जानलेवा : प्लास्टिक की बोतल-टिफिन में है कैंसर! रिपोर्ट में खुलासा
प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारी जिंदगी में इतना बढ़ गया है कि भूख मिटाने के लिए परोसे गए गरमा गरम खाने से लेकर थकान मिटाने वाले ठंडे-ठंडे पानी...और चाय की चुस्कियों तक...हम न जाने कितने बार प्लास्टिक के बर्तनों का इसेतमाल करते हैं.
सांस के जरिए भी अब प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं. (DNA)
सांस के जरिए भी अब प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं. (DNA)
प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारी जिंदगी में इतना बढ़ गया है कि भूख मिटाने के लिए परोसे गए गरमा गरम खाने से लेकर थकान मिटाने वाले ठंडे-ठंडे पानी...और चाय की चुस्कियों तक...हम न जाने कितने बार प्लास्टिक के बर्तनों का इसेतमाल करते हैं. ऑफिस में खाना गर्म हो या आउटिंग पर खाना ले जाना हो. किसी न किसी रूप में प्लास्टिक ही हमारा साथी होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही प्लासिक आपके शरीर में धीरे-धीरे घुल रहा है. खाने के हर निवाले और पानी की हर घूंट के साथ ये जहर आपके शरीर के अंदर पहुंच रहा है. यहां तक की सांस के जरिए भी अब प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं. जो आपकी बीमार, बहुत बीमार करने के लिए काफी हैं.
नुकसानदेह है बोतल बंद पानी
'जी बिजनेस' की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि जब पानी को बोतल बंद किया जाता है तो यह पानी उसे पीने वाले को फायदा नहीं नुकसान पहुंचाता है क्योंकि इस बोतल बंद पानी के जरिए प्लास्टिक के बारीक कण या कहें तो माइक्रोप्लास्टिक शरीर में पहुंच जाते हैं. यह खुलासा हुआ है एक रिपोर्ट में जिसके मुताबिक प्लास्टिक के महीन कण सिंथेटिक कपड़ों, टायर और कॉन्टैक्ट लेंस जैसी चीजों के टूटने से भी बनाते हैं. जो सिर्फ सांस लेने से भी हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं.
जर्नल में छपी रिपोर्ट
इन्वायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नॉलजी नाम के जर्नल में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल 1 वयस्क पुरुष 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कणों को निगल सकता है. प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से ये संख्या और बढ़ जाती है. प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से ये आंकड़ा बढ़कर 1.21 लाख कणों तक पहुंच जाता है, जो हर दिन 320 प्लास्टिक पार्टिकल्स के बराबर है.
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इम्यूनिटी घटाता है
सिर्फ बोतल बंद पानी पीने से ही शरीर में हर साल अतिरिक्त 90,000 माइक्रोप्लास्टिक के कण पहुंच जाते हैं. हालांकि ये मात्रा प्लास्टिक के ज्यादा इस्तेमाल से और बढ़ सकती है. प्लास्टिक के ये कण आपकी इम्यूनिटी पर असर डालते हैं. 130 माइक्रोमीटर से छोटे कण टिशू में जाकर इम्यूनिटी कम कर सकते हैं.
कैंसर का खतरा
जानकार बताते हैं कि प्लास्किट एक पॉलीमर है, जो कि कई पदार्थों के मिश्रण से बना होता है. प्लास्टिक बनाने में नायलॉन, फिनोलिक का इस्तेमाल होता है. पोलीसट्राइन, पोलीथाईलीन, पोलीविनायल, क्लोराइड का भी इस्तेमाल किया जाता है. यूरिया फार्मेलीडहाइड समेत दूसरी चीजें से बनता है. प्लास्टिक
जो आपको आंत संबंधी बीमारी देने के साथ साथ कैंसर का शिकार बना सकता है.
#LIVE | प्लास्टिक के टिफिन और बर्तनों में है कैंसर! देखिए #AapkiKhabarAapkaFayda में @mrituenjayj के साथ। https://t.co/Lor94Iiojz
— Zee Business (@ZeeBusiness) 10 June 2019
प्लास्टिक बर्तन में खाना गर्म करना हानिकारक
एक दूसरी रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि प्लास्टिक की बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है. प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म करना कैंसर की वजह हो सकता है. बोतल में बंद गर्म पानी पीना भी कैंसर को दावत देता है. गर्म होने के कारण प्लास्टिक में डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है. जो पानी या खाने में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है. जो लंबे समय में कैंसर का कारण बन सकता है.
धरती की आबो हवा हो रही खराब
प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल का असर धरती की आबो हवा पर भी पड़ रहा है. धरती की सेहत भी खराब हो रही है क्योंकि सिर्फ प्लास्टिक बैग को पूरी तरह से नष्ट होने में करीब 1000 साल लगते हैं. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सिर्फ भारत में हर रोज करीब 24,940 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. इसलिए जरूरी है कि हम प्लास्किट का कम से कम इस्तेमाल करें. जिससे हम भी सेहतमंद रहेंगे और हमारी धरती भी.
06:36 PM IST