और गिर गया रुपया, इतिहास में पहली बार 71.79 के स्तर पर लुढ़का, ऐसे होगा आप पर असर
शुरुआती कारोबार में सुधार के लक्षण दिखाने के बाद बुधवार को रुपये में जल्द ही गिरावट देखी गई. डॉलर के मुकाबले यह 21 पैसे टूटकर 71.79 पर पहुंच गया. इसकी अहम वजह बैंकों और आयातकों की ओर से डॉलर की अचानक की गई लिवाली रही. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे टूटकर 71.58 पर बंद हुआ था. इसके बाद सुबह इसमें सुधार देखा गया और यह 71.43 पर खुला. सुबह के कारोबार में रुपया अस्थिर रहकर डॉलर के मुकाबले 71.40 से 71.79 के बीच बना हुआ है.
डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे टूटकर 71.79 पर पहुंच गया.
डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे टूटकर 71.79 पर पहुंच गया.
नई दिल्ली: शुरुआती कारोबार में सुधार के लक्षण दिखाने के बाद बुधवार को रुपये में जल्द ही गिरावट देखी गई. डॉलर के मुकाबले यह 21 पैसे टूटकर 71.79 पर पहुंच गया. इसकी अहम वजह बैंकों और आयातकों की ओर से डॉलर की अचानक की गई लिवाली रही. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे टूटकर 71.58 पर बंद हुआ था. इसके बाद सुबह इसमें सुधार देखा गया और यह 71.43 पर खुला. सुबह के कारोबार में रुपया अस्थिर रहकर डॉलर के मुकाबले 71.40 से 71.79 के बीच बना हुआ है.
मुद्रा कारोबारियों के अनुसार उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के संकट में रहने और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बनी तेजी के चलते रुपये की अनुमानित मांग से इसके रुख उतार-चढ़ाव भरा बना हुआ है. इसके अलावा अन्य विदेशी मुद्राओं के लगातार मजबूत होने से भी रुपया में गिरावट का दौर जारी है.
इस साल 11 फीसदी कमजोर हुआ रुपया
रुपये ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी. लेकिन 2018 की शुरुआत से रुपये में लगातार कमजोरी बनी हुई है. इस साल अब तक रुपये में 11 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
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रुपया गिरने से आम आदमी पर असर
> भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है.
> रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा.
> तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में और बढ़ोतरी कर सकती हैं.
> डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है.
> इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
आपकी जेब पर पड़ेगा असर
1. पेट्रोल-डीजल हो सकता है महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपए के 70 के स्तर पार पहुंचने का असर क्रूड के इंपोर्ट पर पड़ेगा. इंपोर्ट्स को तेल की ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इसकी वजह से तेल कंपनियां रोजाना होने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आयात करता है. ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इंपोर्ट महंगा होगा तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं.
2. बढ़ सकती है महंगाई
देश में खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है. ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेगा. वहीं, एडिबल ऑयल भी महंगे होगे.
3. जरूरत की होगी महंगाई
अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे इन प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने की संभावना है.
4. ऑटो की बढ़ेंगी कीमतें
ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है. रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं.
किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा
रुपए के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने का सबसे ज्यादा फायदा आईटी, फॉर्मा के साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर को होगा. इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है. ऐसे में डॉलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के साथ यूएस मार्केट में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को होगा. इसके अलावा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का फायदा मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
07:40 PM IST