मुंबई हाई क्षेत्र से प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए BP और ONGC ने मिलाया हाथ, बाजार खुलने के बाद शेयर पर रखें नजर
दुनिया की बड़ी तेल कंपनी बीपी ने मुंबई के पास के इस खास इलाके से तेल-गैस का उत्पादन बढ़ाने के लिए समझौता किया है. अमेरिकी कंपनी मैराथन ऑयल ने मुंबई हाई के तेल और गैस निकालने के काम में पैसा लगाने और नई तकनीक लाने का वादा किया था.
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अमेरिका की दिग्गज कंपनी मैराथन ऑयल के मुंबई हाई तेल और गैस क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश और प्रौद्योगिकी के वादे, ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम जैसी कंपनियों की हिस्सेदारी की चाह और कम से कम दो निजीकरण बोलियां लगने की अब वैश्विक ऊर्जा दिग्गज कंपनी बीपी द्वारा मुंबई तट पर स्थित भारत के प्रमुख क्षेत्र से उत्पादन बढ़ाने के लिए समझौते पर साइन के रूप में हुई है. महारत्न पीएसयू ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने पिछले महीने बीपी के साथ एक तकनीकी सेवा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि पुराने क्षेत्र से घटते उत्पादन को रोका जा सके.
तेल प्रोडक्शन में 44 फीसदी, गैस उत्पादन में 89 फीसदी की बढ़ोतरी
दोनों कंपनियों के बयानों के अनुसार, बीपी ने एक निश्चित शुल्क के बदले भारत के सबसे बड़े क्षेत्र से तेल उत्पादन में 44 प्रतिशत और गैस उत्पादन में 89 प्रतिशत की वृद्धि करने की प्रतिबद्धता जताई है. कंपनी के अंदरूनी सूत्रों और उद्योग सूत्रों के अनुसार, बीपी से सौदा बिल्कुल उसी तरह का है जैसा ओएनजीसी ने 1998-99 में मैराथन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ किया था. बीपी की तरह ही मैराथन को भी इस क्षेत्र में कोई हिस्सेदारी नहीं मिल रही थी, बल्कि उसे एक निश्चित औसत के आधार पर तेल और गैस उत्पादन के बढ़े हुए हिस्से में केवल पूर्व-सहमत हिस्सा ही मिल रहा था. लेकिन बीपी के विपरीत मैराथन को उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी संबंधित बदलावों के लिए खुद का निवेश करना था.
भारत पेट्रोलियम का नहीं है कोई बड़ा दांव
बीपी सौदे में ओएनजीसी सभी निवेश करेगी और लंदन मुख्यालय वाली यह कंपनी केवल तकनीकी सलाह देगी. पहले दो वर्षों तक बीपी को अपनी सलाह के लिए एक निश्चित शुल्क मिलेगा और उसके बाद उसे बढ़े हुए तेल और गैस उत्पादन में से एक हिस्सा मिलेगा. मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, “इस सौदे में बीपी का कोई बड़ा दांव नहीं है. यदि उत्पादन में वृद्धि नहीं होती, तो मैराथन को उसके द्वारा निवेश की गई राशि वापस नहीं की जानी थी.”
अमेरिकी कंपनी ने खींच लिए थे हाथ
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ओएनजीसी ने मैराथन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अमेरिकी ऊर्जा दिग्गज कंपनी ने उस समय एमओयू से हाथ खींच लिया, जब पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को मंजूरी के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों में चीजें बदल दी गईं. सूत्र ने कहा, “ओएनजीसी ने संशोधित दस्तावेजों में दर्शाए गए आधारभूत उत्पादन को कभी हासिल नहीं किया.” मैराथन के अलावा, कुछ अन्य वैश्विक ऊर्जा दिग्गज भी मुंबई हाई में रुचि रखते थे, लेकिन वे हिस्सेदारी चाहते थे, जिसका कानून में प्रावधान नहीं था.
विदेशी कंपनियों को ट्रांसफर करने पर विचार
उद्योग सूत्रों ने बताया कि उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) में हिस्सेदारी की चाहत रखने वालों में शेल और ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम शामिल हैं. साल 2018 के अंत में तत्कालीन नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने मुंबई हाई के पश्चिमी अपतटीय तेल और गैस क्षेत्रों के साथ-साथ मुंबई अपतटीय, असम, राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्रों को निजी/विदेशी कंपनियों को ‘हस्तांतरित’ करने पर विचार किया.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने 2021 में दो बार ओएनजीसी को 60 प्रतिशत हिस्सेदारी, साथ ही मुंबई हाई और बेसिन क्षेत्रों का परिचालन नियंत्रण विदेशी कंपनियों को देने के लिए कहा था.
02:34 PM IST