श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ चंद्रयान-2, 48 दिन बाद उतरेगा चांद पर
आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर बाद 2 बजकर, 43 मिनट पर चंद्रयान-2 अपने लक्ष्य की ओर उड़ान भरी. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के जरिए की गई.
जैसे ही घड़ी की उल्टी गिनती शून्य पर पहुंची, जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट आग का गोला छोड़ते हुए आसमान की ओर बढ़ गया. इसरो में मौजदू 250 वैज्ञानिकों समेत लाखों-करोड़ों देशवासियों की तालियों से पूरा वातावरण गूंज उठा.
जैसे ही घड़ी की उल्टी गिनती शून्य पर पहुंची, जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट आग का गोला छोड़ते हुए आसमान की ओर बढ़ गया. इसरो में मौजदू 250 वैज्ञानिकों समेत लाखों-करोड़ों देशवासियों की तालियों से पूरा वातावरण गूंज उठा.
आज से 50 साल पहले 21 जुलाई को भले ही आदमी ने चंद्रमा पर अपना पहला कदम रखा हो, लेकिन धरती के सबसे नजदीक यह उपग्रह अपनी कोख में न जाने कितने रहस्य दबाए हुए है. ऐसे ही कुछ रहस्यों की परत खोलने के लिए भारत का चंद्रयान-2 अपने मिशन पर रवाना हो गया है.
आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर बाद 2 बजकर, 43 मिनट पर चंद्रयान-2 अपने लक्ष्य की ओर उड़ान भरी. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के जरिए की गई.
जैसे ही घड़ी की उल्टी गिनती शून्य पर पहुंची, जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट आग का गोला छोड़ते हुए आसमान की ओर बढ़ गया. इसरो में मौजदू 250 वैज्ञानिकों समेत लाखों-करोड़ों देशवासियों की तालियों से पूरा वातावरण गूंज उठा.
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बता दें कि इससे पहले चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होनी थी लेकिन, तय समय से लगभग एक घंटे पहले तकनीकी खराबी का पता चलने के कारण इसे रोक देना पड़ा. लॉन्चिंग में देरी के कारण सात दिन के नुकसान की भरपाई के लिए चंद्रयान-2 की उड़ान अवधि में बदलाव कर 54 दिन से घटाकर 48 दिन कर दी गई है. पहले की योजना के अनुसार ही चंद्रयान-2 सात सितम्बर को चंद्रमा पर पहुंच जाएगा. इस अभियान पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
चांद और पृथ्वी के बीच में 3,84,000 किलोमीटर की दूरी है. इस दूरी को पूरा करने में कुल 48 दिन लगेंगे.
चंद्रयान-2 को GSLV Mk-III से प्रक्षेपित किया गया है जो भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है और इसे पूरी तरह से देश में ही निर्मित किया गया है.
ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' के बीच संकेत रिले करेगा. लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है. 'प्रज्ञान' रोवर (AI संचालित) 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ''प्रज्ञान'' है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है.
खास बात यह है कि लॉन्चिंग की तारीख आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चंद्रमा पर अपने पूर्व निर्धारित समय 6-7 सितंबर को ही पहुंचेगा. चंद्रयान-2 को पहले चांद तक अपनी यात्रा 54 दिन में पूरी करनी थी, लेकिन अब यह इस यात्रा को 48 दिन में पूरी करेगा. वैज्ञानिकों ने बताया कि समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा. पहले इसको पृथ्वी के 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा.
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया की चंद्रयान-2 के समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय कार्यक्रम के हिसाब से काम कर सकें. समय पर लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-2 लैंडिंग ऐसी जगह होगी, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा होती है. रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू हो जाएगी. लैंडर-रोवर को चंद्रमा पर 15 दिन काम करना है, इसलिए वक्त पर पहुंचना जरूरी है.
चंद्रयान-1
चन्द्रयान (चंद्रयान-1) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के तहत चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान था. इस अभियान के में एक मानवरहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह 30 अगस्त, 2009 तक सक्रिय रहा था. यह यान पोलर सेटलाईट लांच व्हीकल, पीएसएलवी के राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लॉन्च किया गया था. इसे चन्द्रमा तक पहुंचने में 5 दिन लगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया.
चंद्रयान-प्रथम ने चंद्रमा से 100 किमी ऊपर 525 किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया था.
03:09 PM IST