महामारी कोरोना का फायदा उठा रहे 'मुनाफाखोर'! 10 गुना दाम पर हो रहा 'सांसों का सौदा'!
ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर से रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग रोकने को कहा है. साथ ही दवा सही दाम पर मिले ये सुनिश्चित करने को है.
अभी तक कोई कारगर वैक्सीन न बनने से मौतों का सिलसिला भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
अभी तक कोई कारगर वैक्सीन न बनने से मौतों का सिलसिला भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
देश में कोरोना के कोहराम के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जान का सौदा कर रहे हैं. ये सौदागर महामारी की दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी करके उससे 10 गुना तक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. देशभर से आ रही शिकायतों के बीच सरकार ने इन धंधेबाजों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर से रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग रोकने को कहा है. साथ ही दवा सही दाम पर मिले ये सुनिश्चित करने को है.
अब सवाल उठता है कि दवाओं की किल्लत का असली जिम्मेदार कौन है? सरकार ने अब तक इन मुनाफाखोरों पर क्या ऐक्शन लिया है? और आगे इस दवा की कालाबाजारी न हो, इसके लिए सरकार क्या करने जा रही है?
दवा की कालाबाजारी
देश में कोरोना की स्पीड थमने का नाम नहीं ले रही है. अभी तक कोई कारगर वैक्सीन न बनने से मौतों का सिलसिला भी लगातार बढ़ता जा रहा है. डॉक्टर्स कोरोना के मरीजों के अलग-अलग लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाओं से उनका इलाज कर रहे हैं. ऐसी ही एक दवा रेमडेसिविर है. देश में इमरजेंसी हालात में रेमडेसिविर को इस्तेमाल की इजाजत मिली है. इस वक्त रेमडेसिविर की डिमांड आसमान छू रही है और यही कारण है कि जान बचाने वाली इस दवा की जमकर कालाबाजारी शुरू हो गई है.
10 गुना दाम पर हो रहा 'सांसों का सौदा'!
दिल्ली, मुंबई सहित कई राज्यों से रेमडेसिविर की आपूर्ति कम होने और ब्लैक मार्केट में 10 गुना कीमत पर बिकने की खबरें आ रही हैं. कई लोगों को तो महंगे दामों पर भी ये दवा बहुत मुश्किल से मिल रही है. बाजार में कोरोना का असर कम करने वाली 'फेविपिराविर' और 'डेक्सामेथासोन' भी मौजूद हैं. लेकिन, रेमडेसिविर की इतनी डिमांड क्यों है? आइए वो भी जान लेते हैं.
कोरोना इलाज की सबसे कारगर दवा रेमडेसिवीर बाजार से हुई गायब! देखें ये रिपोर्ट...#Remdesivir #AapkiKhabarAapkaFayda #COVID19 pic.twitter.com/6OKeeRbcIp
— Zee Business (@ZeeBusiness) July 9, 2020
क्यों आई रेमडेसिविर की डिमांड?
अमेरिका में रेमडेसिविर का प्रयोग कोरोना के मरीजों पर किया गया. इलाज के दौरान डॉक्टरों को बेहतर नतीजे नजर आए. बता दें कि रेमडेसिविर कोरोना के लक्षणों को 15 दिन से घटाकर 11 दिन कर देती है. नतीजे देखने के बाद ICMR ने भी रेमडेसिविर को भारत में उतारने की इजाजत दे दी. हालांकि, अभी भी दवा के क्लीनिकल ट्रायल जारी है. इसलिए ड्रग कंट्रोलर ने रेमडेसिविर के इंजेक्शन की इजाजत सिर्फ इमरजेंसी में ही दी है. इसके बाद कोरोना की इस दवा की मांग बेतहाशा बढ़ गई. लेकिन, अभी रेमडेसिविर के इतने डोज मौजूद नहीं हैं. इस वक्त देश में सिप्ला और हेटेरो लैब्स दवा लॉन्च कर पाई हैं. सिप्ला की दवा अभी बाजार में पहुंची नहीं है. जबकि हेटेरो ने 20 हजार व्याइल मार्केट में भेजी थीं, जो अब खत्म होने को हैं.
देखिए रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग पर ये ग्राउंड रिपोर्ट#Remdesivir #AapkiKhabarAapkaFayda #COVID19 @Singh_NehaVinod @AnchorDeepak_ pic.twitter.com/OJI7KXSAdG
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भारत में नहीं बनती थी रेमडेसिविर
रेमडेसिविर दवा अभी तक भारत में नहीं बनाई जाती थी. लेकिन, अमेरिकी कंपनी गिलियड ने हेटेरो लैब, सिप्ला, मायलैन, जूबिलेंट लाइफ साइंसेस, डॉ. रेड्ड्डीज और जायडस-कैडिला के साथ भारत में दवा की मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का करार किया है. सिप्ला ने रेमडेसिविर की कीमत 4 हजार और हेट्रो ने 5 हजार 4 सौ रुपए तय की है.
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कितनी वसूली जा रही है कीमत?
आमतौर पर एक मरीज को इसकी पांच से 6 डोज देनी होती है. सप्लाई में कम और डिमांड में ज्यादा होने के चलते ब्लैक मार्केट में इसकी कीमत 50 हजार रूपए तक वसूली जा रही है. DGCI ने हाल ही में रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखकर निर्देश जारी किए. DGCI ने सभी ड्रग कंट्रोलर्स से रेमडेसिविर की सही दाम पर उपलब्ध कराने को कहा है. राज्यों में इस जीवनरक्षक दवा के नाम पर नजर रखनी होगी. इससे इसकी कालाबाजारी रोकी जा सके. वहीं, दवा की बढ़ी मांगों को लेकर. इसे बनाने वाली कंपनियों ने भी आने वाले दिनों में दवा की ज्यादा आपूर्ति की बात कही है.
01:12 PM IST