आपकी खरीदी हुई दवा असली है या नकली? QR कोड से होगी पहचान, सरकार ने उठाया सख्त कदम, जानें कब आएगा नियम?
QR Code in APIs: सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है.
QR Code on API: आपने केमिस्ट या ऑनलाइन पोर्टल से जो दवा खरीदी है, वो असली है या नकली, ये पहचानना अब और भी आसान हो जाएगा. नकली दवाओं को रोकने की ओर सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है. सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है. ऐसा करने से ग्राहकों को पता चल जाएगा कि उनके द्वारा खरीदी गई दवा असली है या नकली. इस नए नियम को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया है.
कब से लागू होगा नया नियम
बता दें कि ये असली और नकली दवाओं को लेकर ये नया नियम अगले साल यानी कि 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा. 1 जनवरी 2023 से API में QR कोड लगाना अनिवार्य होगा. इससे असली और नकली दवाओं की पहचान आसान होगी. साथ ही, इससे दवा बनाने वाली कंपनी को ट्रैक करना आसान होगा.
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इसके अलावा एपीआई में क्यूआर कोड (QR Code) लगाने से ये जानकारी भी आसानी से जुटाई जा सकेगी कि क्या दवा बनाने के फॉर्मूला से कोई छेड़छाड़ हुई है, कच्चे माल की ओरिजिन कहां है और ये प्रोडक्ट कहां जा रहा है.
3 फीसदी दवा की क्वालिटी घटिया
नकली, खराब या गुणवत्ता से नीचे के API से बनी दवा से मरीजों को फायदा नहीं होता. DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून, 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. कई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में बनी 20 फीसदी दवाएं नकली होती हैं. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 3 फीसदी दवाओं की क्वालिटी घटिया होती है.
2011 से अटका था फैसला
साल 2011 से ही सरकार इस सिस्टम को लागू करने की कोशिश कर रही थी लेकिन फार्मा कंपनियों के बार-बार मना करने की वजह से इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका था. फार्मा कंपनियां इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित थी कि वो अलग-अलग सरकारी विभाग अलग-अलग दिशा निर्देश जारी करेंगे.
कंपनियों की मांग थी कि देशभर में एक समान क्यूआर कोड लागू किया जाए, जिसके बाद साल 2019 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने ये ड्राफ्ट तैयार किया. जिसके तहत एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडेएंट्स (API) के लिए क्यूआर कोड जरूरी करना सुझाया गया था.
क्या होता है API
API यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स. ये इंटरमीडिएट्स, टेबलेट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने के मुख्य रॉ मैटेरियल्स होते हैं. किसी भी दवाई के बनने में एपीआई की मुख्य भूमिका होती है और इसके लिए भारतीय कंपनियां काफी हद तक चीन पर निर्भर हैं.
10:47 AM IST