DRDO के बनाए एंटी-कोविड ड्रग को भी हरी झंडी, DCGI ने इमरजेंसी यूज को दी मंजूरी
DCGI gives emergency approval of DRDO-developed anti-Covid oral drug: देश में कोरोनावायरस से बिगढ़ते हालातों को देखते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने गंभीर कोविड -19 मरीजों के लिए एक सहायक चिकित्सा के रूप में दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) (drug 2-deoxy-D-glucose (2-DG) के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.
दवा के क्लीनिकल ट्रायल्स सफल साबित हुए हैं, जिन मरीजों इस दावा का ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई
दवा के क्लीनिकल ट्रायल्स सफल साबित हुए हैं, जिन मरीजों इस दावा का ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई
DCGI gives emergency approval of DRDO-developed anti-Covid oral drug: देश में कोरोनावायरस से बिगढ़ते हालातों को देखते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने गंभीर कोविड -19 मरीजों के लिए एक सहायक चिकित्सा के रूप में दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) (drug 2-deoxy-D-glucose (2-DG) के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS), डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की एक लैब ने डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (Dr Reddy’s Laboratories) के साथ मिलकर ये दवा बनाई है.
दवा के क्लीनिकल ट्रायल्स सफल साबित हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, जिन मरीजों इस दावा का ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई. साथ ही मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम हो गई. ये भी दावा है कि दवा के इस्तेमाल से मरीजों की कोरोना रिपोर्ट बाकी मरीजों की तुलना में जल्दी निगेटिव हो रही है. यानी, वो जल्दी ठीक भी हो रहे हैं.
अप्रैल 2020 में, कोविड -19 की पहली लहर के दौरान, INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद की मदद से लेबोरेटरी एक्सपेरिमेंट किए और पाया कि यह SARS-CoV-2 वायरस के लिए प्रभावी रूप से काम करता है और वायरल विकास को रोकता है.
इन टेस्टिंग के आधार पर, डीसीजीआई सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने मई 2020 में कोविड -19 रोगियों में 2-डीजी के Phase-2 क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी.
मई-अक्टूबर 2020 तक Phase-2 ट्रायल (including dose ranging) का आयोजन किया गया, दवा कोविड -19 मरीजों में सुरक्षित पाई गई, और जिससे उनकी रिकवरी में भी सुधार हुआ. Phase-IIa 6 अस्पतालों में आयोजित किया गया था और Phase-IIb (खुराक लेकर) का क्लिनिकल ट्रायल पूरे देश के 11 अस्पतालों में आयोजित किया गया था.
सफल टेस्टिंग के आधार पर, DCGI ने नवंबर 2020 में चरण- III क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी. Phase-111 क्लिनिकल ट्रायल दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के दौरान 220 मरीजों पर किया गया जो दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के राज्यों में स्थित 27 कोविड -1 अस्पतालों में थे.
ये दवा पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है. ये दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन करकर वायरस को बढ़ने से रोकती है. इस दवा की खास बात ये है कि ये वायरस से संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करती है.
जिन लोगों को 2-DG दवा दी गई, उनमें से 42% मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन खत्म हो गई. लेकिन, जिन्हें दवा नहीं दी गई, ऐसे 31% मरीजों की ही ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हुई. यानी, दवा से ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हुई. एक अच्छी बात ये भी रही कि यही ट्रेंड 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों में भी देखा गया.
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03:28 PM IST