टाटा और मिस्त्री की लड़ाई में ROC को बड़ी राहत, NCLAT ने कहा छवि पर सवाल नहीं
टाटा बनाम मिस्त्री की लड़ाई में बीच में उलझे ROC के लिए थोड़ी राहत की खबर है. NCLAT ने भले ही ऑर्डर में बदलाव से इनकार कर दिया है, लेकिन ये जरूर साफ किया है कि ऑर्डर में ROC की छवि और ईमानदारी को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया है.
टाटा बनाम मिस्त्री की लड़ाई में बीच में उलझे ROC के लिए थोड़ी राहत की खबर (फाइल फोटो)
टाटा बनाम मिस्त्री की लड़ाई में बीच में उलझे ROC के लिए थोड़ी राहत की खबर (फाइल फोटो)
टाटा बनाम मिस्त्री की लड़ाई में बीच में उलझे ROC के लिए थोड़ी राहत की खबर है. NCLAT ने भले ही ऑर्डर में बदलाव से इनकार कर दिया है, लेकिन ये जरूर साफ किया है कि ऑर्डर में ROC की छवि और ईमानदारी को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया है. NCLAT ने ये भी कहा कि ऑर्डर में ROC पर गलत तरह से काम करने का कोई आरोप भी नहीं लगाया गया है. ऐसे में ROC की ओर से जो ऑर्डर में बदलाव की अर्ज़ी दायर की गई है उसका मामला नहीं बनता है.
ROC ने कहा सिर्फ कानूनी दायित्व निभाया
ROC की ओर से दायर अर्ज़ी में टाटा बनाम मिस्त्री विवाद में NCLAT के ऑर्डर में की गई कुछ टिप्पणियों को गैर ज़रूरी बताया गया था. और इसे हटाने की अर्ज़ी दी गई थी. NCLAT की टिप्पणी थी कि टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी में बदलने में जल्दबाजी दिखाई गई. और इसमें ROC अधिकारियों ने भी मदद की. जबकि ROC की दलील थी कि टाटा बनाम मिस्त्री के झगड़े में मामले में बिना पार्टी बनाए, पक्ष सुने ही उसके खिलाफ टिप्पणी की गई है. जबकि RoC ने महज कानूनी दायित्व निभाया.
स्टेटस में बदलाव गैरकानूनी नहीं
ROC की दलील थी कि टाटा संस कंपनीज़ अमेंडमेंट एक्ट 1974 के तहत डीम्ड पब्लिक कंपनी थी. पर कंपनी ने नियमों के तहत प्राइवेट कंपनी वाली खूबियों को बरकरार रखा था. ऐसे में टाटा संस ने कानून के मुताबिक जब निजी कंपनी बनने का विकल्प चुना तो ROC को प्राइवेट कंपनी का सर्टिफिकेट जारी करना पड़ा. ROC ने कहा कि स्टेटस में बदलाव करना किसी तरह से गैर कानूनी नहीं था, बल्कि कंपनी कानून का पालन किया गया. ROC की ओर से ये भी कहा गया था कि इस मामले में कंपनीज़ एक्ट के सेक्शन 14 के तहत अलग से NCLT से मंजूरी की ज़रूरत नहीं थी.
ये थी ROC की अर्ज़ी
ROC की ओर से दायर की गई अर्जी में कहा गया कि NCLAT की ओर से केस में गैर-ज़रूरी टिप्पणियां की गई. बिना ROC का पक्ष सुने ही टिप्पणी करना न्याय सिद्धांत के खिलाफ है. RoC की दलील थी कि उसने केवल महज कानूनी दायित्व निभाया गया. टाटा संस, कंपनीज़ अमेंडमेंट एक्ट 1974 के तहत डीम्ड पब्लिक कंपनी थी. हालांकि प्राइवेट कंपनी की खूबियों को नियम के तहत कायम थीं. टाटा संस ने स्टेट्स बदलने की अर्ज़ी दी तो कानून बदलाव किया गया. टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट का सर्टिफिकेट देना गैरकानूनी नहीं नहीं है. NCLAT ने कहा कि पब्लिक से प्राइवेट में कनवर्जन गैरकानूनी था. NCLAT की टिप्पणी थी कि कनवर्जन में ROC ने भी मदद की.
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Reported By:
ब्रजेश कुमार
Written By:
ज़ीबिज़ वेब टीम
Updated: Mon, Jan 06, 2020
05:59 PM IST
05:59 PM IST
नई दिल्ली
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