किसानों के बाद अब इन्होंने की कर्ज माफी की मांग, देश भर में शुरू करेंगे बड़ा आंदोलन
कॉर्पोरेट सेक्टर, बड़े उद्योग एवं अब किसानो को ले कर सरकारों की ओर ओर से की गई कर्ज माफी को व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देश के करोड़ों करदाताओं के साथ विश्वासघात बताया है. कैट ने
देश भर में ये संगठन चलाएगा कर्ज माफी के लिए आंदोलन (फाइल फोटो)
देश भर में ये संगठन चलाएगा कर्ज माफी के लिए आंदोलन (फाइल फोटो)
कॉर्पोरेट सेक्टर, बड़े उद्योग एवं अब किसानो को ले कर सरकारों की ओर ओर से की गई कर्ज माफी को व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफआल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देश के करोड़ों करदाताओं के साथ विश्वासघात बताया है. व्यापारिक संगठन ने वर्तमान हालात में देश के 7 करोड़ व्यापारियों जिन्होंने बैंकों से कर्ज लिया हुआ है उनका भी कर्जा माफ करने व उन्हें सुविधाएं देने की मांग की है. कैट ने इस मुद्दे पर एक बड़ा राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है. इस सम्बन्ध में व्यापक विचार करने और भविष्य की रणनीति तय करने के लिए कैट ने अपनी राष्ट्रीय गवर्निंग कॉउन्सिल की एक मीटिंग आगामी 12 -13 जनवरी को भोपाल में बुलाई है जिसमें देश के सभी राज्यों के बड़े व्यापारी नेता भाग लेंगे.
देश के खजाने से नहीं होनी चाहिए कर्ज माफी
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को कहा कि कर्ज माफी राजनैतिक दलों का वोटों का कारोबार है और संविधान में किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं दिया गया है की वो अपनी मनमर्जी से देश के कोष में से इस प्रकार कर्जा माफ कर बैंकों पर इसका बोझ डाले और बैंकिंग प्रणाली को तहस नहस कर दें. इस कर्ज माफी से बैंकों का एनपीए बढ़ रहा है. उन्होंने कहा की कर्ज माफ़ी से देश आर्थिक विषमता का शिकार होता है और सरकार नीतिगत रूप से लाचार बन जाती है. देश के करोड़ों करदाता देश के विकास की आशा में टैक्स देते हैं न की मनमर्जी से वोटों का कारोबार करने के लिए कोई सरकार लुभावनी कर्ज माफी करे.
कमजोर वर्ग को मजबूत बनाने का होना चाहिए काम
उन्होंने कहा कि सरकार को कर्ज माफी की बजाए जरूरतमंद वर्ग को सक्षम बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि कर्ज माफी की जरूरत ही न पड़े. अगर किसी भी सरकार को इस तरह का कोई कर्ज माफ करना है तो वो अपने राजनैतिक दल के पैसे से कर्ज माफ करे न की सरकारी खजाने को मनमाने तरीके से लुटाए. खंडेलवाल ने कहा कि देश में 7 करोड़ छोटे व्यावसायी प्रति वर्ष लगभग 42 लाख करोड़ रुपये का व्यापार करते हैं जिसमें से केवल 4 प्रतिशत को ही बैंकों से कर्जा मिलता है. बाकी व्यापारी ऊँची ब्याज दरों पर अन्य साधनों से कर्जा लेते हैं. इस पर अब रोक लगनी जरूरी है और व्यापारियों को आर्थिक पैकेज मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि कैट देश के सभी राज्यों में इस मुद्दे पर एक बढ़ा आंदोलन चलाएगा.
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व्यापारियों का कर्ज भी माफ होना चाहिए
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा की देश में व्यापारी वर्ग सरकार के लिए बिना किसी पारिश्रमिक लिए राजस्व इकठ्ठा करने का काम करता है और अनेक प्रकार की कागजी कार्यवाही, जटिल कर प्रक्रिया और उस पर होने वाले खर्च को व्यापारी वहन करता है वहीँ जरा सी भी त्रुटि हो जाने पर दंड एवं अन्य परेशानियों को भुगतता है लेकिन यदि कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए जिसमें व्यापारी को सबसे ज्यादा नुक्सान होता है तो आज तक उसके लिए कोई कर्ज माफ़ी या अन्य सुविधा किसी भी सरकार ने नहीं दी है जबकि वोटों के लालच में प्रतिवर्ष किसानों का कर्जा माफ़ क़र उन्हें पंगु बनाया जाता है. उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने कोई गुनाह नहीं किया है और उन्हें भी कर्ज माफी मिलनी चाहिए क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार देने में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है जिसे नकारा नहीं जा सकता और यह भी एक तथ्य है की आज तक किसी भी राज्य अथवा केंद्र सरकार ने व्यापारियों को कभी भी कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिया है.
04:16 PM IST