आर्युवेदिक सर्जरी पर टेंशन! जानें IMA क्यों कर रहा फैसले का विरोध?
Ayurvedic Surgery: द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया ने आयुर्वेद के डॉक्टर को सर्जरी की डिग्री देना मरीजों से खिलवाड़ करना करार दिया है.
कुछ संस्थान सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं. (रॉयटर्स)
कुछ संस्थान सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं. (रॉयटर्स)
Ayurvedic Surgery: आयुर्वेदिक इलाज भारत में सालों पुराना है. ताजा मामला आर्युवेदिक सर्जरी से जुड़ा है. दरअसल सरकार के ताजा फैसले के बाद अब आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर अब सर्जरी कर सकेंगे. आयुष मंत्रालय ने इसमें कुल 58 तरह की सर्जरी को शामिल किया है. इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. इस फैसले से सरकार का मकसद देश में सर्जन की कमी को पूरा करना और दूर-दराज के इलाकों में अच्छा इलाज मुहैया कराना है. लेकिन आर्युवेदिक सर्जरी का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन Indian Medical Association विरोध कर रहा है.
इंडियन मेडिकल सेंट्रल काउंसिल रेगुलेशन 2016 में संशोधन (Amendment in Indian Medical Central Council Regulations 2016)
जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, आयुर्वेद के डॉक्टर डेंटल सहित जनरल सर्जरी और आंख-कान और नाक की भी सर्जरी कर सकेंगे. सरकार ने इंडियन मेडिकल सेंट्रल काउंसिल रेगुलेशन 2016 में संशोधन किया है. इसका मकसद पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को सर्जरी की ट्रेनिंग देना है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, पहले ऐसे स्टूडेंट्स सर्जरी की पढ़ाई तो करते थे लेकिन सर्जरी करने को लेकर कोई स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं थी.
CCIM ने अपनी बात रखी (CCIM clarification)
सरकार के इस फैसले पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन यानी CCIM ने अपनी बात रखी है. इसमें सीसीआईएम ने कहा है कि Ayurveda के डॉक्टर पिछले 25 सालों से आयुर्वेद संस्थानों और अस्पतालों में सर्जरी कर रहे हैं. यह नोटिफिकेशन इनकी वैधानिकता को स्पष्ट करने भर के लिए है.
आर्युवेदिक ऑपरेशन पर टेंशन कैसी?
— Zee Business (@ZeeBusiness) November 23, 2020
IMA क्यों कर रहा फैसले का विरोध?
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सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से देश में कुशल सर्जनों की कमी को पूरा किया जा सकेगा. दूर-दराज के मरीजों को बार-बार शहर नहीं आना पड़ेगा. इससे शहरों के अस्पतालों पर भी बोझ कम करने में मदद मिलेगी.
सरकार के फैसले से नाखुश हैं ये संस्थान (Indian Medical Association and The Association of Surgeons of India)
कुछ संस्थान सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया इस फैसले से खुश नहीं हैं. आईएमए ने सीसीआईएम के इस फैसले को एकतरफा बताते हुए आयुर्वेद के डॉक्टरों को अयोग्य बताया है.
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आईएमए ने आयुर्वेद के डॉक्टर्स को मॉडर्न मेडिसिन के मुताबिक सर्जरी न करने की सलाह दी है और पुराने ज्ञान के आधार पर सर्जरी का तरीका खोजने को कहा है. आईएमए ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा है कि इस फैसले के बाद NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा. द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया ने आयुर्वेद के डॉक्टर को सर्जरी की डिग्री देना मरीजों से खिलवाड़ करना करार दिया है.
09:49 PM IST