International Women’s Day: कौन हैं वे महिलाएं जिनको मिले PM Modi के सोशल मीडिया अकाउंट
Written By: श्रीराम शर्मा
Sun, Mar 08, 2020 02:22 PM IST
पूरी दुनिया में आज 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' (International Women's Day) मनाया जा रहा है. समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में योगदान देने वाली महिलाओं के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला दिवस (#HappyWomensDay2020) के मौके पर मातृशक्ति को नमन करते हुए एक नायाब कदम उठाया है. प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स जैसे-फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब को समाज की 7 अलग-अलग महिलाओं को सौंप दिया है.
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सोशल मीडिया छोड़ने की बात
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वे हमें प्रेरणा देती हैं
बाद में प्रधानमंत्री ने साफ किया कि 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' पर उनके सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स महिलाएं हैंडल करेंगी. और प्रधानमंत्री ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स समाज के अलग-अलग वर्ग से आने वाली 7 महिलाओं को सौंप दिए. इन महिलाओं के चयन के लिए प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया पर #SheInspiresUs से एक अभियान शुरू किया. इस अभियान में देशभर से लड़कियां अपनी स्टोरी शेयर कर रही हैं.
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हम महिलाओं से सीखते हैं
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स्नेहा मोहनदास
प्रधानमंत्री ने अपना एक अकाउंट 'फूड बैंक इंडिया' की फाउंडर स्नेहा मोहनदास को सौंपा है. स्नेहा ने अपने ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी दी. अब वह पीएम मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपनी स्टोरी व वीडियो पोस्ट कर रही हैं. स्नेहा ने 2015 में फूड बैंक शुरू किया था. उस समय चेन्नई में बाढ़ आई थी. स्नेहा ने बताया कि भूख से लड़ने और भारत को भूख मुक्त बनाने के लिए उन्होंने यह पहल की.
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फूड बैंक इंडिया
स्नेहा ने बताया कि इसकी प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली. क्योंकि उनकी मां स्नेहा के जन्मदिन पर गरीब बच्चों को खाना खिलाती थीं. स्नेहा ने भी फेसबुक पर फूड बैंक का एक पेज बनाकर भूखे लोगों तक खाना पहुंचाने की एक मुहिम शुरू की और उनकी यह मुहीम न केवल पूरे देश में फैल चुकी है,बल्कि देश के बाहर दक्षिण अफ्रीका में भी कुछ लोगों ने स्नेहा को देखकर वहां भी फूड बैंक शुरू किया है.
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मालविका अय्यर
प्रधानमंत्री ने अपना एक सोशल मीडिया अकाउंट मालविका अय्यर (Malvika Iyer) को सौंपा है. मालविका शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा काम कर रही हैं. मलविका ने बताया कि जब वह 13 साल की थीं, बीकानेर में एक बम धमानेक में उनके हाथ और पैरों में गंभीर चोट आई और उन्हें अपने हाथ गंवाने पड़े. इस हादसे के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया. उन्होंने एक सहायक की मदद से 10वीं का एग्जाम दिया और इसमें स्टेट लेवल की रेंक हासिल की. इसके बाद मलविका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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