पर्यावरण बचाने के लिए महिलाओं ने खोला अनूठा बैंक, यहां पैसों की जगह होता बर्तनों का लेनदेन
सोशल मीडिया पर क्रॉकरी बैंक के सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है. दिल्ली-एनसीआर की महिलाएं इस क्रॉकरी बैंक में बढ़चढ़ कर दिलचस्पी दिखा रही हैं. महिलाओं का कहना है कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए यह अनूठी पहल है.
क्रॉकरी बैंक से लोग घरों में होने वाले छोटे-मोटे कार्यक्रम के लिए बर्तन उधार लेते हैं. बर्तन बिल्कुल फ्री मिलते हैं.
क्रॉकरी बैंक से लोग घरों में होने वाले छोटे-मोटे कार्यक्रम के लिए बर्तन उधार लेते हैं. बर्तन बिल्कुल फ्री मिलते हैं.
बैंक का नाम आते ही दिमाग में पैसों का लेनदेन करने वाली एक संस्था की तस्वीर उभर कर सामने आती है. लेकिन इन दिनों दिल्ली-एनसीआर के एक अनूठे बैंक की चर्चा सोशल मीडिया पर जोरशोर से हो रही है. खास बात ये है कि इस अनूठे बैंक को महिलाओं ने मिलकर खोला है और इस बैंक मकसद पैसों का लेनदेन नहीं बल्कि पर्यावरण को प्लास्टिक आदि से महफूज रखना है.
क्रॉकरी बैंक
अब तक अपने रोटी बैंक, कपड़ा बैंक और वाटर बैंक के बारे में सुना होगा लेकिन, नोएडा की महिलाओं ने क्रॉकरी बैंक खोला है. और इस क्राकरी बैंक ने दिल्ली-एनसीआर को प्लास्टिक मुक्त करने का जिम्मा उठाया है.
62 वर्षीय सविता भाटिया नोएडा के सेक्टर-15 A में रहती हैं. इनके पास स्टील के थाली, कटोरी, चम्मच समेत रसाईघर में काम आने वाले तमाम बर्तनों का अच्छा खासा स्टॉक है. अब इनके पास बर्तन उधार लेने के लिए फोन आते हैं. लोग इनसे किटी पार्टी, जन्मदिन, या घर के छोटे-मोटे कार्यक्रम में इस्तेमाल होने लायक बर्तन उधार लेने जाते हैं. सविता बर्तन उधार देने के बदले में कोई पैसा नहीं लेती हैं. उनका मकसद है कि लोग प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल या थर्माकोल से दूर रहें.
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होता है बर्तनों का लेनदेन
क्रॉकरी बैंक में वालंटियर सविता भाटिया का कहना है कि गरम खाना प्लास्टिक के बर्तन में खाने से शरीर में कई बीमारियां होती हैं. और जब ये प्लास्टिक जलाया जाता है तो पर्यावरण को इस से नुकसान पहुचता है. सविता ने बताया कि क्रॉकरी बैंक का मकसद लोगों को जागरुक करना है. लोग सोचते हैं कौन बर्तन लाएगा, फिर धोएगा और वापस करेगा, लेकिन वे ये नहीं सोचते कि जो पैसा आप डिस्पोजल बर्तन खरीदने में खर्च करते हैं, उस से बर्तन धुलवा भी तो सकते हैं.
सोशल मीडिया पर एक पहल
क्रॉकरी बैंक कोई संस्था नहीं है बल्किस, सोशल मीडिया के ज़रिए जुड़े लोगों का एक मिला-जुला प्रयास है. और यह पहल अबतक 2 लाख से भी ज़्यादा प्लास्टिक के बर्तन के इस्तेमाल होने से रोक पाया है.
सड़कों पर प्लास्टिक और थर्माकोल के बर्तन पड़े दिखाना आम बात हो गई है और लोग उसी तरह इसको नज़रंदाज़ भी कर देते हैं. लेकिन इसका असर न सिर्फ पर्यावरण पर पड़ता है बल्कि, प्लास्टिक में खाने से हमारे स्वास्थ पर भी बुरा असर पड़ता है. ये ही कारण है कि गुरुग्राम से शुरू हुई क्राकरी बैंक की यह अनूठी पहल अब दिल्ली, नोएडा समेत पूरे एनसीआर में फैल चुकी है और बड़ी संख्या में लोग इससे जुड़ रहे हैं.
टेक-यूज़-वाश-रिटर्न
क्रॉकरी बैंक से बर्तन उधार लेना आसान है. 'क्रॉकरी बैंक फ़ॉर एवरीवन' के नाम से इनका सोशल मीडिया पेज है जिस पर जाकर आप इन्हें मेसेज या कॉल कर सकते हैं. आपको अपनी लोकेशन बतानी है और आपकी जगह से हिसाब से सबसे नजदीकी वालेंटियर आपको मिल जाते हैं. ये पूरा विचार टेक-यूज़-वाश-रिटर्न पर आधारित है. जिसका मतलब है आप बर्तन ले जाएं, उन्हें इस्तेमाल करें, धोएं और वापस कर दें.
दिल्ली के राजौरी गार्डन में रहने वाली प्रगति अब तक 40 से ज़्यादा लोगों को प्लास्टिक के बर्तन इस्तेमाल करने की बजाय अपने क्रॉकरी बैंक से बर्तन दे चुकी हैं. उनका कहना है कि दिल्ली में इतना प्रदूषण है, यहां लोगों सबसे ज़्यादा कार्यक्रम करते हैं और बहुत प्लास्टिक इस्तेमाल करते हैं. हमारी ये ही कोशिश रहती है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इसके बारे में जागरूक करें. प्रगति पिछले 7 महीनों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और लोगों को ये आईडिया काफी पसंद आ रहा है.
क्रॉकरी बैंक से बर्तन ले जा चुके नवनीत ने बताया कि पहले वह भी डिस्पोजल या प्लास्टिक प्लेट्स का ही इस्तेमाल करते थे क्योंकि और कोई ऑप्शन नहीं था लेकिन अब जब हमारे पास ये विकल्प है तो हमे प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, और हमें देखकर दूसरे लोग भी सीखते हैं.
(रिपोर्ट- पीयूष शर्मा/ नई दिल्ली)
05:23 PM IST