चाहिए, क्योंकि इक्विटी फंड ऑफ फंड्स (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) मुख्य रूप से घरेलू या विदेशी देशों में स्थित फंड में निवेश करते हैं. जहां अंतर्निहित होल्डिंग्स स्टॉक हैं. वर्तमान में, फंड ऑफ फंड्स को टैक्सेशन यानी कराधान के लिए डेट फंड के रूप में माना जाता है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
12:05 PM IST