गाड़ी चलाते समय क्यों साथ रखना चाहिए PUC Certificate? जानिए क्यों होता है इतना जरूरी
Pollution under Control Certificate: PUC को सभी गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. इसका सीधा मक्सद बढ़ते एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) को कम करने का होता है.
Pollution under Control Certificate: प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने गाड़ी से होने वाले प्रदूषण को लेकर काफी सख्ती बरती है. इसके चलते PUC यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (Pollution under Control Certificate) को सभी गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसका सीधा मक्सद बढ़ते एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) को कम करने का होता है. बता दें, PUC के वक्त इस बात का ख्याल रखा जाता है कि कोई गाड़ी तय किए गए स्टैंडर्ड से ज्यादा पॉल्यूशन तो नहीं कर रही है. जब तक गाड़ी का पॉल्यूशव टेस्ट नहीं हो जाता है, तब तक सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है.
कितने दिनों के लिए वैलिड होता है PUC
परिवाहन विभाग के अनुसार, नई गाड़ी जब खरीदी जाती है, तभी PUC सर्टिफिकेट दिया जाता है, जोकि सिर्फ एक साल के लिए वैलिड होता है. वहीं आपको एक साल बाद फिर से गाड़ी का PUC टेस्ट कराना होगा, जिसके बाद आपको नया सर्टिफिकेट मिल जाएगा. इसकी वैलिडिटी 3 से 6 महीने तक की ही होती है. इसे बनाने के लिए आपको मात्र 60 से 100 रुपये ही फीस देना होगा.
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क्या है खासियत
PUC Certificate की खास बात ये होती है कि इसकी मान्यता दूसरे राज्य में भी होती है. अगर आपके पास PUC सर्टिफिकेट नहीं होता है, तो आपको इसके लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है. लेकिन सवाल ये है कि PUC सर्टिफिकेट कैसे बनवाएं. आइए जानते हैं कैसे बनवाएं PUC सर्टिफिकेट.
कैसे मिलेगा PUC सर्टिफिकेट
- PUC सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको पेट्रोल पंप जाना होगा.
- किसी भी पेट्रोल पंप पर आपको पॉल्यूशन चेक सेंटर मिल जाएगा.
- ये सभी सेंटर राज्य से ही ट्रांसपोर्ट विभाग से ऑथोराइज्ड होते है.
- आपके PUC सर्टिफिकेट पर सीरियल नंबर होगा.
- इसके साथ ही गाड़ी की लाइसेंस प्लेट का नंबर, जिस दिन गाड़ी का टेस्ट कराया गया हो वो तारीख होती है.
- PUC सर्टिफिकेट पर इसके एक्सपायर होने की तारीख के साथ टेस्ट में किया गया दिन की तारीख भी मैन्शन होती है.
कैसे होता है Pollution Test
पॉल्यूशन टेस्ट करने के लिए सेंटर पर एक गैस एनालाइजर (Gas Analyzer) उपलब्ध होता है. ये एनलाइजर एक कम्प्यूटर से लिंक होता है. जिसके साथ एक कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा होता है. टेस्ट करने के लिए सबसे पहले गैस एनालाइजर को गाड़ी के साइलेंसर में डालते हैं. फिर एक बार जांच करके कंप्यूटर पर आंकड़े अपडेट नहीं होते तब तक गाड़ी को स्टार्ट ही रखा जाता है. इसी बीच कैमरा गाड़ी के नंबर प्लेट का फोटो लेता है फिर गाड़ी से तय स्टैंडर्ड पर पॉल्यूशन निकलता है तो PUC सर्टिफिकेट को जारी कर देता है.
04:16 PM IST