एक सम्मान गुमनाम कोरोना योद्धा किसानों के नाम, आओ कहें 'थैंक्यू फार्मर्स'
देश में किसानों का शुक्रिया अदा करने के लिए 'Thank You Farmers' नाम से एक अभियान शुरू किया गया है.
सह्याद्रि फार्म ने गांव-गांव जाकर किसानों को शुक्रिया अदा करने का अभियान शुरू किया है. (Image-Zeebiz)
सह्याद्रि फार्म ने गांव-गांव जाकर किसानों को शुक्रिया अदा करने का अभियान शुरू किया है. (Image-Zeebiz)
कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट होकर युद्ध लड़ रही है. इस युद्ध को लड़ रहे हमारे डॉक्टर, नर्स, पुलिस और अन्य फ्रंटलाइन वॉरियर्स के सम्मान में हमने ताली बजाई, बर्तन बजाए, घर की चौखटों पर दीपक जलाए और आसमान से फूलों की बारिश की. लेकिन इस युद्ध में एक गुनमा योद्धा ऐसा भी है जो हमारी खाने की थाली में खाना मुहैया कराने के लिए दिन-रात मेहनत में जुटा हुआ है. उसके लिए न तो कभी लॉकडाउन था और ना ही किसी ने ताली बजाई.
यह गुमनाम योद्धा है हमारा किसान. अगर कोरोना काल में हमारा किसान भी महामारी के डर से घर में बंद हो जाता तो हम शायद कोरोना से तो लड़ सकते हैं, लेकिन भूख को मात नहीं दे पाते.
वास्तव में, कोरोना वायरस इतिहास की पहली आपदा है जिसमें ना तो भोजन की कोई कमी थी और ना ही पीने के पानी की कमी हुई. फरवरी के बाद से पूरी दुनिया में कोरोना का ऐसा कहर बरपा कि हर किसी के लिए जीवन बहुत कठिन हो गया. लोगों के मन में एक ऐसा खौफ पैदा हो गया कि जीवन की गति का पहिला पूरी तरह से रुक गया और लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए.
बुरे वक्त में अच्छा समय
लेकिन लंबे समय तक लॉकडाउन के बुरे वक्त में भी एक अच्छा वक्त ये था कि हम सभी से परिवार के साथ लंबा समय बिताया. सभी लोगों ने घरों के कामों में हाथ बंटाया. अपने परिवार के साथ अच्छे समय और अच्छे भोजन को साझा किया. हममें से न जाने कितने ऐसे लोग थे जिन्होंने इस लॉकडाउन में अपने हाथों से रसोई में रोजाना कुछ न कुछ नया पकाने का प्रयोग किया.
दूसरों के लिए जलाया चूल्हा
हममें से ऐसे कितने ही लोग थे जिन्हें जरूरतमंदों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. नौकरी से छूट और घरों से बेघर हुए लोगों के लिए अपने घरों मे चूल्हा जलाया.
नहीं हुई खाने की कमी
यह महामारी इतिहास की अन्य महामारियों से कई मायनों में अलग थी. और वह अलग इसलिए भी थी कि इस महामारी में खाने की कोई कमी नहीं हुई. और इसका सेहरा बंधता है हमारे किसानों के सिर.
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तमाम परेशानियों के बाद भी हमारे किसान दिन-रात खेतों में जुटे रहे. कोरोना की परवाह किए बिना ही उन्होंने साग-सब्जी, फल, दूध और अनाज को खेतों से निकालकर लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम किया.
किसानों की ही मेहनत का नतीजा था कि इस अभूतपूर्व संकट के दौरान भी कोई भूखा नहीं सोया. सभी को पर्याप्त मात्रा में भोजन मिला. सभी की थाली में समय पर भोजन पहुंचा.
कोरोना वायरस का जो सबसे पीक समय था वही किसानों का भी सबसे अहम और व्यस्तम समय था. फरवरी से लेकर जुलाई तक का समय खेती-किसानी के लिए बहुत अहम होता है. क्योंकि इस दौरान गेहूं, जौ जैसी फसल कटने के लिए तैयार होती है. प्याज, आलू, अंगूर, अनार, केला जैसे फल पककर तैयार होते हैं. किसानों को अगली फसल की तैयारी भी इन्हीं दिनों करनी होती है. और इसी दौरान जानलेवा कोरोना वायरस भी अपना विकराल रूप दिखा रहा था.
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लेकिन हमारे किसानों के बिना थके, बिना रुके और बिना डरे, कोरोना काल में भी लगातार काम किया और हमें और हमारे बच्चों को कभी भूखा नहीं रहने दिया.
लेकिन क्या हमारे इन असली कोरोना योद्धाओं को वह सम्मान मिला जो और योद्धाओं को मिला. क्या ये किसी सम्मान के हकदार नहीं हैं.
थैंक्यू फार्मर
देश के इन गुमनाम कोरोना योद्धाओं को सम्मान देने की पहल की हो चुकी है. देश में किसानों का शुक्रिया अदा करने के लिए 'Thank You Farmers' नाम से एक अभियान शुरू किया गया है. और इस अभियान के शुरू किया है किसान उत्पादक कंपनियों में से एक सह्याद्रि फार्म (Sahyadri Farms) ने.
सह्याद्रि फार्म
सह्याद्रि फार्म ने गांव-गांव जाकर किसानों को शुक्रिया अदा करने का अभियान शुरू किया है. इसके अलावा सह्याद्रि फार्म ने सोशल मीडिया पर भी इस अभियान की शुरूआत की है. फेसबुक, यू-ट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह ग्रुप किसानों को धन्यवाद देने का काम कर रहा है.
सह्याद्रि फार्म का गठन 2010 में किया गया था. इस ग्रुप में किसानों का ही स्वामित्व है. यहां किसान आपस में मिलकर उत्पाद तैयार करके हैं और फिर इन उत्पादों की प्रोसेसिंग और ग्रेडिंग के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री की जाती है. इस बिक्री से होने वाले मुनाफे में किसानों की पूरी भागीदारी होती है.
02:23 PM IST