राजस्थान : कहीं पाले की मार तो कहीं यूरिया संकट से हलकान हैं सूबे के किसान
फतेहपुर, माउंट आबू, भीलवाडा और चुरू में पारा माइनस तक चले जाने से खेतों में पाला पड़ने लगा है. पाला पड़ने से फसल खराब होने लगी है.
पाले से फसलों की पत्तियां एवं फूल मुरझा जाते है और झुलसकर बदरंग हो जाते हैं.
पाले से फसलों की पत्तियां एवं फूल मुरझा जाते है और झुलसकर बदरंग हो जाते हैं.
आशीष चौहान, जयपुर :
राजस्थान में ठंड के प्रचंड रूप के कारण किसानों की चिंता की लकीरें और बढ़ा दी हैं. अधिक ठंड के कारण राजस्थान के कई जिलों में पाला पडने लगा है. पाले के कारण खेतों में लहलाह रही रबी की फसल अब मुरझाने लगी है. पाला गिरने से मुरझाई फसलों के साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं.
फतेहपुर, माउंट आबू, भीलवाडा और चुरू में पारा माइनस तक चले जाने से खेतों में पाला पड़ने लगा है. जयपुर के किसान भी पाले से परेशान हो गए हैं. पाला पड़ने से फसल खराब होने लगी है, जिस कारण किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं.
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ज़ी मीडिया ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पाले की स्थिति को जाना और समझा. खेत में पहुंचे तो फसल पर पाले की मार साफ-साफ देखने को मिली. बगरू विधानसभा के नृसिंगपुरा गांव में किसानों के खेतों का यही हाल है. फसल बर्बादी के कगार पर है. खेतों में फसल तो दिखाई दे रही है, लेकिन नजदीक जाने पर पता चलता है कि फसल पाले की वजह से खराब होने लगी है. पत्तियां मुरझाने लगी हैं.
एक तरफ तो कर्ज़ की मार और दूसरी तरफ पाले की मार ने किसानों के दर्द को और अधिक गहरा कर दिया है. नृसिंगपुरा गांव में रहने वाले बाबूलाल का कहना था कि चार दिन से ठंड अधिक पड़ने से पाला पड रहा है, जिस कारण फसले तबाह होने के कगार पर है.
पाले से उत्पादन पर असर
पाले के कारण सरसों, टमाटर, आलू, आवंला और प्याज की फसल पर ज्यादा असर देखने को मिला है. यदि ठंड का प्रकोप इसी तरीके से जारी रहा तो आने वाले दिनों में किसानों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. बगरू के किसान भवानीशंकर ने बताया कि प्याज, टमाटर, मटर तो पूरी तरह से खराब होने लगे है. सरसों तो जैसे उगने से पहले ही खेतों होने लगी है. पाले से फसलों की पत्तियां एवं फूल मुरझा जाते है और झुलसकर बदरंग हो जाते हैं. कच्ची फलियों में दाने छोटे या नष्ट हो जाते हैं. इससे पैदावार घट जाती है.
यूरिया संकट जारी
उधर, जहां पाले की मार नहीं है, वहां अधिकारियों की लापरवाही का हर्जाना किसानों को भुगतना पड़ रहा है. राज्य में समय पर खाद की सप्लाई नहीं होने से किसान अपने खेतों में समय पर खाद नहीं दे पा रहे हैं. और इसका असर सीधेतौर पर फसल पर पड़ रहा है.
हाड़ौती कोटा समेत पुरे हाड़ौती में यूरिया मुसीबत बना हुआ है. यूरिया खाद की किल्लत से किसानों को घंटों कतार में लगकर इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बाद भी या तो यूरिया ख़त्म हो जाता है या फिर मिलता है तो जरूरत का मजह 20-30 फीसदी.
कोटा में काला तालाब के किसान हेमराज ने 40 बीघा में रबी फसल के लिए बैंक से 2 लाख और सोसाइटी से 50 हज़ार रुपये का कर्ज लिया. हेमराज को उम्मीद थी कि फसल होने पर वह पूरा कर्ज चुका देंगे और घर के लिए भी अनाज हो जाएगा. लेकिन खेतों में समय पर यूरिया नहीं डलने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
ये स्थिति अकेले हेमराज की नहीं है, बल्कि इलाके के सभी किसान इस समस्या का सामना कर रहे हैं. यूरिया नहीं मिलने से किसानों में सरकारी तंत्र के खिलाफ आक्रोश भई बढ़ता जा रहा है.
(साथ में कोटा से हिमांशु की रिपोर्ट)
03:15 PM IST