‘गोल्डन ब्वॉय’के स्वागत में दिल्ली एयरपोर्ट पर उमड़ी भीड़, फूल-माला लिए एक झलक पाने को बेताब दिखे लोग
gold-medal winner Neeraj Chopra in Delhi Airport: नीरज चोपड़ा के लिए लोग लंबे समय से एयरपोर्ट के बाहर फूल-माला लेकर खड़े थे. ‘गोल्डन ब्वॉय’के आते ही उनका जोरदार स्वागत किया गया.
एथलेटिक्स में पिछले 100 सालों से था मेडल का इंतजार. (फोटो सोर्स- ट्विटर)
एथलेटिक्स में पिछले 100 सालों से था मेडल का इंतजार. (फोटो सोर्स- ट्विटर)
gold-medal winner Neeraj Chopra in Delhi Airport: भारत को एथलेटिक्स में पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा (NeerajChopra) भारत लौट आए हैं. नीरज चोपड़ा (NeerajChopra) के भारत आते ही दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत किया गया. उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेताब नजर आए.एयरपोर्ट से बाहर निकलते समय भीड़ इतनी थी कि उनका अपने गाड़ी तक पहुंच पाना भी मुश्किल दिखाई पड़ रहा था. नीरज चोपड़ा के इंतजार में लोग लंबे समय से एयरपोर्ट के बाहर फूल-माला लेकर खड़े थे.
नीरज जब एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे थे तो वहां आए सभी लोग काफी उत्साहित हो गए. कुछ लोगों ने तो अपना फोन का कैमरा पहले से ही खोल रखा था और नीरज संग सेल्फी लेने की कोशिश करने लगे. लेकिन भीड़ ज्यादा होने की वजह से नीरज किसी संग फोटो नहीं खींचा पाएं और सीधा जाकर अपनी गाड़ी में बैठ गए. नीरज ने फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर का थ्रो फेंककर इतिहास रचते हुए गोल्ड मेडल भारत के नाम कर दिया.
#WATCH | #Olympics Gold medalist, javelin thrower #NeerajChopra received by a huge crowd of people at Delhi Airport. pic.twitter.com/PEhVCoNt60
— ANI (@ANI) August 9, 2021
एथलेटिक्स में पिछले 100 सालों से था मेडल का इंतजार
इस जीत के साथ ही हरियाणा के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे ने भारतीयों को जश्न मनाने का मौका दे दिया. एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है. खेलों से नीरज के जुड़ाव की शुरुआत हालांकि काफी दिलचस्प तरीके से हुई. संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े.
इस तरह भाला फेंक खेल से हुई थी नीरज की दोस्ती
वह 13 साल की उम्र तक काफी शरारती थे. वह गांव में मधुमक्खियों के छत्ते से छेड़छाड़ करने के साथ भैसों की पूंछ खींचने जैसी शरारत करते थे. उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे. काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए जिससे उनका वजन घट सके. उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गये. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गये हैं.
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07:00 PM IST