ग्रो इंडिगो ने Dvara E-Registry से किया करार, कार्बन मार्केट से जुड़ सकेंगे किसान
यह सहयोग पारंपरिक खेती विधि को अपनाते हुए छोटे किसानों को कार्बन बाजार से जोड़ेगा, जिससे पर्यावरण और किसान समुदाय दोनों के लिए फायदेमंद होगी.
खेती की लागत कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं. (Image- Freepik)
खेती की लागत कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं. (Image- Freepik)
ग्रो इंडिगो (Gorw Indigo) और द्वारा ई-रजिस्ट्री (DER) जलवायु के अनुकूल कृषि के तरीकों को बढ़ावा देने और किसानों के लिए आय के अवसर पैदा करने के लिए एक साझेदारी की घोषणा की है. यह सहयोग पारंपरिक खेती विधि को अपनाते हुए छोटे किसानों को कार्बन बाजार से जोड़ेगा, जिससे पर्यावरण और किसान समुदाय दोनों के लिए फायदेमंद होगी.
खेती की लागत कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाया
ग्रो इंडिगो किसानों को रिजेनरेटिव तरीकों को अपनाने में सहायता करने के अपने प्रयासों के लिए जानी जाती है और द्वारा ई-रजिस्ट्री (Dvara E-Registry) एग्री से मुनाफे में सुधार और खेती की लागत को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने में अग्रणी है. अब दोनों एक संयुक्त परियोजना को आगे ले जाने के लिए तैयार हैं. दोनों का साझा उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (CHG) को कम करना और कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit) तैयार करना है, जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश क्षेत्र के साथ होगी. द्वारा ई-रजिस्ट्री और ग्रो इंडिगो पहले से ही सिंथेटिक सामग्रियों के इस्तेमाल को कम करने और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए जैविक उत्पादों के रूप में किसानों को वैकल्पिक सामग्रियां मुहैया करा रही हैं.
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रिजेनरेटिव एग्री टेक्नोलॉजी अपनाने की सलाह
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इस पहल में हिस्सा लेने वाले किसानों को पारंपरिक खेती के तरीकों की जगह पर रिजेनरेटिव कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इनमें धान की सीधी बिजाई (DSR), खेतों में पानी कम रखना, जुताई नहीं करना या कम करना और पोषक तत्वों का एकीकृत प्रबंधन शामिल हैं. इन तरीकों से न केवल जीएचजी में काफी कमी आती है, बल्कि वे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, फसल की पैदावार में बढ़ोतरी और दीर्घकालिक लागत में कमी को भी बढ़ावा देते हैं.
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किसानों को होगी अतिरिक्त कमाई
ग्रो इंडिगो के कार्बन और टिकाऊ उत्पाद प्रमुख उमंग अग्रवाल कहते हैं, इस साझेदारी का उद्देश्य किसानों को अतिरिक्त कमाई से प्रोत्साहित करके रिजेनरेटिव कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है. किसानों को स्वैच्छिक कार्बन बाजारों से जोड़ने का यह मध्य प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयास है. रिजेनरेटिव खेती को प्रोत्साहित करके हम अपने किसानों की जरूरतों के साथ पृथ्वी की जरूरतों को मिलाते हुए कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का लक्ष्य रखते हैं.
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ग्रीनहाउस गैस होगा कम
द्वारा ई-रजिस्ट्री (Grow Indigo) के सह-संस्थापक तरुण कटोच ने कहा, ग्रो इंडिगो की टिकाऊ कृषि और कार्बन मॉनिटरिंग में विशेषज्ञता के साथ हमारी डिजिटल क्षमताओं के मिलने से व्यापक बदलाव लाने का शानदार मौका मिलता है. यह पहल न केवल ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के बारे में है, बल्कि हमारे किसानों को अपनी आजीविका में सुधार करते हुए जलवायु समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाने के बारे में भी है. टेक्नोलॉजी और रिजेनरेटिव खेती का संयोजन जलवायु को लेकर जागरूक दुनिया में कृषि को नए सिरे से परिभाषित करेगा. यह सुधार की पहल कृषि पद्धतियों में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगी, जिससे किसानों और पृथ्वी के लिए अधिक समृद्ध व टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा.
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03:22 PM IST