दुनियाभर में आने वाली है आर्थिक मंदी! छिन जाएंगी नौकरियां, बंद होंगे कारोबार, जानें वजह
अमेरिका की इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक बार फिर से आर्थिक मंदी के संकेत दिए हैं और यह जल्दी ही वैश्विक मंदी में बदलने वाली हैं. राहत की बात ये है कि भारत इस मंदी की चपेट से दूर रहेगा.
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का असर दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई है.
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का असर दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई है.
अमेरिका की इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक बार फिर से आर्थिक मंदी के संकेत दिए हैं. दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाएं मंदी के संकेत दे रही हैं और यह जल्दी ही वैश्विक मंदी में बदलने वाली हैं. मार्गन स्टेनली की मानें तो यह मंदी अगले 9 महीनों में ही आ जाएगी. लेकिन राहत की बात ये है कि भारत इस मंदी की चपेट से दूर रहेगा.
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, भारत में मंदी का खतरा इस स्तर तक नहीं है. लेकिन, सरकार को चौकन्ना रहना होगा और इसकी अनदेखी किए बगैर जरूरी कदम उठाने होंगे. पिछले दिनों RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि स्थागत या नीतिगत तौर पर भारत में सबकुछ सही दिशा में चल रहा है.
मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि अगर अमेरिका के जरिए ट्रेड वॉर फिर से भड़कता है और वह चीन से आने वाले सभी सामानों पर ड्यूटी बढ़ाकर 25 फीसदी कर देता है, तो दुनिया में तीन तिमाहियों में ही मंदी आ जाएगी.
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भारत में हालांकि मंदी के उतने लक्षण नहीं दिख रहे हैं, लेकिन ऑटे सेक्टर इस मंदी की चपेट में आ सकता है.
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और अन्य यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है. ब्रेक्सिट के कारण राजनीतिक उठा-पटक की वजह से वहां दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद सिकुड़ गया है, जिससे मंदी की आशंका बढ़ गई है.
इस मंदी को देखते हुए दुनिया के तमाम सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों रेपो रेट में 0.35 फीसदी की कटौती की थी. न्यूजीलैंड ने 50 आधार अंकों और थाईलैंड ने भी 25 आधार अंकों की कटौती की है.
हालांकि, भारत में मंदी का खतरा नहीं है, लेकिन सरकार और नीति निर्माता इसकी अनदेखी नहीं कर सकते और उन्हें जरूरी कदम उठाने होंगे.
वैश्विक मंदी के कारण
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का असर दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई है. दोनों देश के बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि चीन और अमेरिका के बीच होने वाले ट्रेड टॉक को कैंसिल किया जा सकता है. जानकारों का कहना है कि 2020 के अंत में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक ट्रंप का यह रवैया रह सकता है और तब तक ट्रेड वॉर का खतरा बना रहेगा.
पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि वह 1 सितंबर से चीन से आने वाले 300 बिलियन डॉलर के सामान पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाएंगे. उन्होंने कहा कि यह टैरिफ 250 बिलियन डॉलर के सामान पर लगने वाले 25 फीसदी के टैरिफ से अलग होगा.
मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि अगर 300 बिलियन डॉलर पर टैरिफ बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया जाता है तो दुनिया भर में तीन तिमाही में मंदी आ जाएगी. और, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ट्रंप आने वाले दिनों में ऐसा कर सकते हैं.
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उधर, IMF ने चीन की विकास दर को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है. अमेरिका के इस कदम से चीन का ग्रोथ रेट तेजी से गिर रही है.
वैश्विक मंदी का सबसे बड़ा दूसरा कारक बांड यील्ड का उल्टा होना है. यह घटना 2008 की मंदी से पहले भी हुई थी. मंदी से पहले भी बांड यील्ड के ग्राफ का कर्व उलटा हुआ था और यह अब लगभग वैसा ही हो रहा है. वैश्विक मंदी का सबसे बड़ा संकेत है कि मांग में भारी कमी आई है. ये हालात लगभग पूरी दुनिया के हैं.
11 साल बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स (2.25 फीसदी से 2 फीसदी) की कटौती की है. राष्ट्रपति ट्रंप लगातार रेट कट का दबाव बना रहे हैं. न्यूजीलैंड ने 50 बेसिस प्वाइंट्स की और थाईलैंड ने 25 बेसिस प्वाइंट्स और भारत ने 35 बेसिस प्लाइंट की कटौती की है.
03:58 PM IST