Supertech Twin Towers Noida: आखिर सुपरटेक को किस गुनाह की मिल रही है सजा, ट्विन टावर बनाने में कहां हुआ 'खेला'
Supertech Twin Towers Noida: नोएडा के सेक्टर 93ए को नई पहचान देने वाले सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Supertech Emarald Court) में बने ट्विन टावर्स रविवार को मलबे के ढेर में बदल जाएंगे. सुपरटेक के ट्विन टावर्स में अपेक्स (Apex) और सेयेन (Ceyane) शामिल हैं.
Supertech Twin Towers Noida: आखिर सुपरटेक को किस गुनाह की मिल रही है सजा, ट्विन टावर बनाने में कहां हुआ 'खेला' (PTI)
Supertech Twin Towers Noida: आखिर सुपरटेक को किस गुनाह की मिल रही है सजा, ट्विन टावर बनाने में कहां हुआ 'खेला' (PTI)
Supertech Twin Towers Noida: नोएडा के सेक्टर 93ए को नई पहचान देने वाले सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Supertech Emarald Court) में बने ट्विन टावर्स रविवार को मलबे के ढेर में बदल जाएंगे. सुपरटेक के ट्विन टावर्स में एपेक्स (Apex) और सेयेन (Ceyane) शामिल हैं. 32 मंजिल के एपेक्स टावर में सभी फ्लोर पर 14 फ्लैट बनाए गए थे जबकि 31 मंजिल वाले सेयेन टावर में हर फ्लोर पर 12 स्टूडियो अपार्टमेंट बनाए गए थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों टावरों को तोड़ने का फैसला क्यों सुनाया था, इसे लेकर अभी भी कई लोगों को सही जानकारी नहीं है. यहां हम आपको बताएंगे कि नोएडा के जाने-माने बिल्डरों में शामिल सुपरटेक ने ऐसा कौन-सा गुनाह किया था, जिसकी सजा के रूप में कोर्ट ने 32 और 31 मंजिल की दो बिल्डिंगों का गिराने का फैसला सुना दिया.
18 साल पहले हुई थी मामले की शुरुआत
इस पूरे मामले की शुरुआत आज से करीब 18 साल पहले नवंबर 2004 में हुई थी. नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए सेक्टर 93ए में 84,273 वर्गमीटर जमीन अलॉट की थी. प्रोजेक्ट के तहत सुपरटेक इस जमीन पर 11-11 मंजिल के कुल 16 बिल्डिंग बनाने जा रहा था. प्रोजेक्ट के लिए जो नक्शा पास किया गया था, उसके हिसाब से सुपरटेक ने जहां ट्विन टावर बनाकर खड़े कर दिए थे, वहां ग्रीन एरिया होना चाहिए था. हालांकि, सब कुछ नॉर्मल चल रहा था और साल 2008-09 में सुपरटेक के इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी दे दिया था.
यूपी सरकार के नए नियम के बाद सुपरटेक ने बढ़ा दी थी टावर की ऊंचाई
इसके बाद फरवरी, 2009 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने नए बिल्डर्स के लिए एफएआर यानी Floor Area Ratio को बढ़ाने का फैसला किया. सरकार ने पुराने बिल्डरों को ऑप्शन दिया कि वे कुल FAR का 33 फीसदी तक खरीद सकते हैं. अब जब सरकार ने एफएआर बढ़ा दिया तो बिल्डरों को ज्यादा फ्लैट्स बनाने की छूट मिल गई थी. इसी नियम के तहत सुपरटेक को बिल्डिंग की ऊंचाई 11 मंजिला से बढ़ाकर 24 मंजिला करने की परमिशन दे दी गई. लेकिन बिल्डिंग को ऊंचा करने का सिलसिला यहीं नहीं थमा और जब प्लान में तीसरा बाद बदलाव किया गया तो बिल्डिंग की ऊंचाई को अब 40 मंजिल तक बढ़ाने की भी मंजूरी मिल गई.
ट्विन टावर बनाने में कई नियमों का हुआ उल्लंघन
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तो फिर अब क्या था, प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले निवेशकों का सिर चकरा गया. उन्होंने पहले बिल्डर से और फिर नोएडा अथॉरिटी से प्रोजेक्ट का नक्शा मांगा लेकिन उन्हें कहीं से भी नक्शा नहीं मिला. जिसके बाद प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले बायर्स ने साल 2012 में बिल्डर के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका डाल दी. बायर्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को जांच के आदेश दिए. पुलिस ने जांच शुरू की तो बिल्डर की गलतियां पकड़ी गईं. निवेशकों की मानें तो बिल्डर ने निर्माण से जुड़े कई नियमों का उल्लंघन किया. इतना ही नहीं, सुपरटेक ने जब ट्विन टावर्स की ऊंचाई बढ़ाई तो उन्होंने इस बात का कोई ध्यान नहीं रखा कि दो इमारतों के बीच में औसत दूरी बहुत कम होती जा रही है.
नियमों के हिसाब से ट्विन टावर और एमराल्ड कोर्ट के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए थी लेकिन सुपरटेक ने इनके बीच सिर्फ 9 मीटर की ही दूरी रखी. बिल्डिंगों के बीच दूरी इसलिए मायने रखती है ताकि वहां रहने वाले लोगों को धूप और हवा मिलती रहे. इसके अलावा आग जैसी परिस्थितियों के लिहाज से भी ये दूरी काफी कम थी.
39 और 40 मंजिला ऊंचे टावर बनाने का था सुपरटेक का प्लान
आपको जानकर हैरानी होगी कि जब ये मामला साल 2012 में कोर्ट पहुंचा था तो ट्विन टावर्स में सिर्फ 13 फ्लोर ही कंप्लीट हुए थे. लेकिन इसके बाद सिर्फ डेढ़ साल के भीतर इसकी ऊंचाई 13 फ्लोर से बढ़कर 32 फ्लोर तक पहुंचा दी गई. फिर साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जब ट्विन टावर्स को गिराने का फैसला सुनाया तो इसका काम 32वीं मंजिल तक कंप्लीट हो चुका था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर साल 2014 में ट्विन टावर्स को गिराने का फैसला नहीं सुनाया जाता तो आज इनकी ऊंचाई 39 और 40 फ्लोर की होती.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी मिला झटका
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जिन लोगों ने ट्विन टावर में फ्लैट बुक किए हैं, बिल्डर को उन्हें 14 फीसदी ब्याज के साथ पूरी रकम लौटानी होगी. हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सुपरटेक ने ट्विन टावर्स को बचाने की पूरी कोशिश की और सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली लेकिन बिल्डर को यहां से भी कोई राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को 3 महीनों के भीतर ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया था. हालांकि, प्लानिंग में देरी होने की वजह से ये अब 28 अगस्त, 2022 को गिरा दिया जाएगा.
01:58 PM IST