पॉल्ट्री किसानों की मुश्किलें बढ़ीं, मक्का बीज के दाम में भारी उछाल, उपलब्धता भी कम
Poultry farmer: पिछले साल जहां मक्का बीज का दाम 1,600 रुपये प्रति क्विंटल था वहीं इन दिनों यह 2,400 रुपये पर पहुंच गया है. मक्का बीज की आवक बिहार के उत्पादक क्षेत्रों से हो रही है.
बिनौला खल का दाम पिछले एक पखवाड़े में 2500 से बढ़कर 3,000 रुपये क्विंटल हो गया. (रॉयटर्स)
बिनौला खल का दाम पिछले एक पखवाड़े में 2500 से बढ़कर 3,000 रुपये क्विंटल हो गया. (रॉयटर्स)
मक्का बीज की उपलब्धता कम होने से पॉल्ट्री किसानों और स्टार्च मिलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पिछले साल जहां मक्का बीज का दाम 1,600 रुपये प्रति क्विंटल था वहीं इन दिनों यह 2,400 रुपये पर पहुंच गया है. पॉल्ट्री किसानों और मिल मालिकों ने सरकार से मक्का बीज की उपलब्धता बढ़ाने के उपाय करने का आग्रह किया है. व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि देश में मक्का बीज और खल का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है.
मक्का का जहां पॉल्ट्री क्षेत्र में ज्यादा उपयोग होता है वहीं मक्का खल को दुधारू पशुओं के लिये उपयोगी माना जाता है. मक्का बीज की आवक बिहार के उत्पादक क्षेत्रों से हो रही है. इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,700 रुपये क्विंटल है, हालांकि माल की तंगी के चलते इस समय भाव 2,400 से 2,500 रुपये क्विंटल के दायरे में चल रहा है.
(रॉयटर्स)
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सरिस्का ब्रांड मक्का खल के प्रवर्तक पवन गुप्ता का कहना है कि सरकार ने एक लाख टन मक्का खल का घटी शुल्क दरों पर आयात का फैसला किया है. हालांकि, यह आयात किस शुल्क दर पर होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बार मक्का बीज की कम उपलब्धता को देखते हुए घटी शुल्क दर पर होने वाले आयात की मात्रा को बढ़ाया जाना चाहिये. इससे पॉल्ट्री किसानों और स्टार्च मिलों को कुछ राहत मिलेगी. मक्का बीज का यदि शुल्क मुक्त आयात होता है तो गुजरात के कांडला बंदरगाह पर यह 2,000 से 2,100 रुपये क्विंटल के भाव पड़ सकती है.
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गुप्ता ने कहा कि बीज महंगे होने की वजह से खल के दाम भी ऊंचे चल रहे हैं. खल महंगी होने से पशु चारा आहार भी ऊंचे बोले जा रहे हैं. बिनौला खल का दाम पिछले एक पखवाड़े में 2500 से बढ़कर 3,000 रुपये क्विंटल हो गया. इसी प्रकार मक्का खल भी 3,200 से बढ़कर 3,700 रुपये क्विंटल तक पहुंच गई. सरसों खल 1,800 से कुछ मजबूत होकर 2,000 रुपये क्विंटल बोली जा रही है. बिनौला में जहां कपास फसल समाप्ति पर है, वहीं नई सरसों से तेल नीचे रहने की वजह से खल की उपलब्धता कम हुई है.
05:36 PM IST