खाड़ी देशों में भारतीय केले की डिमांड, एक्सपोर्ट होने से किसानों के चेहरे खिले
केले की डिमांड आने से अब दूसरे किसान भी निर्यात के मकसद से केले की एक खास किस्म को उगाने की तैयारी कर रहे हैं.
नांदेड़ जिलेॉ के अर्धापुर में केले की खेती करने वाले किसानों को खाड़ी देशों से निर्यात की मांग मिलने लगी है.
नांदेड़ जिलेॉ के अर्धापुर में केले की खेती करने वाले किसानों को खाड़ी देशों से निर्यात की मांग मिलने लगी है.
अनलॉक 2.0 (Unlock 2.0) में ज्यादातर कामों को छूट देने से किसानों के उत्पादों की मांग भी बढ़ने लगी है. अब किसानों की उपज की मांग विदेशों से भी उठने लगी है, जिससे निश्चित ही किसानों के चेहरे खिले हुए हैं.
महाराष्ट्र (Maharashtra) के नांदेड़ जिले (Nanded district) के अर्धापुर तहसील (Ardhapur) में केले की खेती करने वाले किसानों को खाड़ी देशों (Gulf Countries) से निर्यात की मांग मिलने लगी है, जिससे उन्हें अपनी उपज की बेहतर कीमत पाने में मदद मिल रही है.
मुंबई से करीब 570 किलोमीटर दूर स्थित अर्धापुर और नांदेड़ के दूसरे हिस्सों में पानी प्रचूर मात्रा में होने के कारण केले की खेती (banana cultivation) बड़े पैमाने पर की जाती है.
स्थानीय किसान नीलेश देशमुख ने बताया कि लगभग 40 टन केले अब हर दिन अर्धापुर से ओमान, ईरान, इराक और दुबई को निर्यात किए जा रहे हैं.
निर्यात की क्विलिटी वाले केले का चुनाव अर्धापुर के तमाम खेतों से किया जाता है और रोजोना करीब 40 से 60 मीट्रिक टन केले का निर्यात किया जा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान जिस केले के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल दाम मिल रहे थे, लेकिन अनलॉकिंग में अब किसानों को उसी उसी केला का 900 रुपये प्रति क्विंटल तक भाव मिल रहा है. हालांकि लॉकडाउन से पहले केले का भाव 1,400 रुपये प्रति क्विंटल था.
खाड़ी देशों से केले की डिमांड आने से अब दूसरे किसान भी कम से कम 100 एकड़ में निर्यात के मकसद से केले की एक खास किस्म को उगाने की तैयारी कर रहे हैं.
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किसानों ने पैकेजिंग विधि में भी सुधार किया है और अब निर्यात के लिए फलों को बक्से में सील किया जा रहा है. नई पैकिंग से ट्रांसपोर्टिंग के दौरान केले को होने वाले नुकसान की दर 25 फीसदी से घटकर एक फीसदी रह गई है.
नांदेड़ के कृषि अधीक्षक रविशंकर चालवाडे ने कहा कि विभाग निर्यात आधारित फसलों की खेती में किसानों की मदद कर रहा है.
03:10 PM IST