
Success Story: नया दौर, नया दौर की नई बात. परंपरागत खेती अब गुजरे वक्त की बात हो गई है. अब दौर प्राकृतिक और उन्नत खेती का है. प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से होने वाली उपज की आजकल भारी मांग है और इसमें फायदा भी बहुत है. प्राकृतिक खेती के इन्हीं फायदों से प्रभावित होकर किसान पूरनलाल ने अपने खेत में प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती (Banana Farming) शुरू किया. उन्होंने टिश्यू कल्चर से तैयार G-9 किस्म का केला लगाया. बड़ी मात्रा में केलों का उत्पादन कर पूरनलाल ने इस साल मात्र एक एकड़ में की गई केला पैदावार बेचकर 4 लाख रुपये कमाए हैं. अब तो पूरनलाल अपने सारे खेत में प्राकृतिक खेती से ही पैदावार ले रहे हैं.
किसान से केला व्यापारी बनने वाले पूरनलाल इनवाती छिन्दवाड़ा जिले के हरई ब्लॉक के भुमका गांव में रहते हैं. मध्य प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, पूरनलाल प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती के अलावा जहां बैंगन, टमाटर, मक्का की फसल ले रहे हैं, वहीं उन्होंने अपने खेत में आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रेगन फ्रूट, नीबू, संतरा और काजू के पौधे भी लगाये हैं. पूरनलाल ने अपने खेत में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम (Drip Irrigation System) लगा रखा है. वह अपनी फसल के अवशेषों का समुचित प्रबंधन कर इससे खाद भी पैदा कर रहे हैं. यही खाद इनकी फसल के लिये अमृत का काम कर रही है. इससे उनके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है. साथ ही मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ रही है.
पूरनलाल बताते हैं कि उनके खेत का केला जबलपुर मंडी में "छिन्दवाड़ा का केला" नाम से प्रसिद्ध हो गया है. सामान्य केला जहां 15 से 18 रूपये प्रति किलो बिकता है. वहीं उनका प्राकृतिक पद्धति वाला केला 25 रूपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.
पूरनलाल प्राकृतिक खेती के अलावा कड़कनाथ मुर्गा पालन (Kadaknath Poultry Farming), बकरी पालन (Goat Farming) के साथ मछली पालन (Fish Farming) बिजनेस भी कर रहे हैं. खेती की लगभग हर तरीका को पूरनलाल ने अपना लिया है.
ये भी पढ़ें- Success Story: दूध बेचकर हर महीने लाखों कमा रही ये महिला, जीरो से शुरू कर बनाया अपना मुकाम
पूरनलाल के पास कुल 6 एकड़ खेती की जमीन है. इसमें समन्वित तरीके से अलग-अलग प्रकार के फलों व सब्जियों की पैदावार और लाइव कैश क्रॉप लेकर वे एक साल में तकरीबन 10 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. पूरनलाल की प्रगतिशीलता से क्षेत्र के दूसरे किसान बेहद प्रभावित हैं. वे भी इनसे परामर्श लेकर अब प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की ओर बढ़ रहे हैं.