GST काउंसिल की बैठक के पहले व्यापारियों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र, की ये मांग
जीएसटी कॉउन्सिल की की बैठक 20 फरवरी को होनी है. बैठक के एक दिन पहले व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र भेज कर अनेक स्तरों पर जीएसटी लगने के बजाय केवल तीन बिंदुओं पर ही जीएसटी लगाया जाने की मांग की.
जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले व्यापारियों ने वित्त मंत्री से की ये मांग (फाइल फोटो)
जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले व्यापारियों ने वित्त मंत्री से की ये मांग (फाइल फोटो)
जीएसटी कॉउन्सिल की की बैठक 20 फरवरी को होनी है. बैठक के एक दिन पहले व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र भेज कर अनेक स्तरों पर जीएसटी लगने के बजाय केवल तीन बिंदुओं पर ही जीएसटी लगाया जाने की मांग की. कैट के अनुसार जीएसटी की व्यवस्था के तहत उपभोक्ता के सामान लेते समय जीएसटी की राशि माल की कीमत में शामिल हो और उपभोक्ता से किसी भी अन्य रूप में कर न लिया जाए. कैट ने कहा है की सरकार द्वारा जीएसटी को अधिक सरलीकृत बनाने के प्रयास स्वागत योग्य हैं. संगठन के अनुसार कुछ ऐसे कदम उठाये जाने बहुत जरूरी हैं जिससे व्यापारियों को कर संग्रह में सुविधा हो और सरकार को लक्ष्य से अधिक राजस्व मिले.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को भेजे पत्र में कहा है की वास्तव में सामान्य रूप से उपभोक्ता अलग से कर देने में कतराता है और माल लेते समय कर की दर की अधिकता को देखते हुए व्यापारी से बिल नहीं लेता जिसके कारण बड़ी संख्या में देश भर में बिक्री रिकॉर्ड पर नहीं आती है जिससे सरकार को राजस्व का नुक्सान होता है और अक्सर व्यापारियों को कर वंचना के लिए दोषी ठहराया जाता है जबकि व्यापारियों का कोई दोष नहीं होता. सामन खरीदते समय उपभोक्ता द्वारा बिल न लिए जाना राजस्व में गिरावट का एक बहुत बड़ा कारण है.
खंडेलवाल ने इस प्रवृति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा की ऐसी कर प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसमें उपभोक्ता पर कर का भार अलग से न पड़े और वो सामान लेते समय बिल लेने से न कतराएं. इस सन्दर्भ में खंडेलवाल ने सुझाव दिया कि जीएसटी को विभिन्न स्तरों की बजाय केवल तीन स्तरों पर ही लगाया जाए जिसमें पहला दो राज्यों के बीच हुई खरीद बिक्री पर आईजीएसटी, दूसरा किसी भी राज्य में हुई पहली बिक्री पर एसजीएसटी एवं सीजीएसटी तथा उसके बाद सप्लाई चेन में किसी भी स्तर पर जीएसटी न लगाया जाए बल्कि उसके बाद उपभोक्ता तक पहुँचने तक जीएसटी की राशि सामान की कीमत में ही शामिल रहे तथा तीसरा किसी भी राज्य में वार्षिक 50 लाख रुपये से अधिक के निर्माण या उत्पादन पर एसजीएसटी तथा सीजीएसटी लगाया जाए.
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कैट ने कहा की जब उपभोक्ताओं को टैक्स पेड सामान मिलेगा और उसे अलग से कोई कर नहीं देना पड़ेगा तब वो निश्चित रूप से सामान लेते समय में बिल अवश्य लेगा. इससे बड़ी संख्या में जो बिक्री अभी रिकॉर्ड में नहीं आती है वो रिकॉर्ड में दर्ज़ होगी और सरकारों का राजस्व काफी मात्रा में बढ़ेगा. यह उल्लेखनीय है की राज्य के अंदर व्यापार करने वाले लोगों द्वारा विभिन्न चरणों में की गई खरीद एवं बिक्री पर वैल्यू एडिशन बेहद नाम मात्र का होता है जिसके कारण सरकार को मात्र 1 से 2 प्रतिशत राजस्व की हानि होगी जबकि प्रथम बिक्री पर जीएसटी लगने से लगभग 10 से 15 प्रतिशत राजस्व का इजाफा होगा और कर वंचना की सम्भावना भी न के बराबर होगी .
संगठन के अनुसार यदि सरकार द्वारा यह कदम उठाया जाता है तो एक तरफ जीएसटी में पंजीकृत लोगों की संख्या करोड़ों से घट कर लाखों में रह जायेगी जबकि दूसरी ओर सरकार के राजस्व में बेहतर बढ़ोतरी होगी और सरकार के लिए कर प्रणाली को आसान रूप से लागू करने में सुविधा होगी वहीं दूसरी
09:06 AM IST