IPM: किसानों की आमदनी बढ़ाने का आसान तरीका, फसल भी रहे महफूज
Written By: श्रीराम शर्मा
Thu, Sep 03, 2020 09:56 PM IST
केंद्र सरकार का फोकस किसानों की आमदनी में इजाफा करके उनके जीवन स्तर में बदलाव करना है. सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुना करने का भी टारगेट तय किया है. इसके लिए मोदी सरकार लगातार नई-नई योजनाएं और पैकेज ला रही है. (Photo-Banas Dairy)
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वैज्ञानिक खेती
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इंट्रीगेटिट पेस्ट मैनेजमेंट
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खेती की शानदार तकनीक
कृषि विज्ञान केंद्र, गौतमबुद्ध नगर के प्रभारी डॉक्टर मंयक राय आईपीएम को खेती-किसानी की शानदार तकनीक मानते हैं. उन्होंने बताया कि आईपीएम तकनीक से कम खर्च में किसान फसल को कीट और बीमारियों से छूटकारा दिला सकता है और इसके लिए केमिकलों पर होने वाले खर्च में बचत कर सकता है. यह तकनीक निश्चित ही किसानों की आदमनी बढ़ाने में मददगार है. (Photo-Banas Dairy)
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क्या है आईपीएम
डॉक्टर मयंक राय बताते हैं कि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (IPM) को इंट्रीगेटिट पेस्ट कंट्रोल (Integrated Pest Control-IPC) भी कहते हैं. यह फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को कंट्रोल करने की सस्ती विधि है. इस तकनीक से कीटों की संख्या एक सीमा के नीचे बनाए रखी जा सकती है जहां फसल को नुकसान नहीं होता है.इस सीमा को 'आर्थिक क्षति सीमा' (economic injury level-EIL) कहते हैं.
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फसल के मित्र कीट
एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन एक ऐसा मैनेजमेंट है जिसमें फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को एक से अधिक तरीकों को जैसे व्यवहारिक, यांत्रिक, जैविक और केमिकलों को इस तरह से इस्तेमाल में लाना चाहिए ताकि कीटों की संख्या आर्थिक हानि स्तर से नीचे रहे और केमिकलों का इस्तेमाल तभी किया जाए जब अन्य तरीके कामयाब न हों. (Photo-PUSA)
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बिना केमिकल के खेती
डॉक्टर राय इसे सरल भाषा में समझाते हुए बताते हैं कि जब फसल में कीड़े या कोई बीमारी लगती है तो किसान कीटनाशक डालते हैं. खेत में खरपतवार होता है उसकी दवा डालते हैं. ये रासायनिक दवाएं न सिर्फ काफी महंगी पड़ती हैं बल्कि किसानों की सेहत, फसल और यहां तक खेत की मिट्टी को भी नुकसान पहुंचाती हैं. किसान बिना कीटनाशक भी खेती कर सकते हैं. बिना रसायनिक दवाओं के खेती करने के तरीके को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कहते हैं. (Photo-PUSA)
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आईपीएम का मकसद
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फसल को नुकसान
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आईपीएम की जरूरत क्यों
फसलों में केमिकलों का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे वातावरण तो खराब हो रहा है, साथ में लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. नई-नई बीमारियां जन्म ले रही हैं. केमिकलों के अंधाधुंध इस्तेमाल से कीटों और बीमारियों में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है जिससे केमिकलों का उन पर कोई असर नहीं होता. उल्टा फसल को नुकसान होता है.
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