क्लीन फ्यूल की ओर बड़ा कदम: भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाएगी इंडियन ऑयल
India's first green hydrogen plant: इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) भविष्य में क्लीन एनर्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी मथुरा रिफाइनरी में देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट (green hydrogen plant) लगाएगी.
(Image: Reuters)
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India's first green hydrogen plant: इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) भविष्य में क्लीन एनर्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी मथुरा रिफाइनरी में देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट (green hydrogen plant) लगाएगी. IOC के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा कि कंपनी ने एक स्ट्रैटजिक ग्रोथ प्लान तैयार किया है, जिसका मकसद अगले 10 साल में पेट्रोकेमिकल्स, हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में पैठ बनाना है. साथ ही साथ अपने मुख्य रिफाइनिंग और फ्यूल मार्केटिंग बिजनेस पर फोकस करना है.
वैद्य ने एक इंटरव्यू में बताया कि कंपनी अपनी भविष्य की सभी रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल विस्तार परियोजनाओं में कैप्टिव पावर प्लांट नहीं लगाएगी. इसकी बजाय सोलर एनर्जी जैसे रिन्यूएबल सोर्स से पैदा होने वाली 250 मेगावाट बिजली का इस्तेमाल करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास राजस्थान में एक विंड पावर प्रोजेक्ट है. हमारा प्लान उस बिजली को अपनी मथुरा रिफाइनरी तक पहुंचाने है. साथ ही उसका इस्तेमाल इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने पर है.’’यह देश की पहली ग्रीन हाइड्रोजन यूनिट होगी. इससे पहले जिन प्रोडक्ट का एलान हुआ है, वे ‘ग्रे हाइड्रोजन’ से संबंधित हैं, जहां उत्पादन के लिए नेचुरल गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है.
बता दें, भविष्य में दुनिया की एनर्जी डिमांड को पूरा करने के लिए हाइड्रोजन पर सबकी नजर है. हाइड्रोजन अपने आप में एक क्लीन फ्यूल है, लेकिन इसकी मैन्युफैक्चरिंग में एनर्जी खर्च होती है और कार्बन बाइप्रोडक्ट के रूप में पैदा होता है. ब्राउन हाइड्रोजन को कोल गैसीफिकेशन के जरिए पैदा किया जाता है जबकि ग्रे हाइड्रोजन बनाने की प्रक्रिया में कार्बन वेस्ट निकलता है.
मथुरा रिफाइनरी को क्यों चुना गया?
आईओसी चेयरमैन वैद्य ने कहा कि मथुरा को टीटीजेड (ताज ट्रेपेजियम जोन) से इसकी निकटता के आधार पर चुना गया है और भविष्य में रिफाइनरी में कार्बन उत्सर्जक ईंधन की जगह ग्रीन हाइड्रोजन का अधिक से अधिक इस्तेमाल होगा. प्रोजेक्ट के एक्सपेंशन में ग्रीन इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल होगा. एनर्जी डिमांड को पूरा करने के लिए ग्रीन पावर को तरजीह दी जाएगी. इंडियन ऑयल के एक्सपेंशन प्लान में पानीपत, (हरियाणा) और बरौनी (बिहार) प्लांट शामिल है. इसके अलावा, चेन्नई के पास एक नई यूनिट लगाने का भी प्लान है.
वैद्य ने कहा, ‘‘हम साल 2023-24 तक अपनी रिफाइनरी क्षमता को 2.5 करोड़ टन बढ़ाने जा रहे हैं. सीपीसीएल सहित अब हमारी क्षमता 8.05 करोड़ टन हैं, हम 10.5 करोड़ टन होने जा रहे हैं.’’ वैद्य ने कहा कि आईओसी कार्बन कैप्चर, उपयोग और स्टोरेज टेक्नोलॉजी पर रिसर्च बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन भविष्य का फ्यूल होगा और इसलिए आईओसी पायलट आधार पर कई हाइड्रोजन उत्पादन यूनिट लगाने की योजना बना रही है.
04:09 PM IST