मिलावटखोरों पर सुप्रीम कोर्ट कड़ा फैसला, किसी सामान में की मिलावट तो जाना होगा जेल
दूध में मिलावट के एक मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाने-पीने की चीजों में मिलावटखोरी संगीन मामला है. दूध में मिलावटखोरी मामूली बात नहीं है. इसलिए आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता.
दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. विश्व में सबसे ज्यादा मवेशी हमारे यहां हैं. इसके बाद भी यहां बिकने वाला 70 फीसदी दूध नकली है.
दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. विश्व में सबसे ज्यादा मवेशी हमारे यहां हैं. इसके बाद भी यहां बिकने वाला 70 फीसदी दूध नकली है.
त्योहारों का मौसम चल रहा है और मिलावटखोरी (Adulteration) भी खूब में चल रही है. पिछले कई सालों से इसी मिलावटखोरी ने कई लोगों को बीमार किया है, कई जिंदगियां भी ली हैं. बावजूद इसके मिलावटी मिठाइयां, दूध और खाने-पीने के सामान में धड़ल्ले से बाजार में बिक रहे हैं, इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है.
लेकिन देश की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को इस मिलावटखोरी से सख्त नाराजगी है. सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक मिलावटखोरी के आरोपी को 6 महीने जेल (six months in prison) की सजा सुनाई है. साथ ही ये हिदायत भी दी है कि मिलावटखोरी पर किसी भी तरह की नरमी की उम्मीद न रखें.
दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. विश्व में सबसे ज्यादा मवेशी हमारे यहां हैं. इसके बाद भी यहां बिकने वाला 70 फीसदी दूध नकली (Milk Adulteration) है. और जब दूध ही नकली हो तो उससे बनने वाले उत्पादों की शुद्धता क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
#LIVE | #AapkiKhabarAapkaFayda : #SupremeCourt का दूध का दूध- पानी का पानी, मिलावटखोरी की तो जाना होगा जेल! https://t.co/2UhQN5idAc
— Zee Business (@ZeeBusiness) October 7, 2019
ऐसा नहीं है कि मिलावट सिर्फ दूध तक ही सीमित है, बल्कि खाने-पीने (Food Adulteration) की करीब-करीब हर चीज में मिलावट होती है.
किस चीज में क्या मिलाया जाता है-
दूध में सबसे ज्यादा पानी मिलाया जाता है. पानी के अलावा दूध में इसके अलावा यूरिया, रिफाइंड ऑयल और सफेद रंग को मिलाकर भी नकली दूध (Milk Adulteration) भी बनाया जाता है. चीनी में चॉक और चूना मिलाया जाता है. घी में वनस्पति तेल और खुशबु के लिए एसेंस और रंग मिलाया जाता है.
चावल और गेहूं में पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है. गेहूं के आटे में सिंघाड़े का आटा मिलाया जाता है. दालों में पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है. दालों को पुराना दिखाने के लिए केमिकल रंगों का इस्तेमाल होता है. चाय पत्ती में इस्तेमाल की हुई पत्ती को रंगकर मिलाया जाता है. कॉफी में इमली के बीज का चूरा मिलाया जाता है. काली मिर्च में पपीते का बीज मिलाया जाता है.
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साल दर साल जिस तेजी से महंगाई नहीं बढ़ती है, उसकी दोगुना तेजी से मिलावटखोरी बढ़ रही है. देश का कोई राज्य इन मिलावटखोरों से अछूता नहीं है.
खुद केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं-
2018-19 में जांच में खाने के 1/3 नमूने पास नहीं हुए.
सबसे ज्यादा मिलावटखोरी उत्तर प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु में देखने को मिले.
उत्तर प्रदेश में खाने के 19,173 नमूने में से 9,403 नमूने फेल हुए.
पंजाब में 11,920 नमूने में से 3,403 नमूने मानकों खरे नहीं उतरे.
तमिननाडु में 5,730 नमूने में से 2,601 नमूने जांच में फेल हुए.
मध्य प्रदेश के 7,063 नमूने में से 1,352 नमूने गलत पाए गए.
जम्मू और कश्मीर में 3,600 नमूने में से 701 नमूने मानकों के मुताबिक नहीं पाए गए.
2017-18 में 99,000 नमूनों में से 24,000 नमूने जांच में फेल हुए.
2016-17 में 78,000 नमूनों में से 18,000 नमूने जांच में फेल हुए.
सुप्रीम कोर्ट सख्त
सरकार भले ही मिलावटखोरी पर सख्त हो न हो, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत काफी सख्त है. दूध में मिलावट के एक मामले (food adulteration case) पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि खाने-पीने की चीजों में मिलावटखोरी संगीन मामला है. दूध में मिलावटखोरी मामूली बात नहीं है. इसलिए आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने कहा कि मिलावट के मामले में न्यूनतम सजा को कम नहीं किया जा सकता है. न्यूनतम सजा को कम करना गलत होगा. खाने-पीने की चीजों के मानकों का पालन करना जरूरी है.
08:00 PM IST