विदेशी कंपनियों के लिए इन प्रोजेक्ट्स में बोली लगाना होगा आसान, पेट्रोलियम मंत्रालय ने नियमों में दी ढील
पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा डोमेस्टिक कंटेट क्राइटेरिया के नियमों में अहम बदलाव किए गए हैं. इसके बाद LSTK और EPC प्रोजेक्ट में घरेलू कंपनी को मिलने वाली विशेष सुविधाओं में कटौती हुई है.
पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा मंगलवार को डोमेस्टिक कंटेट क्राइटेरिया के नियम में बदलाव किया है, जिससे पीएम नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम को झटका लग सकता है. तेल और गैस सेक्टर की पब्लिक सेक्टर कंपनियों की तरफ से इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) प्रोजेक्ट को लेकर घरेलू कंपनियों को लम्पसम ट्रंकी (LSTK) प्रोजेक्ट्स में जो विशेष सुविधा मिल रही थी, उसे मंत्रालय ने घटा दिया है.
2017 में बनाया था नियम, ग्लोबल कॉन्ट्रैक्ट में मिलती थी वरियता
लोकल सप्लायर्स को तरजीह देने, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग,वस्तुओं और सेवा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए साल 2017 में नियम बनाया था. इसके तहत 50 फीसदी या फिर उससे अधिक लोकल सामान का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को क्लास 1 लोकल सप्लायर की कैटेगरी में रखा गया था. पीएसयू के सभी ग्लोबल कॉन्ट्रैक्ट इन कंपनियों को वरीयता दी जाएगी, जिन्होंने अपने 50 फीसदी से ज्यादा सामान स्थानीय स्तर पर बनाया हो, भले ही उसने सबसे कम बोली से केवल 20 फीसदी अधिक बोली लगाई हो.
नियमों में किए गए हैं ये बदलाव
मंगलवार को मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक अब घरेलू उपकरण के इस्तेमाल करने की लिमिट को 50 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया है. आगे चलकर इस लिमिट को बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाएगा. इसके अलावा बोली में घरेलू कंपनियों को परचेज प्रिफरेंस प्राइज के अंतर को घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. नियम में बदलाव के बाद विदेशी कंपनियों के लिए LSTK और EPC प्रोजेक्ट्स को हासिल करना आसान हो गया है. विदेशी फर्म्स के लिए अब घरेलू सोर्स 30 फीसदी होने पर वे बोली में शामिल हो सकती हैं. इसके साथ ही Class-I फर्म्स के लिए भी बोली अब ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गई है, क्योंकि पर्चेज प्रेफरेंस का फायदा उठाने की लिमिट घटकर 10 फीसदी हो गई है.
ONGC की तरफ से की गई थी ये मांग
TRENDING NOW
ऑयल एंड गैस फील्ड के LSTK/EPC कॉन्ट्रैक्ट्स को लेकर मिनिमम लोकल कंटेट के नियम में बदलाव किया गया है जिससे कॉम्पिटिशन बढ़ेगा. मंत्रालय की तरफ से 11 जुलाई को जारी आदेश में बदलाव पब्लिक प्रोक्योरमेंट ऑर्डर 2017 के पारा 14 में यह नियम उल्लेखित है. पारा 14 का नियम पर्चेज प्रेफरेंस से संबंधित है जो मिनिमम लोकल कंटेंट से जुड़ा है.इस साल जनवरी में ओएनजीसी की तरफ से ऑफशोर LSTK प्रोजेक्ट्स के नियमों में रियायत की मांग की थी गई थी.
Estimated Cost |
|
2023-24 |
2024-26 |
2026 Onwards |
Between $35 Million and $50 Million |
MLC |
50 % |
50 |
50 |
|
PP |
10% |
10% |
10% |
Between $50 Million and $100 Million |
MLC |
30% |
50% |
50% |
|
PP |
10% |
10% |
10% |
Between $100 Million and $150 Million |
MLC |
30% |
35% |
50% |
|
PP |
10% |
10% |
10% |
More than $100 Million |
MLC |
30% |
30% |
35% |
|
PP |
10% |
10% |
10% |
शामिल नहीं हो पा रही हैं विदेशी कंपनियां
पेट्रोलियम सेक्रेटरी को लिखी चिट्ठी में ONGC का कहना था कि विदेशी कंपनियां इस नियम के कारण बोली में शामिल नहीं हो पा रही हैं. नतीजन L&T की तरफ से जमा की गई बोली ONGC के अनुमानित लागत से ज्यादा होती है. हालात के मद्देनजर, कंपनियों ने ये महसूस किया कि 20 फीसदी के प्रिफरेंस परचेज प्राइज लाभ के कारण विदेश कंपनियां हाई वेल्यू टेंडर में शामिल नहीं हो पा रही है. ज्यादातर ऑफशोर EPC प्रोजेक्ट केवल L&T हाइड्रोकार्बन इंजीनियरिंग को मिल रहे हैं. ये भारत की इकलौती कंपनी है, जिसके पास हाजिरा और कट्टूपल्ली तमिलनाडु में कंस्ट्रक्शन के लिए फेबरिकेशन यार्ड है.
बोली में शामिल नहीं होती थी ऑफशोर कंपनियां
20 फीसदी प्रिफरेंशियल परचेज मार्जिन का लाभ मिलने के कारण कम बोली लगाने वाली कंपनियां भी कॉन्ट्रैक्ट से बाहर हो जाती है, क्योंकि ये कंपनियां 50 फीसदी के डोमेस्टिक कंटेंट के नियम पर खरी नहीं उतरती है. नतीजन विदेशी कंपनियों ने ओफशोर LSTK प्रोजेक्ट्स की बोली में शामिल होना बंद कर दिया है. इस प्रैक्टिस के कारण कॉम्पटिशन काफी घट गया है. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू अनुमान से ज्यादा हो गई है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
निरस्त कर दिया गया था DUDP टेंडर
ONGC ने पेट्रोलियम सेक्रेटरी को लिखी चिट्ठी के मुताबिक ताजा उदाहरण दमन अपसाइड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (DUDP) है, जहां पर L&T की तरफ से जो बोली लगाई गई थी, वह अनुमानित लागत से करीब 56.8 फीसदी ज्यादा थी. इसी मोनोपॉली के कारण आखिरकार DUDP टेंडर को निरस्त करने का फैसला लिया गया. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए और ऑफशोर LSTK प्रोजेक्ट को लेकर पब्लिक प्रोक्यूरमेंट ऑर्डर 2017 के प्रिफरेंस प्राइज लिमिट वाले आदेश में बदलाव किया जाए.
(Reported by Amitav Ranjan)
11:43 PM IST