भारत से छिन सकता है 'सबसे तेज आर्थिक वृद्धि वाले देश' का दर्जा, FY-23 में GDP ग्रोथ रेट का पहला अनुमान घटा
Economic Growth: राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी जो बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 प्रतिशत थी. एनएसओ का यह अनुमान सरकार के पहले के 8 से 8.5 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से काफी कम है.
Economic Growth: मांग में नरमी के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर घटकर सात प्रतिशत रह सकती है. ऐसा होने पर भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि वाले देश का दर्जा खोने की स्थिति में आ सकता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी जो बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 प्रतिशत थी. एनएसओ का यह अनुमान सरकार के पहले के 8 से 8.5 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से काफी कम है. हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है.
अगर यह अनुमान सही रहा, तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर सऊदी अरब से कम रहेगी. सऊदी अरब की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है. वास्तव में, भारत की जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही थी. यह सऊदी अरब की इसी अवधि में रही 8.7 प्रतिशत वृद्धि दर से कम थी.
इसके बावजूद भारत का आर्थिक पुनरुद्धार पटरी पर
जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान पिछले चार साल में तीन साल की वास्तविक वृद्धि के मुकाबले ज्यादा आशावादी है. इस अनुमान का उपयोग वार्षिक बजट में आवंटन और अन्य राजकोषीय अनुमान में किया जाता है.
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हालांकि एनएसओ का अनुमान यह बताता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक चुनौतियां बने रहने के बावजूद भारत का आर्थिक पुनरुद्धार पटरी पर है. लेकिन अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव भी हैं. मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है. इसे नियंत्रण में लाने के लिये आरबीआई ने पिछले साल मई से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे मांग पर असर पड़ने की आशंका है.
क्या कहना है अर्थशास्त्रियों का?
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि मिश्रित घरेलू खपत के बावजूद अर्थव्यवस्था में तेजी का रुख है. इससे कमजोर निर्यात से उत्पन्न होने वाली कुछ समस्याएं दूर होंगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एनएसओ ने पूरे वित्त वर्ष के लिये जो अनुमान जताया है, उसको देखते हुए पहली या दूसरी छमाही के क्षेत्रवार आंकड़ों में कुछ संशोधन किया जा सकता है.’’ इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि निजी अंतिम खपत व्यय के पूरी तरह पटरी पर नहीं आने और व्यापक नहीं होने तक आने वाला समय आसान नहीं हो जा रहा है.
वित्त वर्ष 2022-23 के पहले अग्रिम अनुमान में 4,06,943 करोड़ रुपये की विसंगतियों पर भी गौर किया है. यह 2021-22 के लिये 31 मई, 2022 को जारी जीडीपी वृद्धि के अस्थायी अनुमान 2,16,842 करोड़ रुपये की राशि से दोगुनी है. वित्त वर्ष 2020-21 में यह विसंगति 2,38,638 करोड़ रुपये थी.
जीडीपी के आंकड़े में यह विसंगति राष्ट्रीय आय में उत्पादन विधि और व्यय विधि में मौजूद अंतर को दर्शाती है. राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन घटकर 1.6 प्रतिशत रह सकता है जबकि 2021-22 में इसमें 9.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. इसी प्रकार खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2021-22 में 11.5 प्रतिशत थी.
आर्थिक वृद्धि दर को लेकर कुछ अहम बातें-
- एनएसओ के अनुसार, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर देश की जीडीपी 2022-23 में 157.60 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है. वर्ष 2021-22 के लिये 31 मई, 2022 को जारी अस्थायी अनुमान में जीडीपी के 147.36 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था.’’ वास्तविक यानी स्थिर मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत रहने की संभावना है जो 2021-22 में 8.7 प्रतिशत थी.
- वर्तमान मूल्य पर जीडीपी 2022-23 में 273.08 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2021-22 के लिये अस्थायी अनुमान में इसके 236.65 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना जतायी गयी थी.
- इस प्रकार, वर्तमान मूल्य पर जीडीपी (नॉमिनल जीडीपी) में वृद्धि दर 2022-23 में 15.4 प्रतिशत रहने की संभावना है जो 2021-22 में 19.5 प्रतिशत थी.
- अग्रिम अनुमान के अनुसार कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2022-23 में 3.5 प्रतिशत रहने की संभावना है जो पिछले वित्त वर्ष के तीन प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिक है.
- व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 13.7 प्रतिशत रहने की संभावना है जो 2021-22 में 11.1 प्रतिशत थी.
- वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 2022-23 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जो 2021-22 में 4.2 प्रतिशत थी.
- हालांकि निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 9.1 प्रतिशत पर रहने की संभावना है जो बीते वित्त वर्ष में 11.5 प्रतिशत थी.
- इसी प्रकार, लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर घटकर 7.9 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जो 2021-22 में 12.6 प्रतिशत थी.
- स्थिर मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में वृद्धि की दर 2022-23 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो बीते वित्त वर्ष में 8.1 प्रतिशत थी.
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