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बीते दो साल से रियल एस्टेट की ग्रोथ डाउन है.
रियल एस्टेट क्षेत्र को दिया गया कर्ज कुल कर्ज का 7.5 प्रतिशत यानी 1.65 लाख करोड़ रुपये था. (फाइल फोटो)
रियल एस्टेट क्षेत्र को दिया गया कर्ज कुल कर्ज का 7.5 प्रतिशत यानी 1.65 लाख करोड़ रुपये था. (फाइल फोटो)
बीते दो साल से रियल एस्टेट की ग्रोथ डाउन है. त्योहारी सीजन में इसमें तेजी की उम्मीद थी लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में संकट खड़ा होने से इसके और डाउन होने की आशंका है. जानकारों की मानें तो इसकी आंच वित्तीय क्षेत्र के अलावा रियल एस्टेट कारोबार पर भी आ सकती है. आईएलएंडएफएस के कर्ज भुगतान में चूक से एनबीएफसी क्षेत्र संकट से जूझ रहा है.
रियल एस्टेट कारोबार के संबंध में परामर्श देने वाली फर्म एनारॉक कैपिटल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी शोभित अग्रवाल ने कहा कि मार्च 2018 तक एनबीएफसी कंपनियों का रियल एस्टेट क्षेत्र को दिया गया कर्ज कुल कर्ज का 7.5 प्रतिशत यानी 1.65 लाख करोड़ रुपये था.
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उन्होंने कहा, 'गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के बढ़ते बोझ के चलते बैंकिंग प्रणाली ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के वित्तपोषण को रोक दिया है. नकदी की कमी का सामना कर रहे डेवलपरों के लिए एनबीएफसी और एचएफसी पूंजी का प्रमुख स्त्रोत है.'
अग्रवाल ने कहा कि एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जल्द से जल्द सुलझाना होगा वरना रियल एस्टेट क्षेत्र में होने वाला बहुप्रतीक्षित सुधार कुछ और तिमाहियों के लिये टल जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां नकदी संकट का सामना कर रही हैं. उनके डेवलपरों को ऋण वितरण में काफी कमी आई है.
आंकड़ों के मुताबिक, एनबीएफसी कंपनियों को अक्टूबर-दिसंबर अवधि में कमर्शियल पेपर से संबंधित 1.2 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं. अगस्त-अक्टूबर में यह आंकड़ा 1.46 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर था.
इनपुट एजेंसी से
03:47 PM IST