चीनी उत्पादन में भारत होगा नंबर 1 देश, ब्राजील को पछाड़ कर हासिल करेगा उपलब्धि
चीनी उत्पादन में भारत ब्राजील को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन जाएगा.
उद्योग निकाय इस्मा ने सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है. (फाइल फोटो)
उद्योग निकाय इस्मा ने सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली : चीनी उत्पादन में भारत ब्राजील को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन जाएगा. क्योंकि चीनी मिलें अगले पेराई सत्र (अक्तूबर-अप्रैल 2018-19) के दौरान एक लाख करोड़ के गन्ने की खरीद कर सकती है. उनके वर्तमान नकदी संकट को देखते हुए आगामी सत्र में गन्ने के लिए भुगतान संकट की स्थिति बढ़ी है. पेराई वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन बढ़कर 3.55 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है जो चालू वर्ष में 3.25 करोड़ टन है. चालू पेराई सत्र में चीनी मिलों ने 92,000 करोड़ रुपये के गन्नों की खरीद की है, जिनमें से किसानों का 13,000 करोड़ रुपये अब भी बकाया है.
32.5 करोड़ टन गन्ना पेराई करने की संभावना
सूत्रों ने कहा, "चीनी मिलों द्वारा अक्टूबर 2018 और अप्रैल 2019 के बीच 32.5 करोड़ टन गन्ना पेराई करने की संभावना है. सरकार द्वारा तय वर्तमान गन्ना मूल्य पर, कुल गन्ना भुगतान 1,00,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है." केंद्र ने विपणन वर्ष 2018-19 के लिए 10 प्रतिशत की चीनी प्राप्ति के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. सूत्र ने बताया, "औसत चीनी प्राप्ति की दर अगले वर्ष 10.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जिसका मतलब है कि चीनी मिलों को एफआरपी के अनुसार उत्पादकों को लगभग 300 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान करना होगा." इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा जैसे कुछ राज्य राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) नामक अपनी गन्ना कीमत की घोषणा करते हैं, जो केंद्रीय रूप से निर्धारित एफआरपी से अधिक होता है.
गन्ने का बकाया 9,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान
सूत्रों के मुताबिक, नए विपणन वर्ष के आरंभ में गन्ना का बकाया 9,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान किया गया है और अगर सरकार उनकी मदद करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करती तो यह बकाया पेराई सत्र के अंत होने अथवा अप्रैल 2019 के अंत तक 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है. रिकॉर्ड उत्पादन होने के कारण कम कीमत होने के मद्देनजर चीनी मिलों को होने वाली वित्तीय कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए चीनी मिलें, उत्पादकों को समय पर गन्ना भुगतान करने में सक्षम नहीं हो पाई हैं.
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केंद्र सरकार ने बढ़ाईं कई सुविधाएं
चीनी मिलों द्वारा गन्ना उत्पादकों को गन्ना कीमत का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके इसके लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं. उदाहरण के लिए, केंद्र ने आयात शुल्क को दोगुना कर 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, निर्यात शुल्क को खत्म कर दिया है, 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया गया है और एथेनॉल केन्द्रों को स्थापित करने के लिए 4,500 करोड़ रुपये का आसान ब्याज दर वाला रिण उपलबध कराने की घोषणा की है.
इस्मा ने चीनी की कीमत 36 रुपए करने की मांग की
उद्योग निकाय इस्मा ने सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को मौजूदा 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किग्रा करने और अगले विपणन वर्ष में 70 लाख टन चीनी का अनिवार्य रूप से निर्यात करने के लिए कोटा निर्धारित किये जाने का आग्रह किया था. अगले महीने चीनी का शुरुआती स्टॉक 1.05 करोड़ टन रहने का अनुमान है और यदि निर्यात नहीं किया जाता है, तो यह आरंभिक स्टॉक 1.9 करोड़ टन का हो जाएगा. निर्यात न हो पाने की स्थिति में बाजार में चीनी की भरमार होगी और स्थानीय कीमतों में और गिरावट आएगी. विपणन वर्ष 2018-19 के दौरान चीनी की कुल उपलब्धता सर्वकालिक उच्च स्तर यानी लगभग 4.5 करोड़ टन होगी, जबकि वार्षिक घरेलू मांग केवल 2.6 करोड़ टन ही है, जिससे 1.9 करोड़ टन चीनी का अधिशेष स्टॉक बच जाएगा.
इनपुट एजेंसी से भी
07:29 PM IST