गन्ना किसानों को राहत, शुगर मिल की चीनी बेचकर होगा किसानों के बकाया का भुगतान
सोमवार को गन्ना किसानों ने पुणे में एक बड़ा आंदोलन किया था. गन्ना किसान गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) दिए जाने और गन्ने का बकाया भुगतान किए जाने की मांग कर रहे थे.
जिन चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है उन मिलों की चीनी जप्त की जाएगी और फिर उस चीनी को बेचकर किसानों की बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा.
जिन चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है उन मिलों की चीनी जप्त की जाएगी और फिर उस चीनी को बेचकर किसानों की बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा.
(पुणे/प्रताप नायक)
देशभर के गन्ना किसानों की एक बड़ी समस्या लंबे समय से बनी हुई है और वह है चीनी मिल द्वारा उनके गन्ने का भुगतान नहीं करना. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. जिन चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है उन मिलों की चीनी जप्त की जाएगी और फिर उस चीनी को बेचकर किसानों की बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा.
महाराष्ट्र के शुगर कमिश्नर शेखर गायकवाड़ ने यह कार्रवाई करने के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं. महाराष्ट्र में 39 चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है. जानकारी के मुताबिक, इन चीनी मिलों ने गन्ना के उचित एवं लाभदायक मूल्य (एफआरपी) का भुगतान किसानों को नहीं किया है. शुगर आयुक्त ने संबंधित जिलाधिकारियों को चीनी मिलों की चीनी जप्त करने के आदेश दिए हैं.
गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान को लेकर यह अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है. खास बात ये है कि जिन चिनी मिलों की चीनी की जप्ती के आदेश दिए हैं उसमे महाराष्ट्र के पुर्व मंत्री और कद्दावर नेताओ की चिनी मिल भी शामिल हैं.
गन्ना किसानों ने किया था आंदोलन
बता दें कि बीते सोमवार को गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर गन्ना किसानों ने पुणे में एक बड़ा आंदोलन किया था. गन्ना किसान गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) दिए जाने और गन्ने का बकाया भुगतान किए जाने की मांग कर रहे थे. इस आंदोलन का नेतृत्व स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता तथा सांसद राजू शेट्टी ने किया.
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राजू शेट्टी ने बताया कि राज्य में कुल 191 चीनी कारखाने हैं और इनमें से 180 कारखानों पर किसानों का लगभग 5300 करोड़ का एफआरपी बकाया है.
भुगतान के बदले चीनी
बता दें कि गन्ना आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने पिछले दिनों गन्ना भुगतान का कुछ हिस्सा चीनी के रूप में करने पर सैद्धांतिक सहमति दी थी. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की कुल 181 चीनी मिलों में से केवल 10 चीनी मिलों ने कानूनी हिसाब से तय उचित एवं लाभकारी मूल्य (फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस) की पूरी रकम का भुगतान किया है. अन्य मिलों ने अभी तक किसानों को केवल 39 फीसदी एफआरपी का भुगतान किया है.
06:36 PM IST