पढ़ने लायक भाषा में दवा लिखेंगे डॉक्टर, अस्पतालों में लागू होगा मिनिमम स्टैंटर्ड ड्राफ्ट
सरकार ने डॉक्टर्स की OPD क्लीनिक के लिए मिनिमम स्टैंडर्ड को लेकर ड्राफ्ट तैयार किया है. नए नियमों के तहत डॉक्टर को सभी मरीजों का रिकॉर्ड और आंकड़ा रखना ज़रूरी होगा.
नए नियमों के मुताबिक, डॉक्टर जो भी पर्ची लिखेंगे वे साफ-सुथरी और पढ़ने लायक भाषा में होना चाहिए.
नए नियमों के मुताबिक, डॉक्टर जो भी पर्ची लिखेंगे वे साफ-सुथरी और पढ़ने लायक भाषा में होना चाहिए.
सरकार ने डॉक्टर्स की OPD क्लीनिक के लिए मिनिमम स्टैंडर्ड को लेकर ड्राफ्ट तैयार किया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से तय नियमों के तहत डॉक्टर को सभी मरीजों का रिकॉर्ड और आंकड़ा रखना ज़रूरी होगा. मतलब डॉक्टर जो भी पर्ची लिखेंगे वे साफ-सुथरी और पढ़ने लायक भाषा में होना चाहिए. उसकी एक कॉपी डॉक्टर के पास रिकॉर्ड के लिए रखी जानी चाहिए. साथ ही कंसल्टेंसी और अन्य सेवाओं के लिए ली जाने वाली फीस को क्लीनिक में प्रमुखता से दिखाना होगा. क्लीनिक में आने वाले हर मरीज़ की एंट्री करनी होगी. क्लीनिक में बेसिक फर्नीचर, जांच पड़ताल के लिए बेसिक इक्विपमेंट और 14 इमरजेंसी दवाओं का स्टॉक रखना ज़रूरी होगा. अभी बड़े अस्पतालों के OPD में कंप्यूटराइज़्ड रिकॉर्ड रखा जाता हैं. लेकिन छोटे अस्पतालों में अक्सर मरीज के पास ही सारा ब्यौरा होता है.
जनरल फिजिशियन की क्लीनिक के लिए कम से कम साइज़ का भी प्रस्ताव किया गया है. जैसे कम से कम 35 वर्गफुट कारपेट एरिया वाले रिसेप्शन होना चाहिए. और 70 वर्गफुट एरिया कंसल्टेंसी यानि मरीज़ की जांच पड़ताल के लिए होना ज़रूरी है. हालांकि डेंटिस्ट के लिए कंसल्टेंसी एरिया कम से कम 100 वर्गफुट का होना चाहिए. स्टोर और फार्मेसी के लिए कम से कम 40 वर्गफुट कारपेट एरिया ज़रूरी होगा. अलग अलग बीमारियों के स्पेशलिस्ट के लिए अलग अलग बेसिक इक्विपमेंट का पैमाना तय किया गया है. इसी तरह स्पेशलिस्ट की कैटेगरी के हिसाब से ज़रूरी दवाओं की लिस्ट भी अलग अलग होगी. क्लीनिक में जो दवाएं रखी जाएंगी डॉक्टर्स को उसका रिकॉर्ड भी रखना होगा.
अगर किसी बीमारी को लेकर राज्य या केंद्र सरकार की कोई स्कीम चल रही है तो उस बीमारी का सारा आंकड़ा हर तिमाही जिले या इलाके के चिकित्सा अधिकारी को देना होगा. क्लीनिक के खुलने और बंद होने का समय प्रमुखता से लिखना होगा. क्लीनिक में क्या क्या सुविधाएं दी जाती हैं ये भी बोर्ड पर लिखना होगा. क्लीनिक साफ सुथरा रहे, पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था हो और बैठने का पर्याप्त इंतज़ाम रखना होगा.
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डॉक्टर्स के लिए ज़रूरी होगा कि वो राज्य या केंद्र के मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड हों. जबकि क्लीनिक के लिए राज्य मेडिकल काउंसिल का लाइसेंस हो. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत राज्य पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का लाइसेंस लेना भी ज़रूरी किया गया है. प्रस्तावित नियम आयुश और एलोपैथी दोनों किस्म के क्लीनिक पर लागू होंगे. प्रस्तावित नियमों पर 45 दिनों तक राय ली जाएगी और फिर मिले सुझावों के आधार पर अंतिम नियम तय होंगे.
10:17 PM IST