GST काउंसिल की 42वीं बैठक आज, इस अहम मुद्दे को लेकर हो सकता है हंगामा
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल (GST Council) की सोमवार को होने वाली बैठक हंगामेदार रहने के आसार हैं.
GST काउंसिल की 42वीं बैठक (GST Council Meeting) में विपक्षी दल केंद्र के विकल्प का विरोध कर सकते हैं. (PTI)
GST काउंसिल की 42वीं बैठक (GST Council Meeting) में विपक्षी दल केंद्र के विकल्प का विरोध कर सकते हैं. (PTI)
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल (GST Council) की सोमवार को होने वाली बैठक हंगामेदार रहने के आसार हैं. दरअसल, गैर-बीजेपी शासित राज्य अभी भी क्षतिपूर्ति (Compensation) के मुद्दे पर केंद्र के साथ असहमत हैं. भाजपा शासित राज्यों समेत कुल 21 राज्यों ने GST क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है. इन राज्यों के पास चालू वित्त वर्ष में GST रेवन्यू में कमी की भरपाई के लिए 97 हजार करोड़ रुपए उधार लेने का विकल्प चुनने का सितंबर मध्य तक समय था. हालांकि पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे विपक्षी दलों के राज्यों ने केंद्र सरकार के कर्ज उठाने के दिए गए विकल्प को अब तक नहीं चुना है.
वैकल्पिक व्यवस्था की मांग
सूत्रों का कहना है कि 5 अक्टूबर को होने वाली GST काउंसिल की 42वीं बैठक (GST Council Meeting) में विपक्षी दल केंद्र के विकल्प का विरोध कर सकते हैं. ये राज्य GST कंपंसेशन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर सकते हैं. इन राज्यों का मानना है कि राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को GST से मिलने वाले राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमी आ सकती है.
अगस्त में दिए थे दो ऑप्शन
केंद्र सरकार की गणना के हिसाब से इसमें महज 97 हजार करोड़ रुपए की कमी के लिए GST का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपए की कमी कोविड-19 के कारण है. केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो ऑप्शन दिए थे. इसके तहत राज्य या तो रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई विशेष सुविधा से 97 हजार करोड़ रुपए का कर्ज उठा सकते हैं या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपए उधार ले सकते हैं. गैर-भाजपा शासित राज्य GST रेवेन्यू में कमी को लेकर केंद्र सरकार के साथ आमने-सामने हो गए हैं.
कौन से राज्य कर रहे हैं विरोध
ऐसे छह राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के पेश विकल्प का विरोध करते हुए पत्र लिखा है. ये राज्य चाहते हैं कि GST रेवेन्यू में कमी की भरपाई के लिए केंद्र सरकार कर्ज ले, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि वह उन टैक्स के एकज में कर्ज नहीं उठा सकती है, जो उसके खाते के नहीं हैं. अगस्त 2019 से सेस (Cess) में कमी में गिरावट आने के बाद से राज्यों को कंपंसेशन के भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं.
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केंद्र सरकार को इसके बाद कंपंसेशन के भुगतान के लिए 2017-18 तथा 2018-19 में जमा उपकर की राशि का इस्तेमाल करना पड़ा है. केंद्र सरकार ने 2019-20 के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर 1.65 लाख करोड़ रुपए जारी किए हैं. जबकि इस दौरान कलेक्शन महज 95,444 करोड़ रुपए रहा है.
08:57 AM IST