हेल्थ व फिटनेस इनफ्लुएंसर ध्यान दें! अब सोशल मीडिया पर नहीं दे पाएंगे मनमानी सलाह, सरकार ने बनाए ये नियम
अब हेल्थ व फिटनेस इनफ्लुएंसर अपना मनमाना ज्ञान सोशल मीडिया पर नहीं दे पाएंगे क्योंकि सरकार ने इसकी लगाम कसने की तैयारी कर ली है. इनके लिए सरकार की ओर से नई गाइडलाइन जारी की गई है.
Image- Freepik
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कोरोना काल के बाद से सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स पर हेल्थ व फिटनेस इनफ्लुएंसर भी तेजी से बढ़े हैं. तमाम लोग फिटनेस और हेल्थ से जुड़े टिप्स देते रहते हैं. जिस विषय पर वो ज्ञान दे रहे हैं, उसके बारे में खुद कितना जानते हैं, या उनके दिए टिप्स कितने सही हैं, ये लोग नहीं जानते और उन्हें फॉलो करना शुरू कर देते हैं. इसके कारण कई बार लोगों को फायदे की बजाय नुकसान होने लगता है.
लेकिन अब हेल्थ व फिटनेस इनफ्लुएंसर अपना मनमाना ज्ञान सोशल मीडिया पर नहीं दे पाएंगे क्योंकि सरकार ने इसकी लगाम कसने की तैयारी कर ली है. उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) के तहत उपभोक्ता कार्य विभाग ने स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती क्षेत्र से जुड़े सेलिब्रिटिज, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं.
विशेषज्ञ या प्रमाणित हो तभी करें दावा
इस गाइडलाइन का उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, निराधार दावों से निपटना और स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के समर्थन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. गाइडलाइन के तहत मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्रमाणित चिकित्सकों और स्वास्थ्य और फिटनेस विशेषज्ञों को जानकारी साझा करते समय, उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय यह बताना होगा कि वे प्रमाणित स्वास्थ्य/फिटनेस विशेषज्ञ और चिकित्सा व्यवसायी हैं.
कब देना होगा डिस्क्लेमर
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गाइडलाइन के अनुसार जो सेलिब्रिटी और इंफ्लूएंसर्स खुद को हेल्थ एक्सपर्ट और मेडिकल प्रैक्टिशनर बताते हैं, उन्हें स्वास्थ्य से जुड़े दावे करते वक्त अपने व्यक्तिगत विचारों और पेशेवर सलाह के बीच साफ-साफ अंतर बताना होगा. दर्शकों को प्रोफेशनल चिकित्सा परामर्श प्राप्त करने और उत्पादों या सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा.
उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि देखने वाले यह समझें कि उनकी पुष्टि को प्रोफेशनल चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इसी के साथ-साथ उन्हें बिना मजबूत तथ्यों के स्वास्थ्य से जुड़े दावे करने से भी बचना होगा. गाइडलाइन में ये कहा गया है कि इंफ्लूएंसर्स को डिस्क्लेमर देना होगा कि उनके कंटेंट को पेशेवर एक्सपर्ट्स की सलाह के विकल्प के तौर पर न लिया जाए. किसी भी प्रोडक्ट का प्रचार करते समय उन्हें लोगों को ये बताना होगा कि वो इस्तेमाल करने से पहले एक बार विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. ये डिस्क्लेमर उन्हें प्रमोशन के साथ-साथ किसी भी तरह के स्वास्थ्य से जुड़े दावे करते वक्त देना होगा.
इन लोगों को छूट
हालांकि इस गाइडलाइन में उन लोगों को राहत दी गई है, जो किसी खास प्रोडक्ट की सलाह देने की बजाय स्वस्थ रहने के लिए आम बातें शेयर करते हैं जैसे नियमित पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखना चाहिए, एक्सरसाइज करें, हल्दी वाला दूध पीएं, पूरी नींद लेने की सलाह, स्क्रीन टाइम कम करना, हानिकारक यूवी किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना आदि.
नियमों की अनदेखी करने पर लगेगा जुर्माना
बता दें कि डीओसीए सक्रिय रूप से इन दिशानिर्देशों की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा. उल्लंघन करने पर उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. विभाग उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और एक निष्पक्ष और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, विशेष रूप से तेजी से बढ़ रहे प्रभावशाली डिजिटल क्षेत्र में। यह दिशा निर्देश उद्योग को और मजबूत करेगा और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेगा.
इनपुट- पीबीएनएस
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