विदेशों में उत्तराधिकार कर के कारण अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों को मिलता है अनुदान : वित्त मंत्री
उत्तराधिकार कर किसी मृत व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी से वसूला जाता है. भारत में राजीव गांधी की सरकार ने 1985 में इसे समाप्त कर दिया था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विकसित देशों में अस्पतालों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों को उत्तराधिकार कर जैसे कारकों के कारण भारी मात्रा में अनुदान प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति भारत के साथ नहीं है. जेटली ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में यहां एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं.
उन्होंने देश में स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक इकाइयों के वित्तपोषण के साधनों का विश्लेषण करते हुए कहा कि भारत में इन संस्थानों को धार्मिक समूहों तथा कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रमों से अनुदान मिलता है. उन्होंने कहा ज्यादातर अधिकांश अंतरराष्ट्रीय अस्पतालों को भारी मात्रा में अनुदान मिलता है. विदेशी शैक्षणिक संस्थानों को भारी मात्रा में अनुदान मिलता है. इन शैक्षणिक संस्थानों को ये अनुदान उनके पूर्व छात्रों से मिलता है जो इन संस्थानों की वजह से अपने जीवन में लाभ हुआ होता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि एक बार जब वे जीवन में सफल हो जाते हैं, वे अपने संस्थानों को दान देकर मदद करते रहते हैं. भारत में कुछ आईआईटी ने इस तरह का प्रयोग शुरू किया है. लेकिन अब भी यह बड़े स्तर पर नहीं है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप में कुछ प्रमुख अस्पतालों को अरबों डॉलर का अनुदान मिलता है. ये उन्हें उन लोगों और मरीजों से मिलता हैं जो उनसे लाभान्वित हुए रहते हैं.
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में सामाजिक कार्य मुख्यत: सामाजिक अनुदानों पर निर्भर रहते हैं.
उत्तराधिकार कर किसी मृत व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी से वसूला जाता है. अमेरिका तथा ब्रिटेन समेत अधिकांश पश्चिमी देशों में यह कर वसूला जाता है. भारत में भी पहले यह कर था लेकिन राजीव गांधी की सरकार ने 1985 में इसे समाप्त कर दिया था.
07:51 PM IST