किसी भी अर्थशास्त्री को हैरत में डाल सकती हैं UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपलब्धियां
गोरक्ष पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने बतौर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है.
वित्तीय मोर्चे पर योगी आदित्यनाथ ने बेहद किफायत बरती है (फोटो- ट्विटर).
वित्तीय मोर्चे पर योगी आदित्यनाथ ने बेहद किफायत बरती है (फोटो- ट्विटर).
गोरक्ष पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने बतौर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इस मौके पर मंगलवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया, जिसमें कानून-व्यवस्था, किसान और निवेश शामिल हैं. लेकिन उनकी सरकार के राजकोषीय प्रदर्शन पर कम ध्यान दिया गया है, जबकि इस मोर्चे उनकी उपलब्धियां बेहतरीन हैं. पीआरएस लेजिस्टेलिव की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले राज्य में अखिलेश यादव सरकार के आखिरी साल 2016-17 में राज्य का राजकोषीय घाटा जीडीपी के मुकाबले 4.5 प्रतिशत था. योगी आदित्यनाथ 2017-18 में इसे कम करके 2.02 प्रतिशत पर ले आए. यानी राजकोषीय घाटा आधे से भी कम हो गया.
योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे बजट में राजकोषीय घाटा थोड़ा सा बढ़कर 2.97 प्रतिशत हो गया, हालांकि फिर भी ये 3 प्रतिशत के तय दायरे से कम है. उत्तर प्रदेश को मिलाकर देश में सिर्फ चार राज्य में जिनका राजकोषीय घाटा इस सीमा के भीतर है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'उत्तर प्रदेश अधिशेष स्थिति हासिल कर चुके गिने-चुने राज्यों में शामिल हो चुका है. राजस्व अधिशेष 2017-18 में जीएसडीपी के 0.91 फीसदी पर खिसक आया था लेकिन 2018-19 में यह बढ़कर 3.2 फीसदी पर जा पहुंचा था.' यानी सरकार की कमाई उसके खर्च से अधिक है.
सरकार की कमाई की बात करें तो 2017-18 में उत्तर प्रदेश का कर राजस्व 8 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन 2018-19 में इसमें 38 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई और कर राजस्व बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि अब जीएसटी के तहत टैक्स की दरों में कटौती का असर इस रफ्तार पर पड़ा है.
अब बात करते हैं पूंजीगत व्यय की. पूंजीगत व्यय का अर्थ है ठोस काम में खर्च, जैसे सड़क, पुल, बिजली-पानी के प्रोजेक्ट. इससे टिकाऊ अचल संपत्ति तैयार होती है, जो लंब समय में राज्य के ठोस विकास में सहायक होती है. पूंजीगत व्यय 2018-19 में 110 प्रतिशत के जोरदार तेजी के साथ 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2017-18 में ये सिर्फ 55,599 करोड़ रुपये था. 2019-20 में पूंजीगत व्यय 1.16 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. सरकार के कुल व्यय में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 2017-18 में 17 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 26 प्रतिशत हो गई. योगी आदित्यनाथ सरकार की ये उपलब्धियां साधारण नहीं हैं. ये आंकड़े यूपी के 'अच्छे दिनों' की बुनियाद बन सकते हैं.
01:41 PM IST