Lockdown: ईपीएफ राशि के पेमेंट में देरी होने पर कंपनियों को नहीं देना होगा जुर्माना
देश में कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया है. इससे कंपनियों को कैश की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है और उन्हें भविष्य निधि कोष में किए जाने वाले जरूरी भुगतान में भी दिक्कतें आ रही हैं.
ईपीएफओ (EPFO) के पास उन कंपनियों से जुर्माना वसूलने का अधिकार है, जो जरूरी पीएफ राशि जमा नहीं करा पाती हैं. (रॉयटर्स)
ईपीएफओ (EPFO) के पास उन कंपनियों से जुर्माना वसूलने का अधिकार है, जो जरूरी पीएफ राशि जमा नहीं करा पाती हैं. (रॉयटर्स)
भविष्य निधि (Provident Fund) का मैनेजमेंट करने वाला संस्थान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने लॉकडाउन (Lockdown) पीरियड में कर्मचारियों की ईपीएफ राशि (Epf Amount) समय पर जमा नहीं करा पाने पर कंपनियों से कोई जुर्माना नहीं लेने का फैसला किया है. सरकार ने देश में कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया है. इससे कंपनियों को कैश की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है और उन्हें भविष्य निधि कोष में किए जाने वाले जरूरी भुगतान में भी समस्याएं आ रही हैं.
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त सुनील बर्थवाल ने कहा कि लॉकडाउन पीरियड के में देरी पर हम कोई हर्जाना (जुर्माना) नहीं लेने वाले हैं. यह हमारा हितधारकों, कंपनियों, नियोक्ताओं का ध्यान रखने के रवैये का हिस्सा है, जिसका हम पालन कर रहे हैं.
Relief to establishments covered under Employees Provident Funds and Miscellaneous Provisions (EPF & MP) Act, 1952 from levy of penalty for delayed deposit of dues during #lockdown
— PIB India #StayHome #StaySafe (@PIB_India) May 15, 2020
Details: https://t.co/J1Kirmr2Ln
ईपीएफओ (EPFO) के पास उन कंपनियों से हर्जाना या जुर्माना वसूलने का अधिकार है, जो ईपीएफ योजना 1952 के तहत जरूरी पीएफ राशि जमा नहीं करा पाती हैं. कंपनियों को अगले महीने की 15 तारीख तक पिछले महीने के वेतन पर बकाया जमा करना जरूरी होता है. हालांकि, कंपनियों को इसके लिए 10 दिन का एक्स्ट्रा समय भी दिया जाता है.
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श्रम मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार की तरफ से लगाया गया लॉकडाउन लंबा खिंच गया है. महामारी की वजह से दूसरी दिक्कतें भी आई हैं. इन सब से ईपीएफ एंड एमपी अधिनियम 1952 के तहत आने वाले प्रतिष्ठान प्रभावित हुए हैं और सामान्य रूप से काम करने तथा समय पर पेमेंट करने में असमर्थ हैं.
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मंत्रालय ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान योगदान या प्रशासनिक शुल्क के समय पर जमा करने में प्रतिष्ठानों के सामने आई कठिनाइयों को देखते हुए ईपीएफओ ने फैसला किया है कि ऑपरेशन या आर्थिक वजहों से इस तरह की देरी को डिफ़ॉल्ट और पेनाल्टी का नुकसान नहीं माना जाना चाहिए. इस तरह की देरी के लिए जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए.
10:27 AM IST