"कभी इतना लिखने, कहने का साहस नहीं कर पाया..."- जब PM Modi ने अपनी मां हीराबेन के लिए लिखी थी खुली चिट्ठी
PM Modi's mother Passes Away: पीएम मोदी की मां हीराबेन ने इसी साल जून में अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया था. पीएम मोदी ने इस मौके पर पहली बार अपनी मां के लिए खुली चिट्ठी लिखी थी, जिसमें अपनी मां के जीवन से जुड़ी कई छोटी-मोटी घटनाओं, उनकी आदतों और उनकी सीख को याद किया था.
PM Modi's mother Passes Away: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी (Heeraben Modi) का 30 दिसंबर, शुक्रवार को निधन हो गया. सुबह-सुबह पीएम मोदी दिल्ली से अहमदाबाद के लिए निकल गए थे, जहां उन्होंने अपनी मां के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. पीएम मोदी की मां हीराबेन (PM Modi's mother Heeraben Modi) ने इसी साल जून में अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया था. 18 जून को उनका जन्मदिवस होता है. पीएम मोदी ने इस मौके पर पहली बार अपनी मां के लिए खुली चिट्ठी लिखी थी. ये चिट्ठी काफी-लंबी चौड़ी थी और पीएम ने इसमें अपनी मां के जीवन से जुड़ी कई छोटी-मोटी घटनाओं, उनकी आदतों और उनकी सीख को याद किया था.
चिट्ठी में उन्होंने लिखा भी था कि "सार्वजनिक रूप से कभी आपके लिए इतना लिखने का, इतना कहने का साहस नहीं कर पाया."
उन्होंने अपनी मां को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए लिखा था कि "मैं अपनी माँ की इस जीवन यात्रा में देश की समूची मातृशक्ति के तप, त्याग और योगदान के दर्शन करता हूं. मैं जब अपनी माँ और उनके जैसी करोड़ों नारियों के सामर्थ्य को देखता हूं, तो मुझे ऐसा कोई भी लक्ष्य नहीं दिखाई देता जो भारत की बहनों-बेटियों के लिए असंभव हो. अभाव की हर कथा से बहुत ऊपर, एक मां की गौरव गाथा होती है. संघर्ष के हर पल से बहुत ऊपर, एक मां की इच्छाशक्ति होती है."
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उन्होंने चिट्ठी की शुरुआत कुछ यूं की थी, "मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है. दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है, मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है."
अपनी मां की खासियतों का बखान करते हुए उन्होंने लिखा था, "मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी. ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है. आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती हैं. ये पढ़ते हुए आपके मन में अपनी मां की छवि उभरेगी. मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है. मां की ममता, उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है. मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है. हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान. वैसे ही अपने मन के भाव के अनुसार, हम मां के स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं."
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अपनी मां की साफ-सफाई के प्रति सतर्कता को याद करते हुए पीएम मोदी ने उनकी एक बहुत ही प्यारी सी आदत पर टिप्पणी की थी, "दिल्ली से मैं जब भी गांधीनगर जाता हूं, उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती हैं. और जैसे एक मां, किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रुमाल से मेरा मुंह जरूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं."
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10:19 AM IST